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अमोल पाटील
#मराठी कविता #मराठी साहित्य #मी मराठी #माय मराठी #असेच मराठी #जीवन मराठी
अमोल पाटील
मी माझ्याच मुलखात नांदतो ऐश्वर्याचा राजा , इथे फुलवल्या ऐश्वर्याच्या बागा इथले रानोमाळ सगणगंन पसरत हिरवी द्वाही आणि "मी" पण म्हणत कितीक बुडाले इथल्याच जमिनीत ही #मराठी कविता #मराठी साहित्य #वाचन #मराठी संस्कृती #मराठी कवी #मी मराठी #कविता #पल्लवी
nitsmit penshanwar
आयुष्याच्या चित्रपटात लेखक ही तुम्हीच असता निर्माता ही तुम्हीच असता रचेता ही तुम्हीच असता आणी कलाकार ही तुम्हीच असता भुमिकाही तुमचीच असते फक्त ठरवायच असते भुमीका कोणती कशी, केव्हा आणी कोणासोबत साकार करायची हे जमल तर चित्रपट उत्तम रित्या सादर करता येतो ©nitu Kolhe चित्रपट #alone
vk motivation
गुण गुणवान में ही गुण होते है वे निर्गुण के पास जाकर दोष बन जाते है जिस प्रकार नदियों का मीठा जल समुद्र में मिलने के बाद पीने के अयोग्य हो जाता है। ©viraj #गुण
Amannn
दहेज़ लेना भी कोई आसान बात नहीं हैं, इसके लिए इंसान के अंदर निर्लज्जता, भिकारी-पन, लालची जैसे गुणों का होना आवश्यक होता हैं... भाई इतने गुण तो मुझमें नहीं है..😅 #गुण
vk motivation
अभिवादन करने वाले व नित्य बड़े बुजुर्गो की सेवा करने वाले मनुष्य के चार गुण वृद्धि को प्राप्त होते है_आयु, विद्या,यश और बल। ©viraj #गुण
देव बाबू ,की कलम से /-/emat ,s
श्रेष्ठ कुल मे जन्म लेने से कोई श्रेष्ठ नहीं होता साहेब_____ श्रेष्ठता तो गुणों से निर्मित होती है जैसे कि - दूध , दही , छाछ , घी , मक्खन सब एक ही कुल के होते हुए भी अलग अलग मूल्य पर बिकते हैं गुण
गुण
read moreDr. Sunil Haridas
प्रत्येक माणसामध्ये एक तरी गुण चांगला असतो. परंतू नम्रता,आदर,स्नेह,विनम्रता हे जे गुण आहेत ते दैवी गुणांचे मुळ आहेत यामुळे ताणतणाव तर कमी होतोच आणि -हदयामधील जो परमेश्वर आहे त्याचा सन्मान पण होतो ©Dr. Sunil Haridas गुण
गुण #मराठीविचार
read moreSubhash_Rajasthani
गुण गुणों की प्रकृति तीन भागों में बंटी हुई हैं- 1. सत्तोगुण 2. रजोगुण एवं 3. तमोगुण किए गए कार्य की प्रकृति देखकर यह अंदाजा लगाना बिल्कुल आसान हो जाता है कि हमारा कार्य कौनसी श्रेणी में रखा जा सकता है। यदि किए गए कार्य में ईश्वरीय भाव छुपा है तो वह सतोगुण, मानवीय भाव छुपा है तो वह रजोगुण एवं दानवीय भाव छुपा है तो वह तमोगुण कहलाता है। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम कौनसा गुण धारण करें। जन्म से लेकर मृत्यु तक इन गुणों का स्वरूप हमारे जीवन में हर क्षण - हर घड़ी विद्यमान रहता है। ©Subhash Rajasthani #गुण