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kesaravinash
हे ऋषि! तुम गए- असत् से सत् की ओर! तम से ज्योति की ओर! मृत्यु से अमृत की ओर! हम गए - सत् से असत् की ओर! ज्योति से तम की ओर! अमृत से मृत्यु की ओर! तुम कितने असभ्य थे! तुम कितने पौराणिक थे! तुम कितने बर्बर थे, ऋषि! तुम कितने अविकसित थे! हम कितने सभ्य हैं! देखो न- हवा ही जला डाली। हम कितने सभ्य हैं! प्यास बढ़ा ली, पानी सूखा डाला। हम कितने नवीन हैं - धरा खोद डाली, नाले पाट डाले। हम कितने उदार हैं! हमारा हर काम 'स्वान्तः सुखाय' है। तुम्हारा हर काम 'परोपकाराय पुण्याय ' था। हाँ, ऋषि! हम विकसित हैं - तुमने नदियों में (किनारे ) घर बनाये, हमने नदियों पर (भर कर ) घर बनाये। ©kesaravinash #केसर
kesaravinash
दर्द के बहाने न देख इस बेदर्द जमाने के चलते-फिरते ताने न देख! दिल के ज़ज्बातों के आगे होंठ के गाने न देख!! डूब के,दरियाव के मौजों में पलते जाले न देख! दिल में सबके दर्द देख, दर्द के बहाने न देख!! गर्दिशों में पल रहे जो सैकड़ों सितारे न देख! यूँ किनारे बैठके लहरों के ताने न देख !! छलछला उठे कभी जो दर्द के प्याले न देख! जिंदगी मदहोशियाँ है, तू मग़र मयख़ाने न देख!! नब्ज़ देख, मर्ज़ देख, सिरहाने- पैताने ना देख! दरमियाँ देख अपने दामन भी कभी, तू मेरे फाने ना देख!! ---------- कुमार अविनाश केसर ©kesaravinash #केसर
Rahul Saraswat
है रंग केसरिया त्याग, तप, यज्ञ, जप सम्मान, सद्भावना, हैं रंग केसरिया शक्ति, भक्ति दया, धर्म, श्रृंगार, उपासना है रंग केसरिया वर्ण, सुगंध प्रताप, वैभव, विज्ञान,सुशोभना का प्रतीक मात्र है रंग केसरिया #केसर#yqdidi
shappy
लॉकडाउन में घर के किचन में कौनसी चीज कहां रखी है,किस मर्तबान में क्या है इसका संपूर्ण ज्ञान हो गया है मुझे, लेकिन एक चीज जो मुझे कभी ढूंढने से भी नहीं मिलेगी वो है मां की छुपाई केसर की छुटकी सी डिब्बी, ना जाने किचन के कौनसे खुफिया दराज में आराम फरमा रही है। ©shappy केसर की डिब्बी#केसर#किचन#घर#nojoto#पल
Roohi Bhargava
तेरा यों नज़रें घुमा लेना, वो चेहरा छुपा लेना, वो मीठी सी मुस्कान, वो रूमानी अंदाज़, वो तल्ख आवाज़, सब याद है, बस तेरा चेहरा अनजान है... केसरीया बालम... तेरा ही इंतज़ार है। #केसर #केसरीया #YQDidi
Azaad Pooran Singh Rajawat
"विद्युत रोशनी से जगमग होती रजनी कोना कोना खूबसूरत लगता प्रसन्नता से भर जाती धरनी रिमझिम रिमझिम मावठ बरस रही है मीठी सर्दी अपना रंग दिखा रही है मोती से दमक रहे ओसकण फसल पर किसान हृदय को प्रसन्नता हो रही है मूली, मेथी, बथुआ के पराठे मां बच्चों को खिला रही है वात्सल्य के साथ गरम दूध केसर का मां बच्चों को पिला रही है।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #2023Recap #गर्म दूध केसर का#