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Dhingali❤
बनकर दोस्त इस दिल में उतर गए आकर पास खूबसूरत एहसास बन गए मेरी हर नींद का ख़्वाब बन गए मेरी हर सुबह का पहला ख्याल बन गए कभी खत्म ना हो वो इंतज़ार बन गए मुकम्मल हो न पाये वो अरमान बन गए दूर जिससे एक पल भी रहा न जाये इस दिल की तुम वो जान बन गए !! 🆕#दोस्तो 👬 हर किसी 🗣 की #ʟıғє 😇 में #प्रत्येक_चरण 🔄 में एक ☝ #दोस्त 👤 हैं पर ☝कोई #ʟȗċҡʏ 😍 ही होता हैं जिस 😉 के जीवन 😇 के सभी #स्तरों में ए
Ravendra
Pawan Kumar
Ravendra
Divyanshu Pathak
मन मूल्यवान है व्यक्ति की पहचान है इसको साधना होता है। जीवन में सभी लक्ष्य मन से ही जुडते हैं। अन्तर्मन ईश्वर से जुडा है। यही ईश्वर में मिलता है। :😊💕☕☕☕🙏🙏💕💕👨🍉🍉🍉🍫🍨🍨☕☕☕☕🍀🌱🍉🍎🍧💕🍫 इसको साधने के लिए शरीर और बुद्धि का साधना आवश्यक है क्योंकि इनको साथ तो रहना ही है। अत: सबकी एक भाषा होनी चाहिए
Vikas Sharma Shivaaya'
🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 ईश्वर आपको सुबह की पहली किरण से शुरु होने वाले नव वर्ष संवत 2079 में सुख , शांति, शक्ति, संपत्ति, स्वरुप, शालीनता,संयम, सादगी, सफलता, समृध्दि, साधना, संस्कार, यश और बहुत अच्छा स्वास्थ्य दे। इन्ही शुभ कामनाओं के साथ आप और आपके परिवार को मेरी व मेरे परिवार की तरफ से नव वर्ष 2079- गुड़ी पड़वा पर्व व नवरात्रि की हार्दिक बधाइयां -शुभकामनाएं ,बड़ों को सादर प्रणाम🙏 -छोटों को प्यार भरा आशीर्वाद 🙌🚩🔱 मां जगदम्बे🔱 हमेशा आपका मार्गदर्शन करती रहे... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 " नूतन वर्षअभिनंदन* ". 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं- ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं- पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा- नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है .., इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं-यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है..., मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:। ध्यान मंत्र: वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् || या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः| Affirmations:- 51.मै सत्य व शांति मै केंद्रित हूँ..., 52.मैं स्वयं को सभी स्तरों पर स्वस्थ कर सकता हूँ..., 53.मैं चमत्कारों के लिये एक चुम्बक हूँ..., 54.मेरा पूर्ण व्यक्तित्व प्रकाश से कंपित है..., 55.मेरे हाथ बहुत शक्तिशाली स्वस्थ करने वाले उपकरण हैं ..., भारत में हिन्दू नव वर्ष का त्यौहार बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता हैं- इस दिन का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व हैं-कहा जाता हैं की इस दिन भगवान् ब्रह्मा ने इस पूरी सृष्टि की रचना करी थी-बहुत सी पौराणिक गाथाओ में इस बात का जिक्र हैं की इस दिन मानव, राक्षस, बुराई, अच्छाई, पेड़, पोधो, आकाश और समुन्दर की रचना हुई थी..., हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year) के आरंभ की खुशी में हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, संसार में सूर्य पहली बार उदित हुए थे. इसलिए गुड़ी पड़वा को संसार का पहला दिन भी माना जाता है. बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🚩 ईश्वर आपको सुबह की पहली किरण से शुरु होने वाले नव वर्ष संवत 2079 में सुख , शांति, शक्ति, संपत्ति, स्वरुप, शालीनता,संयम, सा
Divyanshu Pathak
"जींवन का विकास"------ जो कुछ हमारे जीवन में घटित होता है उसका भावनात्मक प्रारूप हमारे आभा-मण्डल में विद्यमान रहता है। सूक्ष्म स्तर पर आभा-मण्डल वैसा ही बना रहता ह
Poonam Suyal
आधुनिक भारत (अनुशीर्षक में पढ़ें) आधुनिक भारत हमारा देश भारत कई धर्मों, भाषाओं, प्रदेशों का देश है। भिन्न-भिन्न प्रकार के रिवाज़, परिधान, व्यंजन यहाँ की ख़ासियत है। भिन्नत
Vibha Katare
" सर्वनाम का अत्याधिक प्रयोग व्यर्थ भ्रम की उत्पत्ति का कारक होता है । जहाँ संज्ञा आवश्यक है वहाँ सर्वनाम को आराम ही करने दीजिये । " - सर्वनामों से त्रस्त एक संज्ञा सर्वनाम की सम्पूर्ण व्यथा और कथा अनुशीर्षक में पढ़िए। संभवतः आदिकाल में जब प्रकृति विभिन्न स्तरों पर सृजनरत थी, तब भाव और संवादों की नवकोपल भी भाषा रूपी तरु के उद्भव की ओर अग्रसर रही होंगी और सं
Aprasil mishra
"उदारवाद बनाम रुढ़िवाद : एक जीवट समावेशी संस्कृति के सन्दर्भ में " 1.सांस्कृतिक अंतर्परिवर्तन- संस्कृति के बाहर किसी अन्य में संस्कृति में होने वाले बदलाव. 2.सांस्कृतिक अंत:परिवर्तन- किसी संस्कृति के भीतर हो