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Devesh Dixit
नींद (दोहे) सबसे प्यारी नींद है, पूरी करना मान। जिसको आती यह नहीं, होता वह हैरान।। थका-थका तब वह लगे, नींद करे बेहाल। जब तक सोता है नहीं, पीड़ित रहे कपाल।। बना रहे व्यवधान भी, काम रहे नाकाम। त्रुटियों से भरपूर वह, अनुचित हो अंजाम।। आती खुद से नींद जब, उचित रहे व्यवहार। सफल रहे वह काम में, जीवन सुखी अपार।। आती खुद से है नहीं, निद्रा जिसको जान। लेनी पड़ती है दवा, पूरी होती मान।। ईश्वर ने दी नींद है, उचित करो उपयोग। समय-समय पर लें इसे, दूर रहें तब रोग।। अधिक समय इस नींद को, देना मत तुम मान। काम सभी हों देर से, बनो नहीं नादान।। ......................................................... देवेश दीक्षित स्वरचित एवं मौलिक ©Devesh Dixit #नींद #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry नींद (दोहे) सबसे प्यारी नींद है, पूरी करना मान। जिसको आती यह नहीं, होता वह हैरान।। थका-थका त
PARBHASH KMUAR
रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।। भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्। रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।। सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं। आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।। इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्। मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।। मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों। करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।। एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली। तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।। जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।। Prabhash Kumar ©parbhashrajbcnegmailcomm रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु
कवि मनीष
https://pocketfm.app.link/40RHlEZDc1 काल के कपाल पर बैठा है वो.. #कविमनीष
Rajesh Raana
काल के कपाल पर जो रच दे नाद ब्रह्म का , एकांतप्रिय , भस्मीभूत अघोरपंथी त्रयम्बका । (१) श्मशानवासी , मुंडधारी ,कपाल कालधारी, डगडग डगडग डमरू निनादकारी त्रिनेत्रा । (२) अवधूत , जटाजूट , भभूतधारी अभियन्ता , सकल चराचर स्वामी , कर्मकारी नियंता । (३) - राणा ★ © ¥ हर हर महादेव ¥ शिवरात्रि #काल के #कपाल पर जो रच दे #नाद ब्रह्म का , एकांतप्रिय , #भस्मीभूत #अघोरपंथी #त्रयम्बका । (१) #श्मशानवासी , #मुंडधारी ,कपाल #कालधा
Sk mandal
कलम के कमाल से कपाल के काल को कैद कर कंप के कटाक्ष के कसला को करतार करे करमा,कर्म कई के कठोर करूँ कायनात को काबू न कोई कमजोर.... कलम के कमाल से कपाल के काल को कैद कर कंप के कटाक्ष के कसला को करतार करे करमा,कर्म कई के कठोर करूँ कायनात को काबू न कोई कमजोर....
Abhishek 'रैबारि' Gairola
खौस पूर्णता की क्या बात है यदि यह अगर सिद्धि का मापक होती तो हरित पादपों के कपाल पर सफ़ेद पुष्पों की खौस न होती। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola खौस पूर्णता की क्या बात है यदि यह अगर सिद्धि का मापक होती तो हरित पादपों के कपाल पर सफ़ेद पुष्पों की खौस न होती। ।। #love #life #poem #poet
Neha Pathak
जय जय गिरिराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥ जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनी दुति गाता॥ देवी पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥ मोर मनोरथ जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही के॥ कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं। अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥ बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मुरति मुसुकानि॥ सादर सियं प्रसादु सर धरेऊ। बोली गौरी हरषु हियं भरेऊ॥ सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥ नारद बचन सदा सूचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा!! मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो। करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥ एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
आयुष पंचोली
हर किसी की बातों पर प्रतिक्रिया दूं, इतना छोटा व्यक्तित्व नही मेरा। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर अपनी मस्ती मे चलता जाता हूँ, महाकाल का सेवक हूँ काल के कपाल पर लिखते जाता हूं। ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #ayuspiritual #hindimerijaan #mereprashnmerisoch हर किसी की बातों पर प्रतिक्रिया दूं, इतना छोटा व्यक्तित्व नही मेरा। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर अपनी मस्ती मे चलता जाता हूँ, महाकाल का सेवक हूँ का
Suyash
वृक्षों की भांती हर मौसम हर पहर अड़िग रहिए चाहे परिस्थियाँ कुछ भी क्यों ना हो अपने आप को अड़िग स्थिर रखिए !! सुप्रभात। अंदर बाहर का मौसम कैसा भी हो आप जहाँ हैं वहीं पे रहिए स्थिर रहिए वृक्षों की भांती हर मौसम हर पहर अड़िग रहिए चाहे परिस्थियाँ कुछ भी