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Bhupendra Rawat
ख़ुशी बिक जाती है ग़म भी बिक जाते है भूखे पेट की खातिर, यहाँ इंसानो के जिस्म बिक जाते है दाग़ न लगे सफेद पोशाक मे यां,फ़क़त झूठ सजाए जाते है कानून तो कफ़स का एक परिंदा है बाजार मे लोगों के ईमान डिग जाते है यां, अदीब आज अदम हो चले है जाहिल को यहाँ ताज पहनाए जाते है अदीब (विद्वान) अदम (शून्य) ©Bhupendra Rawat #Path ख़ुशी बिक जाती है ग़म भी बिक जाते है भूखे पेट की खातिर, यहाँ इंसानो के जिस्म बिक जाते है दाग़ न लगे सफेद पोशाक मे यां,फ़क़त झूठ सजाए
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
सरकशो का बेकसों पे हो रहा तशदुदे इंतकाम हरदम, रकीबों की साजिशों से रहा है,अपनों पे इल्जाम हरदम//१ बातिल की महफिल में जो करते है,हां में हां हरदम,वो खुद हैं ख़तावार,और लगाए तहज़ीब पे इल्ज़ाम हरदम//२ अदालते अदू में गुर्गों ने दी है गवाही हरदम,के माफियों ने लगाए,मजलूमों पे संगीन इल्ज़ाम हरदम//३ बदस्तूर बदगुमानी उनकी रहती है जारी,किसको लगाए लगाम,और किसको दे इल्जाम हरदम//५ *इशरर्तों ने तो उनकी जीस्ते संवार डाली,होता है, हौंसला ए मसर्रत में *अदीब पे कोहराम हरदम//५ तोहमतें तशददूद में जीना नही मुनासिब,अब"शमा" को लगता नहीं है अच्छा,मजहब पर इंतकाम हरदम//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #ballet सरकशो का*बेकसों पे हो रहा तशदुदे इंतकाम हरदम,रकीबों की साजिशों से रहा है,अपनों पे इल्जाम हरदम//१*असहाय बातिल की महफिल में जो करते ह
Mehfil-e-Mohabbat
तुम जहाँ हो मैं वहीं हूँ तुम समझते क्यों नहीं मैं अकेले कुछ नहीं हूँ तुम समझते क्यों नहीं ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ शबीना अदीब ♥️✍️
priya prajapati
#आमिर कि इस कदर देश में आमिर हो रहे हैं देश बेच देश वासियों के हबीब हो रहे हैं कुछ इस कदर आमिर लोगो के करीब हो रहे हैं ध्यान से देखो तो कितने रकीब हो रहे हैं "बात तो यूं है कि" घर घर मैं आज कितने ही अदीब हो रहे है फिर भी न जाने क्यों ये आमिर लोगो के अज़ीज़ हो रहे हैं....!!! ©priya prajapati आमिर - शासक हबीब - प्रेमी रकीब - प्रतिद्वंदी (प्रेमिका का दूसरा प्रेमी) अदीब - विद्वान अजीज़ - दिल के करीब #nojoto #hindi #life #love #hind
Swatantra Kumar Singh
इस मर्तबा चलो रूहानियत का क़त्लेआम करें 'क़ासिद' जिस्म तराशना है अभी तलवार रखने के लिए माज़ी-अतीत-past वजूद-ए-अदीब-लेखक का अस्तित्व-exsistance of writer रूहानियत - Soulfulness - भावपूर्णता #YQbaba #YQdidi #YQbhaijan #Love #Li
Swatantra Kumar Singh
एक ख़ाब को हक़ीक़त बनाने के लिए मैं ज़माने से लड़ता रहा ज़माने के लिए हर्ज क्या है रूठने में मग़र गिन तो लूँ अहबाब कितने बाक़ी हैं मनाने के लिए इन्तेज़ार के हक़ में फिर इन्तेज़ार आया वादे कौन करे मुंतज़िर निभाने के लिए न जाने किस क़ाबिल था वजूद-ए-अदीब ऐ कलम तेरा शुक्रिया आज़माने के लिए हिसाब कर माज़ी क्या क्या गवाँ बैठे हम घर से निकले तो थे कुछ कमाने के लिए मेरे रुख़ पे नक़ाब है ये कौन जानता है मुस्कानें सजा रक्खी हैं दिखाने के लिए मेरे जिस्म पे तो ख़ुदा ने रहमतें लिखीं थी दिल बनाया था सैय्याद ने दुखाने के लिए एक ख़्वाहिश है मौत पे मेरी ज़िंदगी रोये 'क़ासिद' मुश्ताक़ हो मुक्कमल नींद से जगाने के लिए अहबाब - Friends - मित्र मुंतज़िर - One who waits -इन्तेज़ार करने वाला वजूद-ए-अदीब - Existence of the writer - लेखक का अस्तित्व माज़ी - Past
Swatantra Kumar Singh
उसने लबों से रुख़सारों पर मोहोब्बत लिखी थी एक रोज़ ये तसव्वुफ़ ही रहा 'क़ासिद' कि शीशा कोहिनूर बन गया #YQbaba #YQdidi #YQbhaijan #love #life #truth #reason #YourQuoteAndMine Collaborating with Mohit Pandey Bhaiya bina puche collab kiya.....
Raj Shekhar Kumar
जलने लगे हैं,हबीब अब मिलते हैं मुझसे,रकीब अब दिल में बद्दुआ,हाथ सर पर हबीब बन गए हैं,अदीब अब अपनों का साथ,किस्सों की बात खुदा लिखता नहीं,ऐसा नसीब अब देखते हैं कहाँ,तक ले जाएंगे हमारे कंधे हैं,तहजीब अब *हबीब-दोस्त,प्रिय *अदीब-कलाकार
Ratan Singh Champawat
❤दिल की देहरी से❤ 🙏🏻कुछ स्पंदन🙏🏻 रोज़ मंज़र अज़ीब दिखते हैं खौ़फ में खु़द सलीब दिखते हैं दर हकी़कत है दूर हम लेकिन देखने पर क़रीब दिखते हैं शेष अनु शीर्षक में पढें.... #dilkideharise ❤दिल की देहरी से❤ 🙏🏻कुछ स्पंदन🙏🏻 रोज़ मंज़र अज़ीब दिखते हैं खौ़फ में खु़द सलीब दिखते हैं
maddylines
यूँ हीं नहीं मुक्कदर मेरा मर रहा था वो कहाँ तुमसे आगे निकलने की कर रहा था। अख्ज मुकर्रर किया गया मुकद्दर मेरा अदीबों का अदम प्रेम था जो बरस रहा था अबद के अब्र छा रहे थे चारो तरफ तब भी अपनी किस्मत के अश्क से तुम्हारी तकदीर की मिन्नत मसक्कत कर रहा था।। अख्ज ...लोभी अदीबों... विद्वान अदम...आभाव या शून्य अबद...अनन्तकाल अब्र..बादल