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anil.gangwar.1994000

कवित्त

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अक्षर से सीखा हमने मिलजुल कर शब्द है बनना ।
शब्दो से सीखा हमने मिलजुल कर वाक्य है बनना ।
वाक्यो से सीखा हमने मिलजुल कर भाषा बनना ।
भाषा से सीखा हमने इस रिश्तो की परिभाषा बनना ।
रिश्तो से सीखा हमने  हंसना रोना हमदम बनना ।
हंसने रोने से याद है आया मां बापू की प्यार और डांट 😑
उससे सीखा संस्कृति और सभ्यता अपने देश की ।
संस्कार से सीखा हमने इस लोकतंत्र की अद्भुत माया ।
लोकतन्त्र से सीखा हमने इस जनमानस से विधि-विधान ।
विधियों से सीखा हमने सत्य कर्म और विज्ञान ।
अभी सीखना बाकी है कई वेद और पुराण ।।
बोलो जय श्री राम, जय श्री राम ।।
गंगवार अनिल कवित्त

Yashpal singh gusain badal'

कवित्त #कविता

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नेता

आये  दिन  चुनाव   के, मीठी  हुई   जुबान ।
जीते   तो फिर खो  गए,जाने कहाँ  श्रीमान ,
जाने कहाँ श्रीमान, "बादल" मिली जो गद्दी !
वादों को वो यूँ  फेंक गए, वो समझ के रद्दी ।

हिस्सा-हिस्सा बांट कर बैठे  हैं ये  लोग ,
बड़ा बुरा होता है ये ,राजसत्ता का रोग ,
राजसत्ता का रोग,ये वोट  बैंक  बनाते ,
फिर होकर निश्चिंत सालों मजे उड़ाते ।

रचना-यशपाल सिंह बादल

©Yashpal singh badal कवित्त

Yashpal singh gusain badal'

कवित्त

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Sanjay Sharma Saras

कवित्त #कविता

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आप हैं सद - गृहस्थ किन्तु हे तपस्वी !
साधना में रत कि ज्यों बोधि का तरुवर,
आपके अस्तित्व से गर्वित  हिमालय,
पुण्यभागी है धरा भारत की श्रीवर।
"राज की गंगा" पुकारे पुनः तुमको,
ले हनु-ध्वज रथ पे हो आरूढ़ प्रियवर।
गिर पड़ी चरणों में लेकर ताज सत्ता,
आपकी व्यक्तित्व-छवि प्रत्यक्ष शंकर।
©® संजय शर्मा 'सरस'
Youtube - Sanjay Sharma Saras कवित्त

Mohan Puri

मनहरण कवित्त #शायरी

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Yashpal singh gusain badal'

कवित्त #sunrays #कविता

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कूट-कूट कर मक्कारियाँ ,ठूँस-ठूँस कर स्वार्थ ।
हित  अपना  सबसे  बड़ा ,काहे  का  परमार्थ ।
काहे   का    परमार्थ-किलिष्ट   हो  गये   नेता !
गिरगिट  के  भी  तात हो  गये ,ये   अभिनेता ।

©Yashpal singh gusain badal' कवित्त

#sunrays

Yashpal singh gusain badal'

कवित्त #OneSeason

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राजनेता

उगल  रहे थे  आग जो  इक दूजे पर रोज ,
उठा  रहे  हैं  आज वो  इक दूजे का बोझ ,
इक दूजे का बोझ,अजब चुनाव की माया !
सांप नेवले को इक दूजे का साथ है भाया ।

अब तक  जो खाते रहे  इक  थाली में  साथ,
मार  रहे  हैं आज  वो इक  दूजे  को  लात ।
इक   दूजे  को  लात,  बदल  गयी है भाषा !
ढूंढ  रहे   हैं  दोनों  अपनी  अपनी    आशा ।

यशपाल सिंह बादल

©Yashpal singh badal कवित्त

#OneSeason

Rahul Shastri worldcitizens2121

सत्संग का अर्थ

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Safar                                 July 10,2019

सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। 
ओशो सत्संग का अर्थ

RAVI KUMAR

#झुकने का अर्थ# #Motivational

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Aman Baranwal

जीवन का अर्थ

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मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें,
खाक होना लाजमी है,
क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
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