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Narendra Sonkar
"प्रेम की पराकाष्ठा" ----------------------- शुरु-शुरु में हर प्रश्न का उत्तर आता था मिनटों में सीधे साधे किसी प्रश्न का अब उत्तर आता है घंटों में और किसी से चैटिंग चलती लगता हूं उबाऊ मैं मत इतना इग्नोर करो कि सूली पर चढ़ जाऊं मैं आएगा जवाब कुछ न कुछ आस जगाए बैठा रहता घंटो से प्रतिक्रिया की आस लगाए बैठा रहता दिन रात तुम्हें ही याद करूं तुम्हीं में खो जाऊं मैं मत इतना इग्नोर करो कि सूली पर चढ़ जाऊं मैं पहले तुमसे चैटिंग करता भोजन करता बाद में तबीयत बिगड़ी धीरे धीरे वाह वाह और दाद में कितना तुमसे प्यार हूं करता कैसे यार समझाऊं मैं मत इतना इग्नोर करो कि सूली पर चढ़ जाऊं मैं ©Narendra Sonkar *प्रेम की पराकाष्ठा*
*प्रेम की पराकाष्ठा* #कविता
read moreRajesh rajak
आओ मिलकर रो लें, बड़ा सुकून मिलता है कभी कभी रोने से, सूख चुकी हैं पलकों को अश्कों से भिंगो ले, दर्द हमने भी देखा है,तुमने भी देखा है, कहना कितना आसान हो जाता है लोगों को, मत लांघो,ये लक्ष्मण रेखा है, पर जब दर्द बेइंतहां हो,अपनी ही सीमा पार कर दे, प्रेम का भी व्यापार कर दे, इक दर्द,विरह आशिक का,जीना मुहाल कर दे, इक दर्द बाप के कांधे पे हो बेटे का जनाजा, महसूस करके देखो,सिर्फ महसूस करो, बो दर्द बाप का कैसा हाल कर दे, दर्द जब अपनी पराकाष्ठा के अंतिम सोपान पर होता है, उसे ही कहते हैं,निष्ठुर मानव मन भी रोता है, उठने लगता है विश्वास,विधि के विधान से, पर ये भी अकाट्य सत्य है,दर्द और बढ़ जाता है, मुंह मोड़ लेना,या हार जाना दुनिया जहान से, दर्द की पराकाष्ठा,
दर्द की पराकाष्ठा,
read moreDileep Bhope
कुणाच्या हातात कुणाची नाडी नागडे झाले तरी चल खेळू फुगडी ©Dileep Bhope #निर्लज्जता
Ashok Verma "Hamdard"
चीर हरण की चिंता नहीं चीर वस्त्र है पहनें, निर्लज्जता फैली चहुंओर पड़ रहे है सहनें ।। ©Ashok Verma "Hamdard" निर्लज्जता
निर्लज्जता #कविता
read moreNadbrahm
तेरा दामन थाम कर अस्तित्व अपना खो सकूँ हो कोई तप जोग जिस से मैं भी राधा हो सकूँ ©BK Mishra निश्छल प्रेम की पराकाष्ठा
निश्छल प्रेम की पराकाष्ठा #कविता
read moreLaxmi Tyagi
दिल से....... संजीदगी से किया गया,इश्क़... हो सकता है, कैसे ?बेपरवाह ! छोड़ सकता है ,कैसे ? उसका हाथ अपने हाथों से , इश्क़ ! हो सकता है।  बेबस ,लाचार बेपरवाह नहीं , इश्क़ !दर्द देता है , नींदें ,उडाता है , बेचैन ,करता है। जलता है ,घुटता है , पाना चाहता है। अपनी उस मंजिल को ! पता पूछता है। उस रहनुमा का ! ख्यालों में ,बेचैनियों में , ढूढंता है ,उस ख़्याल को ! संजीदगी से ,तराशता है। उससे जुड़े ख्यालों को ! पा लेना चाहता है , उसके ख्वाबों को ! ज़िंदगी को जोड़ता है , उसके हर ग़म ,ख़ुशी से ! ये बेपरवाही नहीं , ये इश्क़ की पराकाष्ठा है। ©Laxmi Tyagi # इश्क़ की पराकाष्ठा #Art
Sipahi yadav
प्रेम की पराकाष्ठा मेरे दिल से पूछो, क्या होता है इश्क में खुद को लुटा देना। Sipahi Yadav ✍️ प्रेम की पराकाष्ठा #WinterFog
प्रेम की पराकाष्ठा #WinterFog #कविता
read moreSipahi yadav
प्रेम की पराकाष्ठा मेरे दिल से पूछो, क्या होता है इश्क में खुद को लुटा देना। Sipahi Yadav ✍️ प्रेम की पराकाष्ठा #WinterFog
प्रेम की पराकाष्ठा #WinterFog #कविता
read moreBabli BhatiBaisla
घमंड की पराकाष्ठा थी या चेतना का अंतर्दहन राज्य मुकुट धन और माणिक सम जान रहे स्त्री का अस्तित्व घोर अनर्थ और घोर विनाश के बीज बो बैठी शतकधारी भाइयों की भीड़ बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla पराकाष्ठा
पराकाष्ठा #शायरी
read moreAlok tripathi
यहां दरख्तों के साए में धूप लगती है। चलो यहां से चले उम्र भर के लिए।। दुष्यंत कुमार ©Alok tripathi राजनीति की पराकाष्ठा का वर्णन #vacation