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Gurudeen Verma

White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
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जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे।
मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।

एक था वो जिसने जाना नहीं कभी।
मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।।
चाहता नहीं था वो बात करना।
उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2)
जिसको भी चाहा तुमने --------------------।।

और वो तो खेला जीभरकै दिल से।
बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।।
उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर।
छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।।

अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम।
होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।।
मतलब है इसको सिर्फ पैसों से।
मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

White शीर्षक - जाये तो जाये कहाँ, वतन यह अपना छोड़कर
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जाये तो जाये कहाँ, वतन यह अपना छोड़कर।
जायेंगे हम ना कहीं, चमन यह अपना छोड़कर।।
हम खुश हैं यहीं, हाँ हम खुश हैं यहीं।।
जाये तो जाये कहाँ --------------------------।।

प्यार हमें मिलता है बहुत, यहाँ सभी से सदा।
मिलती है इमदाद बहुत, यहाँ सभी से सदा।।
कहाँ मिलेगा सम्मान इतना, इस जमीं के सिवा।
हम खुश हैं यहीं, हाँ हम खुश हैं यहीं।।
जाये तो जाये कहाँ-------------------------।।

पाला है हमको जन्म से, इस धरती ने प्यार से।
किया है दूर दुःख हमारा, उस धरती ने प्यार से।।
यही तो हमारी है माता, ममता की छाँव ऐसी कहाँ।
हम खुश हैं यहीं, हाँ हम खुश हैं यहीं।।
जाये तो जाये कहाँ------------------------।।

हमारे लिए तो यही है, स्वर्ग- शान्ति और अमन।
जान से प्यारा है हमें, यह वतन और यह चमन।।
होने नहीं देंगे बर्बाद इसको, ऐसा जहां है कहाँ।
हम खुश हैं यहीं, हाँ हम खुश हैं यहीं।।
जाये तो जाये कहाँ------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

White शीर्षक- किससे कहे दिल की बात को हम
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किससे कहे दिल की बात को हम।
हँसता है हरकोई इसको सुनकर।।
करता नहीं है मदद कोई भी।
करते नहीं बात वो भी खुलकर।।
किससे कहे दिल-------------------------।।

मिलायेंगे वो हाथ तो रोज हमसे।
पूछेंगे हाल भी वो दिल का।।
हमारी हाँ में मिलाते हैं हाँ वो।
मगर चल देते हैं वो हँसकर।।
किससे कहे दिल-------------------।।

अगर सुन ले बुरी खबर वो हमारी।
 बहुत हमदर्दी जताते हैं हम पर।।
मगर हो हमें गर दवा की जरूरत।
बढ़ाते नहीं है वो हाथ बढ़कर।।
किससे कहे दिल---------------------।।

पसंद नहीं उनको कष्ट उठाना।
किसी के लिए अपने आँसू बहाना।।
हरकोई भूखा यहाँ है दौलत का।
नहीं कोई लुटाता खुशी भूलकर।।
किससे कहे दिल----------------------।।

मतलब के रिश्ते हैं यहाँ पर सभी के।
बिना स्वार्थ कोई नहीं प्यार करता।।
नहीं मिलती है इज्जत बिना दौलत के।
आते हैं मिलने गरज हाँ समझकर।।
किससे कहे दिल----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर
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अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर।
करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।।
अब नहीं वो वैसे -----------------------।।

देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी।
लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।।
आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर।
अब नहीं वो वैसे -----------------------।।

पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना।
अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।।
होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर।
अब नहीं वो वैसे -------------------------।।

बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को।
करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।।
नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर।
अब नहीं वो वैसे ------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

Black शीर्षक- बाबा भीम आये हैं
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(शेर)- नहीं कोई उनसा जमीं पर, जैसे बाबा भीम है।
    मसीहा मानव जाति के, दुनिया में बाबा भीम है।।
करो स्वागत उनका फूलों से, देखो बाबा भीम आये हैं।
विश्व रत्न और ज्ञान के प्रतीक, दुनिया में बाबा भीम है।।
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बजाओ बाजा स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।
सजावो फूलों से राह, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।।

इनके चेहरे का तेज, करें रोशन हम सबको।
इनकी अंगुली का इशारा, दिखाये राह हम सबको।।
दिखाने हमको सही मंजिल, बाबा भीम आये हैं।
जलावो दीप स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।।

इनके हाथ का संविधान, देता है सबको न्याय- अधिकार।
इनकी शिक्षा और ज्ञान का, लोहा मानता है संसार।।
शिक्षा है शेरनी का दूध, बताने भीम आये हैं।
बरसाओ फूल तुम उन पर, बाबा भीम आये हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।।

बाबा भीम मसीहा है, सभी धर्मों जाति के।

बाबा भीम उद्वारक है, बहुजन- नारी जाति के।।
बचाने इंसानियत को, बाबा भीम आये हैं।
करो स्वागत तुम चलकर, बाबा भीम हैं।।
बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी
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कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी।
मोहब्बत यह मेरी खुशी लायेगी कभी।।
मजबूर करेगी उसको, मिलने को मुझसे।
मुलाकात हमारी मोहब्बत करवायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

वह भी तो देखती होगी, कोई ख्वाब जीवन का।
चाहती होगी कोई साथी, वह भी अपने जीवन का।।
वह भी तो तड़पती होगी, रातों में बेचैन होकर।
उसकी बेचैनी उसकी चाहत को, जगायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

मालूम है उसको, मेरी मोहब्बत की कहानी।
जिसमें बसी है उसकी, खुशी- ओ- रवानी।।
उसने भी तो रंग, इसमें भरें है प्यारे-सुनहरे।
जीवन में बहार, यह कहानी लायेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।

मेरे बिना वह खुश कभी, रह नहीं सकती।
गमो- दर्द में वह कभी, जी नहीं सकती।।
बहुत मौज की है उसने, मेरी इन बाँहों में।
फिर से मेरी इन बाँहों में, वह आयेगी कभी।।
कोशिश मेरी बेकार----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक- अपनी शान के लिए माँ- बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
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(शेर)- क्यों कर रहे हैं बच्चें आत्महत्या, इसका गुनाहगार कौन है।
  अपनी शानो- इज्जत का औजार, बच्चों को बना रहा कौन है।।
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अपनी शान के लिए माँ- बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं।
कि आकर मानसिक तनाव में, आत्महत्या बच्चें करते हैं।।
अपनी शान के लिए माँ- बाप---------------------।।

औरों को दिखाने को खुद को महान, बुनते हैं क्यों ऐसे सपनें।
थोप देते हैं अपने बच्चों पर, माँ- बाप क्यों फिर अपने सपनें।।
साकार करने को अपने सपनें, बच्चों के सपनें कुचलते हैं।
कि आकर मानसिक तनाव में, आत्महत्या बच्चें करते हैं।।
अपनी शान के लिए माँ- बाप-------------------।।

नहीं पूछते हैं बच्चों से कभी, बच्चों की किसमें है रूचि।
औरों से करने के लिए तुलना, मार देते हैं बच्चों की रुचि।।
बताकर खुद को उनका मालिक, खामोश बच्चों को रखते हैं।
कि आकर मानसिक तनाव में, आत्महत्या बच्चें करते हैं।।
अपनी शान के लिए माँ- बाप--------------------।।

जरूरी नहीं बन जायेंगे, सभी सरकारी अधिकारी यहाँ।
अपनी योग्यता- हुनर से कोई, नहीं होगा बेरोजगार यहाँ।।
कठपुतली समझकर बच्चों को, क्यों खुद से पराया करते हैं।
कि आकर मानसिक तनाव में, आत्महत्या बच्चें करते हैं।।
अपनी शान के लिए माँ- बाप--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूला पाना
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बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूला पाना।
दिलो- दिमाग में बसी, तेरी तस्वीर मिटा पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से------------------।।

लग भी जाता है दिल भी, चमन की खूबसूरती में।
मगर आसान नहीं दिल को, यहाँ पर हँसा पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से-----------------।।

गुस्सा भी आता है तुमपे, याद कर तेरी बेवफ़ाई।
किसी की तू बने साथी, मुश्किल है यह देख पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से-----------------।।

हम तो कहते हैं सबसे, नहीं है और कोई देवी।
हमको पसंद नहीं और को, अपना बना पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से-----------------।।

बुलाते हैं हमको और भी, अपना साथी बनाने को।
मगर मुश्किल है प्यार, किसी और को लुटा पाना।।
बहुत मुश्किल है दिल से------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक- अधखिली यह कली
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अधखिली यह कली , जो खिलती कभी ।
तोड़ डाला इसे , जालिमों ने अभी ।।
यह तो मिटने चली , जो महकती कभी ।
अधखिली यह कली -------------------------।।

यह डोली यहाँ जिसकी , सजने लगी है ।
यह शहनाई यहाँ जो , बजने लगी है ।।
अभी तो है बचपन, उम्र खेलने की ।
बन गई है दुल्हन ,मेहंदी इसके लगी है ।।
दे रहे हैं विदाई , इसको सभी ।
मिट गए इसके अरमां , आज सभी ।।
अधखिली यह कली -------------------------।।

यह किसको सुनाये , कहानी अपनी ।
बैठी रहती है खामोश , गुमशुम बनी ।।
इसके सपनों से मतलब , किसी को नहीं ।
यह तो व्यापार की एक ,वस्तु बनी ।।
लगी है नजर इसके , हुस्न पर ।
कर रहे हैं इसी का , सौदा सभी ।।
अधखिली यह कली --------------------------।।

नहीं इसका नसीब , हक जताये अपना ।
आसमां को उड़े , तोड़ पहरा अपना ।।
इसके दुश्मन नहीं और , अपने ही है ।
अब बताये किसे यह , दर्द अपना ।।
यह बनकर शमां , करती रोशनी ।
मगर इसको तो , बुझा दिया अभी ।।
अधखिली यह कली ------------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक- वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
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वो ही तो यहाँ, बदनाम प्यार को करते हैं।
समझकर जिनको सज्जन, हम प्यार करते हैं।।
वो ही तो यहाँ ----------------------------।।

करते हैं वो जुदा दिलों को, धर्म के नाम पर।
करते हैं वो सितम दिलों पर, शर्म के नाम पर।।
वो ही तो सरहद, मोहब्बत में खींचा करते हैं।
वो ही तो यहाँ ---------------------------।।

पसन्द नहीं है उनको, अफ़साना दिल के प्यार का।
तोड़कर रस्मो- रिवाज को, बसाना घर प्यार का।
प्रेमियों के खूं से वो, उपदेश अपना लिखते हैं।
वो ही तो यहाँ ----------------------------।।

चाहते नहीं मिटाना वो, दूरियाँ भेदभाव की।
जलती हुई बुझाना, अग्नि यहाँ अलगाव की।।
वो ही तो फिर प्यार को, भगवान यहाँ कहते हैं।
वो ही तो यहाँ --------------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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