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स्मृति.... Monika
Kalim
अचानक त्या वळणावर तुझ्या नि माझ्या नजरेच जुळणं आणि त्यातच होत आकाशातील सप्त रंगांचे एकमेकात मिसळणं.. ©Kalim अचानक त्या वळणावर तुझ्या नि माझ्या नजरेच जुळणं आणि त्यातच होत आकाशातील सप्त रंगांचे एकमेकात मिसळ
PARBHASH KMUAR
प्यारे भक्तजनों, क्या आपने कभी किसी ऐसी स्त्री के बारे में सुना है, जिसकी रचना स्वयं एक ऋषि मुनि ने की हो और आगे चलकर, वही उनके जीवनसाथी भी बने हों? अगर नहीं, तो आज हम आपको ऐसी ही एक रोचक कहानी से परिचित कराएंगे और बताएँगे, कि आखिर इस कथन के क्या मायने हैं, कि ‘जहां चाह वहां राह’। तो भक्तों, आप में से काफ़ी लोग धर्म ग्रंथो में शामिल रामायण और महाभारत से परिचित होंगे। इन्हीं ग्रंथों में, अगस्त्य मुनि नाम के एक ऋषि का भी परिचय भी मिलता है। ऐसी मान्यता है, कि वह प्रसिद्ध सप्त ऋषियों और प्रसिद्ध 18 सिद्धों में से एक थे, जो कई सालों तक पोथिगई की पहाड़ियों में विराजमान होकर, जीवनयापन करते रहे थे। महाभारत की एक कथा के अनुसार, एक समय अगस्त्य मुनि को अपने पितरों की तृप्ति और शांति के लिए, विवाह करने की प्रबल इच्छा जागृत हुई। मगर जब उन्हें अपने योग्य कोई कन्या प्राप्त नहीं हुई, तो उन्होंने बहुत सारे जीव-जंतुओं के अंश लेकर, स्वयं ही एक कन्या की रचना की। इसके साथ ही, उन्होंने उस कन्या को संतान के रूप में विदर्भराज को सौंप दिया, जो संतान प्राप्ति के लिए काफ़ी इच्छुक थे। यही कन्या, लोपामुद्रा थीं। इस बात का उल्लेख, काफ़ी सारी जगहों पर मिलता है, कि लोपामुद्रा खुबसूरत होने के साथ-साथ, अत्यंत बुद्धिमान भी थीं और उनके सौंदर्य के चर्चे भी हुआ करते थे। इसी कारणवश, जब उन्होंने ऋषि अगस्त्य से शादी करना स्वीकार किया, तब इस बात से लोगों को हैरानी भी हुई, कि ऐसी रूपवती और राजसी कन्या एक ऋषि से शादी के लिए, कैसे अपना ऐश्वर्य और ठाठ छोड़ रही है। मगर वो कहते हैं ना, कि नियत और नियति से सब कुछ परे है और धर्म ग्रंथ तो होते ही हैं, असंभव के आगे का रास्ता बताने के लिए। तो भक्तों, आप भी इस विचार के साथ अपने जीवन मार्ग में आगे बढ़ें, कि असंभव केवल एक मिथ्या है और कुछ नहीं। ©parbhashrajbcnegmailcomm प्यारे भक्तजनों, क्या आपने कभी किसी ऐसी स्त्री के बारे में सुना है, जिसकी रचना स्वयं एक ऋषि मुनि ने की हो और आगे चलकर, वही उनके जीवनसाथी भी
Parasram Arora
शब्द तंत्र क़ो संवारने से बेहतर होगा कि हम मधु संगीत के सप्त सुरों क़ो अपनी जीवन विणा पर छेड़ना शुरू करें ताकि ग्रंथिया उर की खुले ताकि सरल सरस हास विलास अधरों पर फूटे ताकि ले जा सके हम जीवन तरणी क़ो उस पार.... जहाँ गूँज रहा मुक्ति का संगीत और जहाँ अलापा जा रहा प्रतिक्षित मोक्ष का सप्त स्वर ©Parasram Arora सप्त स्वर
R K
गुनगुना कर, गीत प्यार के यूं दूर ना जाया कर तेरी मौजूदगी ही, सप्त रागनी सी है ©R K # सप्त रागनी
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। सप्त प्राणाः प्रभवन्ति तस्मात् सप्तार्चिषः समिधः सप्त होमाः। सप्त इमे लोका येषु चरन्ति प्राणा गुहाशया निहिताः सप्त सप्त ॥ उसी' से सप्त प्राणों का जन्म हुआ है, सप्त ज्वालाएँ, विभिन्न समिधाएँ सप्त होम तथा ये सन्त लोक जिनमें प्राण हृदय-गुहा को अपना बना कर विचरण करते हैं, 'उसी' से उत्पन्न हैं; सभी सात-सात के समूहों में हैं। The seven breaths are born from Him and the seven lights and kinds of fuel and the seven oblations and these seven worlds in which move the lifebreaths set within with the secret heart for their dwellingplace, seven and seven. ( मुंडकोपानिषद २.१.८ ) #मुण्डकोपनिषद #उपनिषद #मंत्र #सप्त
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। सप्त प्राणाः प्रभवन्ति तस्मात् सप्तार्चिषः समिधः सप्त होमाः। सप्त इमे लोका येषु चरन्ति प्राणा गुहाशया निहिताः सप्त सप्त ॥ 'उसी' से सप्त प्राणों का जन्म हुआ है, सप्त ज्वालाएँ, विभिन्न समिधाएँ सप्त होम तथा ये सन्त लोक जिनमें प्राण हृदय-गुहा को अपना बना कर विचरण करते हैं, 'उसी' से उत्पन्न हैं; सभी सात-सात के समूहों में हैं। The seven breaths are born from Him and the seven lights and kinds of fuel and the seven oblations and these seven worlds in which move the lifebreaths set within with the secret heart for their dwellingplace, seven and seven. ( मुंडकोपनिषद २.१.८ ) #मुण्डकोपनिषद #उपनिषद् #सप्त #यथा
प्रीत
मेरे नज़्मे-इश्क की वो आख़िरी किरन थी, मुझे कहा पता था की उसने "VIBGYOR" का चश्मा पहना है। -शब्द प्रीत #सप्त-रंगी-इश्क #शायरी
राजेश गुप्ता'बादल'
मोदी मोदी खूब भई ,मिली तीन सौ तीन। सप्त सुरों से सज गई ,राष्ट्रवाद की बीन।। मोदी मोदी खूब भई ,मिली तीन सौ तीन। सप्त सुरों से सज गई ,राष्ट्रवाद की बीन।।
Guru mantra 444