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Ayush kumar gautam
गजल ए इश्क क्या गुनगुनायें हम, तुम तो बस जुल्फों को उंगलियों में लपेट लेने दो शाम ए वफा तो आने दो हम तुम्हे बाहों में समेट लेंगे कुछ न कहो बस चुप ही रहो हमें जीभर कर फिर से तुम्हे देख लेने दो मुसलसल सिलसिले को मुख्तसर न करो ये जवानी की शराब हमें पी लेने दो होठों को तकलीफ न दो हमें नजरों से ही सबकुछ कह लेने दो दबे पांव आकर चुपके से कानों में कुछ कह लेने दो बिना छुए ही आज जज्बातों में बह लेने दो शायर आयुष कुमार गौतम गजल ए इश्क
Royal Sadik Mehar77
या मौला... हाल ऐ दिल की बेचैनी को करार में तब्दील कर, बंजर होते इन जज्बाती दरख़्तों पर रहमत की कुछ बरसात कर, हम तो तेरे ही फ़क़ीर हैं मौला... हमारी मुश्किलों को कम कर...अपने रहम की कुछ इनायत कर....... ... मेरी कलम... ®$@d!k. m€h@r........77 ©Royal Sadik Mehar77 मदद...या अली...या मेरे परवरदिगार...77 #RAMADAAN
Kumar Pranesh
फलक पे चाँद तारे पर, जहां रौशन नहीं मेरा, पतंगा कैसे जल जाये? श़मा रौशन नहीं मेरा, अंधेरा खूद हीं मिट जाये, अरे नूर- ए-गज़ल मेरी, जो तेरा चाँद सा चेहरा, मेरे सर- ए-बाम पे होगा!! ©Kumar Pranesh #Dreams मेरी नूर-ए-गजल
Maroof alam
गजल जिंदगी ढूँढ रही है सुराग मेरे बाद में कितने बदल गये हालात मेरे बाद में अंधेरा ही अंधेरा है घरों मे अब बुझ गये सब चराग़ मेरे बाद में अकेला ही मंजिल की जानिब देखो चल रहा है महताब मेरे बाद में ये माना जवाब मुकम्मल हैं मगर बहुत सारे हैं अभी सवालात मेरे बाद में वो जो प्यार का भूखा था हरदम घट गई उसकी खुराक मेरे बाद में सुना है उसका पहले जैसा शहर मे न रहा कोई रूआब मेरे बाद में शाम ढले जब देखा उसकी बस्ती मे अधूरी सी लगी हर रात मेरे बाद में भूल चुके सब लोग ऐ"आलम" अब रहा न कुछ याद मेरे बाद में मारूफ आलम मेरे बाद में/गजल