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Sarvesh kumar kashyap
sudhir pathak
Village Life डूब गये तो किनारों से कहना अलविदा हमे उभर गये तो यक़ीन मानो समंदर समेट देंगें ©sudhir pathak #villagelife डूब गये तो किनारों से कहना अलविदा हमे उभर गये तो यक़ीन मानो समंदर समेट देंगें
sameer Kumar
राजकारण
आईनेच पोटच्या लेकरांचं मुंडकं धडावेगळं केलं ©राजकारण सोलापूर/कुईवाडी : घरात सर्वांनी एकत्रितपणे जेवण केले.. आजी-आजोबा एका नातेवाइकांच्या लग्नाला गेले.. सहा वर्षीय चिमुरड्याचे पप्पाही कामानिमित्
Devesh Dixit
खामोश हूँ खामोश रहने दो अभी खामोश हूँ खामोश रहने दो, मुझे मेरे अरमानों में बहने दो। सूख रहा है देख आँखों का पानी, उस पानी को मुझे समेट लेने दो। है दर्द जितना अब मेरी आहों में, सुन सकते हो उसे मेरी साँसों में। खुल कर बताता भी तो कैसे मैं अब, हँसी भी दिखी है उनकी अदाओं में। उम्मीदों को जकड़े रखा है मैंने, हौंसलों को थाम के रखा है मैंने। मत कर ऊँगली अब मेरे इरादों को, उसे मजबूत कर के रखा है मैंने। टूट न जाए ये हौंसले अब मेरे, मत उकेरो तुम इन सपनों को मेरे। पूरा करने में ज़ख्म लिए हैं बहुत, मत कुरेदो तुम उन ज़ख्मों को मेरे। अभी खामोश हूँ खामोश रहने दो, मुझे मेरे अरमानों में बहने दो। सूख रहा है देख आँखों का पानी, उस पानी को मुझे समेट लेने दो। .............................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #खामोश_हूँ_खामोश_रहने_दो #nojotohindi #nojotohindipoetry खामोश हूँ खामोश रहने दो अभी खामोश हूँ खामोश रहने दो, मुझे मेरे अरमानों में बहने
Lotus Mali
मेरा बचपन और मैं..... आज कुछ पन्नों को, समेटकर रख रही थी मैं, उसमें मुझे एक पन्ना तेरी यादों का मिला, उन्हें देखकर, हर पल, हर लम्हा फिर से ताजा हुआ, संभाल कर रखे हुए लम्हों को, उन पुरानी यादों को, कुछ इस कदर जिया मैंने, जैसे मानो तुम मेरे पास ही हो.... तुम्हें पता है, मैं अपनी यादों को समेट कर रखती थी, और सब यादें, आज भी मेरे दिल के करीब है, उन यादों को, कुछ इस कदर जिया मैंने, मानों सदियों बाद मैं खुद से ही मिली हूं मैं खुद से ही मिली हूं..... -LotusMali https://lotusshayari.blogspot.com/ शब्दार्थ: तेरी याद, तुम्हें - बचपन ©Lotus Mali मेरा बचपन और मैं..... आज कुछ पन्नों को, समेटकर रख रही थी मैं, उसमें मुझे एक पन्ना तेरी यादों का मिला, उन्हें देखकर, हर पल, हर लम्हा फिर से
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Village Life औरत इश्क में अल्हड़ की तरह होती है,वो सहरा में बेफिक्र*गजालो की तरह होती है//१ नही पसंद उसे किसी रिश्ते में मिलावट उसको,वो अपनी मुफलिसी में खुशहालो की तरह होती है//२ तब तक नही होती मुत्तासिर जब तक उसे अपनापन ना मिले,वोऐसे मे अबुझे सवालो की तरह होती है//३ फिजूल फितने फसाद नहीं उसकी आदत में शुमार ,वो अपनी पेआए तो*कमोबेशजवालों की तरह होती है/४ हां"शमा"औरत इश्क में अल्हड़ ही होती है नही समेट पाती खुदको,वो गोया फिर बदहालों की तरह होती है//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #villagelife औरत इश्क में*अल्हड़ की तरह होती है,वो सहरा में बेफिक्र*गजालो की तरह होती है//१ दुनियादारी न जानने वाला / वाली*वन*हिरण नही पसंद