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Rajinder Raina
आज के इस दौर में इन्सान चिन्तित है बड़ा, दर्द सहता बेहिसाबा सेज पे भीष्म पड़ा। तोड़ पिंजरा परिन्दा उड़ भी नही सकता अभी, क्या करे जाये कहां ये सोच चौराहे पे खड़ा। बैर भाई अब यूं करे गौना विभीषन हो गया, खून के रिश्तें बड़े मतलब बिना है क्या भला। आग जलती देख कर यूं हाथ सारे सेकते, हम बुझाये आग क्यों फिर घर जला उसका जला। इश्क में मतलब जमा शामिल हुआ अन्दाज से, हीर रांझा भूल जाते है वफा का क्या सिला। सोच अपनी हम बदल पाये नही रफ्तार से, छोड़ कर तेरा नगर मायूस अब "रैना"चला। "रैना" Load Previous Comments ©Rajinder Raina सेज पर भीष्म पड़ा #Mic
bhishma pratap singh
तुम उसे किसलिए बस रात की बात कहते हो। व्यर्थ क्यों बात को बेकार में भटकाते हो।। जुड़ गया उन लम्हों से किसी का जीवन । तुम उसे रात की बात कहके टाल जाते हो।। जो भी हो कोख में वो मेरा है तुम्हारा है । उगता सूरज है अपना चांद तारा है ।। ©bhishma pratap singh #रात की बात#हिन्दी कविता #काव्य संकलन#भीष्म भीष्म प्रताप सिंह #लवस्टोरी
पंडित सुधाकर शर्मा
जिस देश भारत में पितामह भीष्म से रणधीर थें, जिनकी प्रतिज्ञा के वचन अति घोर थे गंभीर थे। कुरु वंश संरक्षक बने जो मीचु को झुठला गए, पर स्नेहवश निज मृत्यु के भी भेद को बतला गए। वह सोम वंशी शूर क्षत्रिय धर्म प्राण महान थें, सद्धर्म हेतु अधीर वह मानव चरित्र प्रमाण थे। "भीष्म पितामह "
M R Mehata(रानिसीगं )
जय माता दी निर्जला एकादशी जिसे भीष्म एकादशी के नाम से भी जाना जाता है इस दिन जल रहित उपवास रखने का बताया गया है जल रहित नहीं कर पाये तो सामान्य उपवास करे वो भी करने की क्षमता नहीं हो तो चावल का त्याग अवश्य करे ©M R Mehata भीष्म एकादशी
Yishu Tiwari
आज " भीष्म प्रतिज्ञा " पर एक कविता लिखना शुरू की है । पर तब अब पता चला कि जब कृष्ण की कृपा होगी तब ही आप उनपर कुछ लिख सकते हैं । प्रेम पर तो हर कोई लिख देता है, पर प्रसंग पर लिखने के लिए प्रभु की कृपा की आवश्यकता होती है । मां सरस्वती मेरी लेखनी में ज्ञान की गंगा प्रवाहित करें कि मैं भीष्म और केशव पर ये काव्य पूर्ण कर सकूं भीष्म प्रतिज्ञा
Anjali Jain
आज अर्जुन के बाणों द्वारा पितामह भीष्म का वध, फ़िर भी भीष्म द्वारा निहाल होकर आशीर्वाद दिया जाना - "आयुष्मान भव अर्जुन ", आचार्य द्रोण को बधाई देना - आपके शिष्य ने मेरी छाती छलनी कर दी, आचार्य द्रोण, बधाई हो! अविस्मरणीय दृश्य, मर्मांतक पीड़ा, आज का दृश्य उतना ही पीड़ा दायी था जितना द्रोपदी का चीर हरण! भीष्म की आत्म शांति भी दर्शनीय थी क्योंकि दुर्योधन के पक्ष में युद्ध करने की विवशता से वे भी मुक्ति चाहते थे शायद! शिखण्डी के चेहरे से छलकती तृप्ति, अन्य सभी परिजन के चेहरों से टपकती पीड़ा, आज कई भावों को सब ने एकसाथ भोगा! महाभारत की युद्धभूमि का सबसे महान, विशाल शक्तिशाली और पुरातन वट वृक्ष आज धराशायी हो गया! विविध भाव - सरिताएँ, दुख के असीम पारावार में जा मिली!! मुकेश खन्ना द्वारा भीष्म पितामह के चरित्र को इस जीवंतता से निभाना कि इससे अलग भीष्म का रूप और क्या होगा? शानदार! शानदार! #पितामह भीष्म #
Vivek Singh rajawat
"भीष्म पितामह" अपनी शक्ति की ध्वजा हाथों में लहराता हुआ, वो बढ़ा अपनो में शस्त्रों को बरसाता हुआ। कोई नही हैं आज जो रोक पाए वीर को, दुश्मनों के मध्य भी जो न माने हार को। जिनको खिलाया था कभी पालने में, उनको लगा अभी मृत्युलोक पहुचाने में। नेत्रों को अश्रुओं से भर प्रत्यंचा को चढ़ाया, हृदय सम्भाल, युद्ध को सत्य धर्म बतलाया। एक ओर अर्जुन लगे प्राणों से भी प्यारा, दूसरी ओर कदाचित वचन न टूटे तुम्हारा। तुमने कसम खाई श्रीकृष्ण को सुदर्शन सम्भालवाने की, शिखंडी ने भी ठानी तुम्हें अर्जुन के द्वारा मरवाने की। हैं आज देखो माँ बाण गंगा का प्यार बेटा, बेबस मृत्यु को व्याकुल बाण शैया पर प्यासा लेटा। जब प्यासे अधर बुलाते है, तब अर्जुन प्यास बुझाते हैं, ये कैसे नाते-रिश्ते हैं, पहिये में काल के पिसते हैं। विवेक सिंह राजावत। भीष्म पितामह