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S K Sachin उर्फ sachit
मेरी नई पुस्तक ©S K Sachin उर्फ sachit #गजल#पुस्तक#हिन्दी
Khan Sahab
मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है, ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है, मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना तेरे दर्द का ये असर आख़िरी है...! ©Khan Sahab #गजल आखिरी है
Dr.Javed khan
White [ मां ] सिवा तेरे हर रिश्ते में सौदा देखा, ऐ मां तुझ में ही मैंने खुदा देखा। बेलौश मुहब्बत का मजसमा तू है, तेरी पनाह में बेपनाह सुकूँ देखा। कर्ज़ आंसूओं का मैं चुकाओं कैसे, एहसानों से तेरे ख़ुद को दबा देखा। थक गया जिंदगी के कश्मकश से जब भी, तुझ में ही उम्मीदों का दिया जलता देखा। आश अब है ही नहीं किसी से भी ज़रा, बर्बाददियों पे ज़माने ने बस तमाशा देखा। ©Dr.Javed khan #mothers_day #शायरी #गजल #shayri
HARSH369
White मेरी अंन्धेरी रातों मे तुम मेरे हमसफर मेरे दुख के लम्हों मे मेरे दर्दे जिगर और क्या कहूं तुम्हे ओ! चांद मेरे..! कभी नींद ना आई तो तुम्हे देख लिये दिल की बात जब कोई ना सुने,तुम्हे सुना दिये खुद पर कभी क्रोध आया भी तो उपर देखा और तुम्हे बुला लिया.. और कहुं भी तो क्या ए!चांद मेरे..!! ©HARSH369 #Sad_Status ए चांद मेरे
Madhur Nayan Mishra
अब तुम्हारे प्यार के बारे में क्या कहूं? मैं तो तुम्हारे दिए ज़ख्म को भी सीने से लगा कर रखता हूं... ©Madhur Nayan Mishra #MountainPeak #शायरी #गजल
Sunil Kumar Maurya Bekhud
वही शाम वही रात वही तारे हैं मगर मायूस दिल वही नजारे हैं लगा था कल जंग जीत कर आए आज बैठे हैं जैसे जिंदगी से हारे हैं मेरी जहां से खफा हो चांद गया गम मैं डूबे मिलते नहीं किनारे हैं गुल खिले खुशबू से घुट रहा है दम आज बेखुद हमें तड़पा रही बहारें हैं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गजल
Dr. Alpana suhasini
न जाने क्या ज़माना चाहता है, मेरी ख़ुशियां मिटाना चाहता है। मेरी मासूमियत को छीन कर क्यों, मुझे शातिर बनाना चाहता है. अभी कोई कमी बाक़ी है शायद, जो फिर से आज़माना चाहता है। मिटाकर तीरगी अब ज़िन्दगी से, उजाले में वो आना चाहता है। निगाहों से लगे सीधा जिगर पर, वो इक ऐसा निशाना चाहता है । परिंदे की है बस इतनी सी ख़्वाहिश, नशेमन फिर बसाना चाहता है। अल्पना सुहासिनी ©Dr. Alpana suhasini #गजल#गजल_सृजन #
Sunil Kumar Maurya Bekhud
गजल करवट बदल बदल कर क्यूं रात बितातें हैं इक नाम क्यों जमीं पर लिखतें हैं मिटाते हैं मालूम है डगर में लुट जातें हैं मुसाफिर गर लुट गए तो फिर क्यों अब शोर मचाते हैं कट कर पतंग कोई आती न लौट करके धागे में बांध फिर क्यूं खुशियों को उड़ाते हैं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गजल