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mayank mbk

किताबों मे खीची लाइनें।

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"बस तुम कभी दिखती हो एक किताब की तरह, 
और वो कलम की लाइने जो खीची होती है किसी किसी लाइनों के नीचे, 
मैं कुछ वैसा ही महसूस करता हुं, खुद को तेरे साथ।
👉मंयक किताबों मे खीची लाइनें।

Anuradha Vishwakarma

#footsteps सर मार्टिन डूरंड ने डूरंड रेखा पाकिस्तान व अफगानिस्तान के मध्य खीची थी!

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सर मार्टिन डूरंड ने डूरंड रेखा पाकिस्तान व

 अफगानिस्तान के मध्य खीची थी! #footsteps सर मार्टिन डूरंड ने डूरंड रेखा पाकिस्तान व अफगानिस्तान के मध्य खीची थी!

Thakur Bhawani Pratap Singh

देकर तुमने 4 रोटियाँ फोटो 40 खीची हैं - ताटंक चंद nojoto #nojotopoem #Hindi #hindi_poetry #vidio #Poet #Indian #India #hindilove hindikav #hindikavita #कविता #nojotovideo

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shayari dil ki

निगाहों से खीची है तस्वीर मैने, जरा अपनी तस्वीर आकर तो देखो, तुम्हीं को इन आँखो में तुमको दिखाऊँ, इन आँखो मे आँखे मिलाकर तो देखो। f #Shayari #follow #nojotolife

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निगाहों से खीची है तस्वीर मैने...
जरा अपनी तस्वीर आकर तो देखो...

तुम्हीं को इन आँखो में तुमको दिखाऊँ...
इन आँखो मे आँखे मिलाकर तो देखो...

             @shayari_dil_ki निगाहों से खीची है तस्वीर मैने,
जरा अपनी तस्वीर आकर तो देखो,
तुम्हीं को इन आँखो में तुमको दिखाऊँ,
इन आँखो मे आँखे मिलाकर तो देखो। #Nojoto #f

कमलेश

कह दूँ मैं तुझसे वो बात, जिसे सोचती हूँ हर रात। तेरी इक मुस्कुराहट, तेरी कातिल निगाहें, जिसके लिए बदल दूँ मैं अपनी राहें। तेरी एक आवाज सुनने #Shayari #इजहार

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OMG INDIA WORLD

एक वृद्ध ट्रेन में सफर कर रहा था, संयोग से वह कोच खाली था। तभी 8-10 लड़के उस कोच में आये और बैठ कर मस्ती करने लगे। एक ने कहा - "चलो, जंजीर ख #ज़िन्दगी

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चैन खीचना पड़ गया भारी .......
Contd........

©OMG INDIA WORLD एक वृद्ध ट्रेन में सफर कर रहा था, संयोग से वह कोच खाली था। तभी 8-10 लड़के उस कोच में आये और बैठ कर मस्ती करने लगे।

एक ने कहा - "चलो, जंजीर ख

Nisheeth pandey

आजकल मेरी सुबह उदास खड़े रहते हैं धूप के रंग उलझे पड़े रहते हैं बिखरी बिखरी सी कमरे की रौनक कैनवास पर चित्र के रंग उड़े रहते हैं.... यह किस #tum #poem #निशीथ #AugustCreator #AugustCreators #MereKhayaal #AzzadKalakaar

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आजकल मेरी सुबह उदास खड़े रहते हैं
धूप के रंग उलझे पड़े रहते हैं
बिखरी बिखरी सी कमरे की रौनक
कैनवास पर चित्र के रंग उड़े रहते हैं....

यह किसी कविता की पंक्ति नहीं 
विलुप्त होती निशीथ की जिंदगी है 
जो जिन्दगीं में प्रभात थे आज नहीं 
उनकी पीली धूप की यादें अस्त है .....

क॔हकहों में डूबा मन जो चहकता था
आज वो मन की शोरगुल खामोश हैं 
  आराम फरमाती तूलिका खाली पड़ी कैनवास ईज़ल पर
बीते बीते अंधा हर दिन चढ़ती जाए धूल पर धूल है..…

जहाँ रहता था थिडकती मेरी उंगलियों का गुरूर 
और स्वप्नलोक से चाँद आता था उतर
मेरे कैनवास के सफेद चादर पर
पूरी रात मँहकती सांसों में मेरे.....

बातों का सिलसिला पर लगी रातरानी 
स्वप्नलोक से आई कोई परी बातूनी 
और आंखों में आती पहली प्रेमिका सी उतर
कालाजादु करती आकृति की खीचीं लकीर .....

चमचमाता कैनवास पर कहानी रचता रंग
साख पर जैसे खिलते फूल रंग बिरेंगे
 खुशबुएँ कहाँ कहा मानती थी मेरा
कमरे से बाहर घूमती रहती थी आवारा...

 आखों की प्रतिभा कैसे विलुप्त हुई 
और बीते कल की पहचान खो गई
हमारा रंग का आस्तित्व सृजन का अहं
दृष्टिहीन हुआ फिर भगार सा सब नष्ट पड़ी ...

हर प्रतिभा जल रहीं चिता पर
और प्रेरणा का सूर्य अस्त हुआ है
नियति की इस विधान के भवड पर
प्रभात भी निशीथ पहर सा अहंकार हुआ है ....
 
 सोचता बस सोचता है हर पल  
कितना रोग करता है अत्याचार
मात्र कुछ दिनों की पीड़ा में 
असामान्य हो जाता है शरीर...

खाली कैनवास बदल जाते हैं रद्दी में 
कोमलता चाट रहीं दीमक मजे में 
बारिश चुभ रहीं सावन की अंगड़ाई में 
चूहे कुतर रहें मेरी आत्मा पानी की तलाश में ....

और दृष्टता के न रहने पर आखों में
धीरे धीरे चट उखड़ रहें रंगीन दीवारों के
सूख रहीं हैं लतायें की हरियाली जीवन मे
 जिसको देख उदास खड़े रह जाते हैं पत्ते विहीन निशीथ ---

 #निशीथ

©Nisheeth pandey आजकल मेरी सुबह उदास खड़े रहते हैं
धूप के रंग उलझे पड़े रहते हैं
बिखरी बिखरी सी कमरे की रौनक
कैनवास पर चित्र के रंग उड़े रहते हैं....

यह किस

अज्ञात ❤️

खुशियों से भरा था बचपन मेरा छोटी छोटी आँखो में खाव्ब बहुत थे पंख लगा अज़ादी के अब उड़ने के खाव्ब बहुत थे बैठ के कांधे पे बाबा के ये जहां उ

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 खुशियों से भरा था बचपन मेरा छोटी छोटी आँखो में खाव्ब बहुत थे 
पंख लगा अज़ादी के अब उड़ने के खाव्ब बहुत थे 
बैठ के कांधे पे बाबा के ये जहां उ

Udaychaudhary

वेदना ----- संबंधों के बीच कहाँ अब वो भाव समर्पण है। स्पंदित हो रहा ह्रदय श्रांत क्लांत मेरा मन है।। रहे नहीं वो जो प्रेम की संज

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