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Sarvesh Kumar Maurya
Advocate Manish Sohgaura
अब के रिश्ते बध गए कच्चे धागों से जब जी चाहा तोड़ दिया अपनों ने अपना कहने वालों से
read moreHimanshu Prajapati
लोग कहते हैं की मां बाप के चरणो में स्वर्ग होता है, फिर शादी के बाद बीवी के पल्लू से क्यू बध जाते हैं..? ©Himanshu Prajapati लोग कहते हैं की मां बाप के चरणो में स्वर्ग होता है, फिर शादी के बाद बीवी के पल्लू से क्यू बध जाते हैं..?
लोग कहते हैं की मां बाप के चरणो में स्वर्ग होता है, फिर शादी के बाद बीवी के पल्लू से क्यू बध जाते हैं..? #विचार
read moreRavendra
हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में मनाया गया नेपाल सीमावर्ती बाबागंज कस्बे का दशहरा मेला बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व दशहरा बाबागंज प #न्यूज़
read moreAbhishek Mishra
लॉर्ड राम अयोध्या की कलम से ...... धन्य हुई ये भूमि बन गई जब जन्मभूमि चौदह वर्ष के बाद फ़िर अयोध्या झूमी | ......
अयोध्या की कलम से ...... धन्य हुई ये भूमि बन गई जब जन्मभूमि चौदह वर्ष के बाद फ़िर अयोध्या झूमी | ......
read moreअभि "एक रहस्य"
लॉर्ड राम अयोध्या की कलम से ...... धन्य हुई ये भूमि बन गई जब जन्मभूमि चौदह वर्ष के बाद फ़िर अयोध्या झूमी | ......
अयोध्या की कलम से ...... धन्य हुई ये भूमि बन गई जब जन्मभूमि चौदह वर्ष के बाद फ़िर अयोध्या झूमी | ......
read moreVidya Jha
बेटी बोझ नहीं होती 🖤 Rest in caption ©विद्या झा बेटी बोझ नहीं होती पाला पोसा है माँ बाबा ने बड़ा किया, शिक्षा और ज्ञान दिया फिर क्यूं लड़की ही कोसी जाती है उसकी भी एक दिन विदाई कर दी जात
बेटी बोझ नहीं होती पाला पोसा है माँ बाबा ने बड़ा किया, शिक्षा और ज्ञान दिया फिर क्यूं लड़की ही कोसी जाती है उसकी भी एक दिन विदाई कर दी जात #poem #InspireThroughWriting
read moreVikas Sharma Shivaaya'
🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 20 रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद। सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥20॥ रावण हनुमानजी की और देख कर हँसा और कुछ दुर्वचन भी कहे,परंतु फिर उसे पुत्र का मरण याद आ जानेसे उसके हृदय मे बड़ा संताप पैदा हुआ॥ हनुमानजी और रावण का संवाद रावण हनुमानजी से उनके बारे में पूछता है? कह लंकेस कवन तैं कीसा। केहि कें बल घालेहि बन खीसा॥ की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही। देखउँ अति असंक सठ तोही॥ रावण ने हनुमानजी से कहा कि हे वानर!तू कौन है और कहां से आया है?और तूने किसके बल से मेरे वनका विध्वंस कर दिया है॥मैं तुझे अत्यंत निडर देख रहा हूँ।क्या तूने कभी मेरा नाम अपने कानों से नहीं सुना है?॥ हनुमानजी श्री राम के बारे में बताते है मारे निसिचर केहिं अपराधा। कहु सठ तोहि न प्रान कइ बाधा॥ सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया। पाइ जासु बल बिरचति माया॥ तुझको हम नहीं मारेंगे, परन्तु सच कह दे कि तूने हमारे राक्षसों को किस अपराध के लिए मारा है?रावण के ये वचन सुनकर हनुमानजी ने रावण से कहा कि हे रावण! सुन,यह माया (प्रकृति) जिस परमात्माके बल (चैतन्य शक्ति) को पाकर अनेक ब्रम्हांड समूह रचती है॥ श्री राम का बल और सामर्थ्य जाकें बल बिरंचि हरि ईसा। पालत सृजत हरत दससीसा॥ जा बल सीस धरत सहसानन। अंडकोस समेत गिरि कानन॥ जिसके बल से ब्रह्मा, विष्णु और महेश ये तीनो देव जगत को रचते है,पालते है और संहार करते है॥और जिनकी सामर्थ्य से शेषजी अपने सिर पर वन और पर्वतों सहित इस सारे ब्रम्हांड को धारण करते है॥ भगवान राम के अवतार का कारण धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता। तुम्ह से सठन्ह सिखावनु दाता॥ हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा। तेहि समेत नृप दल मद गंजा॥ और जो देवताओ के रक्षा के लिए और तुम्हारे जैसे दुष्टो को दंड देने के लिए अनेक शरीर (अवतार) धारण करते है॥जिसने महादेवजी के अति कठिन धनुष को तोड़ कर तेरे साथ तमाम राजसमूहो के मद को भंजन किया (गर्व चूर्ण कर दिया) है॥ खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली। बधे सकल अतुलित बलसाली॥ और जिन्होने खर, दूषण, त्रिशिरा और बालि ऐसे बड़े बलवाले योद्धओको मारा है॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम आगे शनिवार को...., श्री राम, जय राम, जय जय राम विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 789 से799 नाम 789 कृतागमः जिन्होंने वेदरूप आगम बनाया है 790 उद्भवः जिनका जन्म नहीं होता 791 सुन्दरः विश्व से बढ़कर सौभाग्यशाली 792 सुन्दः शुभ उंदन (आर्द्रभाव) करते हैं 793 रत्ननाभः जिनकी नाभि रत्न के समान सुन्दर है 794 सुलोचनः जिनके लोचन सुन्दर हैं 795 अर्कः ब्रह्मा आदि पूजनीयों के भी पूजनीय हैं 796 वाजसनः याचकों को वाज(अन्न) देते हैं 797 शृंगी प्रलय समुद्र में सींगवाले मत्स्यविशेष का रूप धारण करने वाले हैं 798 जयन्तः शत्रुओं को अतिशय से जीतने वाले हैं 799 सर्वविज्जयी जो सर्ववित हैं और जयी हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 20 रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद। सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥2
🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 20 रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद। सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥2 #समाज
read moreVikas Sharma Shivaaya'
🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 18 हनुमानजी अक्षय कुमार का संहार करते है कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि। कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल भूरि॥18॥ हनुमानजी ने कुछ राक्षसों को मारा और कुछ को कुचल डाला और कुछ को धूल में मिला दिया और जो बच गए थे वे जाकर रावण के आगे पुकारे कि हे नाथ! वानर बड़ा बलवान है।उसने अक्षय कुमार को मार कर सारे राक्षसों का संहार कर डाला ॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम मेघनाद और ब्रह्मास्त्र का प्रसंग रावण मेघनाद को भेजता है सुनि सुत बध लंकेस रिसाना। पठएसि मेघनाद बलवाना॥ मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही। देखिअ कपिहि कहाँ कर आही॥ रावण राक्षसों के मुख से अपने पुत्र का वध सुन कर बड़ा गुस्सा हुआ और महाबली मेघनादको भेजा॥और मेघनाद से कहा कि हे पुत्र!उसे मारना मत किंतु बांध कर पकड़ लें आना, क्योंकि मैं भी उसे देखूं तो सही वह वानर कहाँ का है॥ मेघनाद हनुमानजी को बंदी बनाने के लिए आता है चला इंद्रजित अतुलित जोधा। बंधु निधन सुनि उपजा क्रोधा॥ कपि देखा दारुन भट आवा। कटकटाइ गर्जा अरु धावा॥ इन्द्रजीत (इंद्र को जीतनेवाला) योद्धा मेघनाद असंख्य योद्धाओ को संग लेकर चला। भाई के वध का समाचार सुनकर उसे बड़ा गुस्सा आया॥हनुमान जी ने उसे देख कर यह कोई दारुण भट (भयानक योद्धा) आता है ऐसे जानकार कटकटा के महाघोर गर्जना की और दौड़े॥ हनुमानजी ने मेघनाद के रथ को नष्ट किया अति बिसाल तरु एक उपारा। बिरथ कीन्ह लंकेस कुमारा॥ रहे महाभट ताके संगा। गहि गहि कपि मर्दई निज अंगा॥ एक बड़ा भारी वृक्ष उखाड़ कर उससे लंकेश्र्वर रावण के पुत्र मेघनाद को विरथ अर्थात रथहीन, बिना रथ का कर दिया॥उसके साथ जो बड़े बड़े महाबली योद्धा थे,उन सबको पकड़ पकड़ कर हनुमान जी ने अपने शरीर से मसल डाला॥ हनुमानजी ने मेघनाद को घूंसा मारा तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा। भिरे जुगल मानहुँ गजराजा॥ मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई। ताहि एक छन मुरुछा आई॥ ऐसे उन राक्षसों को मारकर हनुमानजी मेघनाद के पास पहुँचे।फिर वे दोनों ऐसे भिड़े कि मानो दो गजराज आपस में भीड़ रहे है॥हनुमानजी मेघनाद को एक घूँसा मारकर वृक्ष पर जा चढ़े और मेघनाद को उस प्रहार से एक क्षण भर के लिए मूर्च्छा आ गयी। मेघनाद हनुमानजी से जीत नहीं पाया उठि बहोरि कीन्हिसि बहु माया। जीति न जाइ प्रभंजन जाया॥ फिर मेघनाद ने सचेत होकर बहुत माया रची, अनेक माया ये फैलायी पर वह हनुमानजी से किसी प्रकार जीत नहीं पाया॥ विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 718 से 729 नाम 718 महामूर्तिः जिनकी मूर्ति बहुत बड़ी है 719 दीप्तमूर्तिः जिनकी मूर्ति दीप्तमति है 720 अमूर्तिमान् जिनकी कोई कर्मजन्य मूर्ति नहीं है 721 अनेकमूर्तिः अवतारों में लोकों का उपकार करने वाली अनेकों मूर्तियां धारण करते हैं 722 अव्यक्तः जो व्यक्त नहीं होते 723 शतमूर्तिः जिनकी विकल्पजन्य अनेक मूर्तियां हैं 724 शताननः जो सैंकड़ों मुख वाले है 725 एकः जो सजातीय, विजातीय और बाकी भेदों से शून्य हैं 726 नैकः जिनके माया से अनेक रूप हैं 727 सवः वो यज्ञ हैं जिससे सोम निकाला जाता है 728 कः सुखस्वरूप 729 किम् जो विचार करने योग्य है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 18 हनुमानजी अक्षय कुमार का संहार करते है कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि। कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल
🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 18 हनुमानजी अक्षय कुमार का संहार करते है कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि। कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल #समाज
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