Nojoto: Largest Storytelling Platform

New कठोपनिषद Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about कठोपनिषद from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कठोपनिषद.

    PopularLatestVideo

राहुल अग्निहोत्री

कठोपनिषद लोक्ति nojoto #poem

read more
सस्यमिव मतर्या: पच्यते सस्यामिवाजायते पुनः।

अर्थात

मरणधर्मा मनुष्य अनाज की तरह है 
जो जराजीर्ण होकर मर जाता है
और फिर पुनः जन्म लेता है। कठोपनिषद लोक्ति #nojoto #poem

Suman Pandey

कठोपनिषद नचिकेताकुँवरनारायण हिंदी कविता कविता हिन्दीकविता NITKavi

read more
mute video

DURGESH AWASTHI OFFICIAL

मार्कण्डेयजी को अमरत्व देने वाला भगवान शिव का मृत्युंजय स्तोत्र!!!!!! भगवान शिव के प्रसिद्ध नाम महाकाल और मृत्युजंय हैं । शिव के मृत्युंजय न #पौराणिककथा #BookLife

read more
मार्कण्डेयजी को अमरत्व देने वाला भगवान शिव का मृत्युंजय स्तोत्र!!!!!!
भगवान शिव के प्रसिद्ध नाम महाकाल और मृत्युजंय हैं । शिव के मृत्युंजय नाम की सार्थकता यही है कि जिस वस्तु से जगत् की मृत्यु होती है, उसे वह जय कर लेते हैं तथा उसे भी प्रिय मानकर ग्रहण करते हैं ।
‘शिवस्य तु वशे कालो न कालस्य वशे शिव:।’
अर्थात्—‘हे शिव ! काल आपके अधीन है, आप काल से मुक्त चिदानन्द हैं ।’ जिसे मृत्यु को जीतना हो, उसे हे भगवन् ! आपमें स्थित होना चाहिए । आपका मन्त्र ही मृत्युज्जय है ।
कठोपनिषद् में कहा गया है–’समस्त विश्व प्रपंच जिसका ओदन (भात) है, मृत्यु जिसका उपसेचन (दूध, दही, दाल या कढ़ी) है, उसे कौन, कैसे, कहां जाने ? जैसे प्राणी कढ़ी-भात मिलाकर खा लेता है, उसी तरह प्रलयकाल में समस्त संसार प्रपंच को मिलाकर खाने वाला परमात्मा शिव मृत्यु का भी मृत्यु है, अत: महामृत्युंजय भी वही है, काल का भी काल है, अत: वह कालकाल या महाकालेश्वर कहलाता है । उसी के भय से सूर्य, चन्द्र, अग्नि, वायु, इन्द्र आदि नियम से अपने-अपने काम में लगे हैं । उसी के भय से मृत्यु भी दौड़ रही है ।’
उन्हीं भगवान महाकाल शिव ने अल्पायु मार्कण्डेयजी को उनके स्तोत्र पाठ से प्रसन्न होकर श्रावण मास में अमरता का वरदान दिया था ।
केवल सोलह वर्ष की आयु वाले मार्कण्डेयजी कैसे हो गये चिरंजीवी ?
महामुनि मृकण्डु के कोई संतान नहीं थी । उन्होंने अपनी पत्नी मरुद्वती के साथ तपस्या कर भगवान शंकर को प्रसन्न किया । भगवान शंकर ने मृकण्डु मुनि से कहा—‘क्या तुम गुणहीन चिरंजीवी पुत्र चाहते हो या केवल सोलह वर्ष की आयु वाले एक सभी गुणों से युक्त, लोक में यशस्वी पुत्र की इच्छा रखते हो ?’
मृकण्डु मुनि ने गुणवान किन्तु छोटी आयु वाले पुत्र का वर मांगा ।
समय आने पर मृकण्डु मुनि के घर सूर्य के समान तेजस्वी पुत्र का जन्म हुआ । मरुद्वती के सौभाग्य से साक्षात् भगवान शंकर का अंश ही बालक के रूप में प्रकट हुआ । मृकण्डु मुनि ने बालक के सभी संस्कार सम्पन्न किये और उसे सभी वेदों का अध्ययन कराया । बालक मार्कण्डेय केवल भिक्षा के अन्न से ही जीवन निर्वाह करता और माता-पिता की सेवा में ही लगा रहता था ।
जब मार्कण्डेयजी की आयु का सोलहवां वर्ष शुरु हुआ तो मृकण्डु मुनि शोक में डूब कर विलाप करने लगे । अपने पिता को विलाप करते देखकर मार्कण्डेयजी ने उनसे इसका कारण पूछा ।
मृकण्डु मुनि ने कहा—‘पिनाकधारी भगवान शंकर ने तुम्हें केवल सोलह वर्ष की आयु दी है । उसकी समाप्ति का समय अब आ पहुंचा है; इसलिए मुझे शोक हो रहा है ।’
मार्कण्डेयजी ने कहा—‘आप मेरे लिए शोक न करें । मैं मृत्यु को जीतने वाले, सत्पुरुषों को सब कुछ देने वाले, महाकालरूप और कालकूट विष का पान करने वाले भगवान शंकर की आराधना करके अमरत्व प्राप्त करुंगा ।’
मृकण्डु मुनि ने कहा—‘तुम उन्हीं की शरण में जाओ, उनसे बढ़कर तुम्हारा दूसरा कोई भी हितैषी नहीं है ।’
माता-पिता की आज्ञा लेकर मार्कण्डेयजी दक्षिण समुद्र-तट पर चले गये और वहां अपने ही नाम से एक शिवलिंग स्थापित किया । तीनों समय वे स्नान करके भगवान शिव की पूजा करते और अंत में मृत्युंजय स्तोत्र पढ़कर भगवान के सामने नृत्य करते थे । उस स्तोत्र से भगवान शंकर शीघ्र ही प्रसन्न हो गये ।
जिस दिन मार्कण्डेयजी की आयु समाप्त होने वाली थी, वे पूजा कर रहे थे, मृत्युंजय स्तोत्र पढ़ना बाकी था । उसी समय मृत्युदेव को साथ लिए काल उन्हें लेने के लिए आ पहुंचा और उसने मार्कण्डेयजी के गले में फंदा डाल दिया ।
मार्कण्डेयजी ने कहा—‘मैं जब तक भगवान शंकर के मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ पूरा न कर लूं, तब तक तुम मेरी प्रतीक्षा करो । मैं शंकरजी की स्तुति किये बिना कहीं नहीं जाता हूँ ।’
काल ने हंसते हुए कहा—‘काल इस बात की प्रतीक्षा नहीं करता कि इस पुरुष का काम पूरा हुआ है या नहीं । काल तो मनुष्य को सहसा आकर दबोच लेता है ।’
मार्कण्डेयजी ने काल को फटकारते हुए कहा—‘भगवान शंकर के भक्तों पर मृत्यु, ब्रह्मा, यमराज, यमदूत और दूसरे किसी का प्रभुत्व नहीं चलता है । ब्रह्मा आदि सभी देवता क्रुद्ध हो जाएं, तो भी वे उन्हें मारने की शक्ति नहीं रखते हैं ।’
काल क्रोध में भरकर बोले—‘ओ दुर्बुद्धि ! गंगाजी में जितने बालू के कण हैं, उतने ब्रह्माओं का में संहार कर चुका हूँ । मैं तुम्हें अपना ग्रास बनाता हूँ । तुम इस समय जिनके दास बने बैठे हो, वे महादेव मुझसे तुम्हारी रक्षा करें तो सही !’
जैसे ही काल ने मार्कण्डेयजी को ग्रसना शुरु किया, उसी समय भगवान शंकर उस लिंग से प्रकट हो गये और तुरंत ही हुंकार भर कर मृत्युदेव की छाती पर लात मारकर उसे दूर फेंक दिया ।
मार्कण्डेयजी ने तुरंत ही मृत्युंजय स्तोत्र से भगवान शंकर की स्तुति करना शुरु कर दिया ।
मृत्युंजय स्तोत्र में सोलह श्लोक हैं । ब्लॉग के अधिक लम्बा हो जाने के कारण यहां आठ श्लोक ही दिए जा रहे है, जो इस प्रकार हैं—
रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम् ।
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जो दु:ख को दूर करने के कारण रुद्र कहलाते हैं, जीवरूपी पशुओं का पालन करने से पशुपति, स्थिर होने से स्थाणु, गले में नीला चिह्न धारण करने से नीलकण्ठ और भगवती उमा के स्वामी होने से उमापति नाम धारण करते हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
कालकण्ठं कलामूर्तिं कालाग्निं कालनाशनम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जिनके कण्ठ में काला दाग है, जो कलामूर्ति, कालाग्नि स्वरूप और काल के नाशक हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
नीलकण्ठं विरुपाक्षं निर्मलं निरुपद्रवम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जिनका कण्ठ नीला और नेत्र विकराल होते हुए भी जो अत्यन्त निर्मल और उपद्रव रहित हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जो वामदेव, महादेव, विश्वनाथ और जगद्गुरु नाम धारण करने वाले हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
देवदेवं जगन्नाथं देवेशमृषभध्वजम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्— जो देवताओं के भी आराध्यदेव, जगत् के स्वामी और देवताओं पर भी शासन करने वाले हैं, जिनकी ध्वजा पर वृषभ का चिह्न बना हुआ है, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
अनन्तमव्ययं शान्तमक्षमालाधरं हरम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जो अनन्त, अविकारी, शान्त, रुद्राक्षमालाधारी और सबके दु:खों का हरण करने वाले हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपदकारणम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।।
अर्थात्—जो परमानन्दस्वरूप, नित्य एवं कैवल्यपद (मोक्ष) की प्राप्ति के कारण हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणम् । 
नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति ।। पद्मपुराण के उत्तरखण्ड (२३७। ८३-९०)
अर्थात्—जो स्वर्ग और मोक्ष के दाता तथा सृष्टि, पालन और संहार के कर्ता हैं, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ । मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ?
इस प्रकार भगवान शंकर की कृपा से मार्कण्डेयजी ने मृत्यु पर विजय और असीम आयु पाई । भगवान शंकर ने उन्हें कल्प के अंत तक अमर रहने और पुराण के आचार्य होने का वरदान दिया । मार्कण्डेयजी ने मार्कण्डेयपुराण का उपदेश किया और बहुत से प्रलय के दृश्य देखे हैं ।
यह बात अनुभवसिद्ध है कि इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक कम-से-कम १०८ पाठ करने से मरणासन्न व्यक्ति भी स्वस्थ हो जाता है । मृत्युंजय स्तोत्र के पाठ का यही फल है कि मनुष्य को मृत्यु का भय नहीं रहता है । ‘जो आया है वह जायेगा जरुर’ पर कालों के काल महाकाल की भक्ति मनुष्य को जीवन जीना और मौत से न डरना सिखाती है ।

||आचारर मिश्र:||

©Surbhi Gau Seva Sanstan मार्कण्डेयजी को अमरत्व देने वाला भगवान शिव का मृत्युंजय स्तोत्र!!!!!!
भगवान शिव के प्रसिद्ध नाम महाकाल और मृत्युजंय हैं । शिव के मृत्युंजय न

ashutosh anjan

युवाओं का जीवन(लेख) युवा शक्ति किसी देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है कि आधुनिक युग मे किसी देश की शक्ति और संसाधनों का अनुमान इस आधार पर लगाया #yourquote #yourquotebaba #yourquotedidi #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkयुवाओंकाजीवन #रमज़ान_कोराकाग़ज़

read more
युवाओं का जीवन (लेख)
👇 कैप्शन में पढ़े। युवाओं का जीवन(लेख)
युवा शक्ति किसी देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है कि आधुनिक युग मे किसी देश की शक्ति और संसाधनों का अनुमान इस आधार पर लगाया
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile