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savita Jha
रिश्तों का संबंध जुड़े रहने से है जो चीज जुड़ी हुई होती है उसमे दरार आने की गुंजाईश भी होती है ग़र अटूट है तो किसी रिश्ते के नाम की दरकार नहीं। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को चतुर्थ प्रतियोगिता मे
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
सभी रिश्तों को मानव ने अपने लिए ही बनाया है, एक रिश्ता जो सृष्टि में सबसे पहले बनकर आया है। भगवान भी जिस रिश्ते के लिए लालायित रहते हैं, माँ और बच्चे का रिश्ता सर्वभौम सत्य कहलाया है। चाहे बेटा हो या बेटी माँ के लिए सारी दुनिया है, बच्चे के लिए माँ का रिश्ता ही अटूट कहलाया है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को चतुर्थ प्रतियोगिता मे
ashutosh anjan
ख़ाक होते ख़्वाहिशों के मौसम आते-जाते है, आंखों के बादल भी बेमौसम बरस जाते है। पढ़े कई कलमें कि रहे अटूट रिश्ता हमारा, लेकिन जाने वाले किसके ख़ातिर रुक पाते है। एक एक मोती चुन चुन के बनाया था जो रिश्ता, जब धागा ही टूट जाए तो मोती कहाँ रह पाते है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को चतुर्थ प्रतियोगिता मे
Monali Sharma
दुनिया में हर एक रिश्ता अनमोल होता है तू ना समझे, क्या इसका मोल होता है चाहें हो जो भी रिश्ता, हर रिश्ते को दिल से निभाना न टूट पाए ये डोर, एक अटूट रिश्ते की पहचान बनाना 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को चतुर्थ प्रतियोगिता मे
Savita Jha
रिश्तों का संबंध जुड़े रहने से है जो चीज जुड़ी हुई होती है उसमे दरार आने की गुंजाईश भी होती है ग़र अटूट है तो किसी रिश्ते के नाम की दरकार नहीं। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को चतुर्थ प्रतियोगिता मे
ujjwal pratap singh
Topic:- पापा कहते है No.2:- गरीबी है बड़ी जालिम,वह दस्ती साँप जैसे हो मकान की छत नही पक्की,बरसती आग जैसी हो छोड़ के माँ के आँचल को ,गृह में अपनी अपनी पत्नी को बिलखते अपने बच्चो को,पापा शहर जाते है कमाने पेट भर रोटी पापा शहर जाते है।। वो राते है बड़ी भीगी,मुझे अब भी डराती तूफान एक साथ आया ,पूरा घर है उजाड़ती माँ सोना चाहती थी,मगर कहां नींद आती है पति प्रदेश हो जिसका,वह स्त्री कहा कुछ कह पाती है कमाने सुख,चैन नींद पाप शहर जाते है कमाने पेट भर रोटी पापा शहर जाते है।। कविता है बड़ी दुर्लभ,ये साँसे रोक जाती है मैं रोना तक नही चाहता,सिसकियां आ ही जाती है जब बैठू अकेले में आंखे खूब रोती है जिस्म से जान जुदा हो ऐसी बात होती है सुना था बचपन में मैंने पापा शहर जाते है वह आँगन था बड़ा प्यारा,बड़ा सुंदर,बड़ा सवारा जिसमे रहती बहना दो,मैं और मेरा भाई बेचारा पढ़ लिख बने काबिलबस इसलिए पापा शहर जाते है कुछ वंश भी सहारा बने शायद इसलिए पापा कमाने जाते है। पापा को शहर जाना था सो वो चले गए मेरे आवाज़ लगाने से क्या होगा मैं कितना चीखू ,चिल्लाऊं परिवार को याद करके,पापा नही आएंगे काम छोड़के।। " उड़ेंगे आज आज़ाद परिंदे काव्य के आकाश में आज गज़ब सी शान होगी हर एक परवाज़ में ।। " Day _ 5 , प्रतियोगिता का नाम_ हम लिखते रहेंगे Team
Anisha Dodke
दिवाळी लेख.............माझ्या लेखणीतून✍️ पहिल्या दिव्याचे वंदन जिजाऊ मातेच्या पुत्राला शिवाजी महाराजांच्या त्यागाला गड किल्ले आणि बलुतेदार अलुतेदारांच्या पराक्रमाला शेतात राब राब राबणाऱ्या त्या माझ्या बळीराज्याला..........! दुसऱ्या दिव्याचे वंदन तथागत गौतम बुद्धाच्या मूर्तीला परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकरांच्या संघर्ष मय जीवनाला त्याग मूर्ती रमा मातेच्या त्यागाला संविधानातील पाना पानाला.......! तिसऱ्या दिवाचे वंदन करू साहित्याच्या बानाला अण्णा भाऊ च्या लेखणीला .... फकिराच्या शौर्य गाथेला .... लहुजींच्या बलाढय सैन्याला आणि मुक्ताईच्या वेदनेच्या निबंधाला......! चौथ्या दिव्याचे वंदन समाजाला जुगारून शिक्षणाची ज्योत पेटवणाऱ्या फुले दाम्पत्यांना .....! पाचव्या दिव्याचे वंदन तुम्हा आम्हा सर्वांना ज्यांनी दिवाळीचा हा दिवस दिला अश्या आपल्या आई वडिलांना.....! या दिवाळीच्या दिव्याचे वंदन अमूल्य जीवनातील अमूल्य व्यक्तींना...... तुम्हाला व तुमच्या परिवाराला........💐 दिवाळीच्या अनंद शुभेच्छा....! कवयित्री लेखिका कु :अनिषा दिलीप दोडके ©Anisha Dodke दिवाळी लेख दिवाळी लेख #Diwali
Amit Singh
जो पत्थरो मे जुबा ढूंढे हम वो चीज है दोस्त, है मर्ज ख्वाब सजाना तो हम मरीज है दोस्त। हमे कहानिया लिखने दो बहते पानी पे, ये बेवकूफिया हमे बहुत अजीज है दोस्त।। #अमित# लेख