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Parul (kiran)Yadav
""कोयल सबकी प्रिय होती है क्योंकि कोयल की बोली मीठी होती है .. कौआ हमे अप्रिय होता है क्योंकि उसकी बोली कर्कश होती है .. ठीक उसी तरह हमे भी सबका प्रिय बनना है तो अपनी वाणी में मिठास लाना होगी..तभी हम सबके प्रिय बन सकते है ..!! ©Parul Yadav #Titliyaan #मीठीबोली #प्रियव्यक्ति #कर्कश #नोजोतिहिंदी #Streaks Sethi Ji Jugal Kisओर ram singh yadav SIDDHARTH.SHENDE.sid Nitin Kumar As
Kulbhushan Arora
प्रश्नचिन्ह एक उपन्यास वास्तविक जीवन की पीड़ा संघर्ष की कहानी ....अब आगे... पृष्ठ ३ Dr. Naren ने आनंद के कांधे पर हाथ रख कर मौन से साहस देने का प्रयत्न किया और बोले *आनंद, सर्जरी के बाद भाभी के दो वर्ष तो बिना किसी बाधा के न
Kulbhushan Arora
एक अधूरा उपन्यास पृष्ठ संख्या 3 Dr. Naren ने आनंद के कांधे पर हाथ रख कर मौन से साहस देने का प्रयत्न किया और बोले *आनंद, सर्जरी के बाद भाभी के दो वर्ष तो बिना किसी तकलीफ़ के
Kulbhushan Arora
क्या रूपाली, अचानक वो दस साल मेरे सामने जीवित कर डाले.... Dedicating a #testimonial to Rupali Lakhani रात के दो बजे होंगे अचानक से लैंडलाइन फोन की कर्कश ध्वनि से नींद के परखच्चे उड़ जाते हैं, अरे अभ
kumaarkikalamse
चूहे ने मुझसे कहा, "तुम इंसान किसी के काम में ना जाने क्यों इतनी उँगली करते हो? मैंने कहा, नहीं तो। उसने मुझे यह चित्र दिखा दिया.. मैं तब से सोच रहा हूँ बात तो सही थी उसकी, उँगली तो करते ही है, फिर ज्यादा ना सोचा मैं, और उँगली करके अपने काम करने लगा। चूहा एक उपमा और इंसान हम सब और उसकी बातेँ कर्कश कटाक्ष हम सब पर..! क्योंकि उँगली अपनी जगह, PPT अपनी जगह.. क्यों पांडा Mrinaal Chaturvedi🐼
Ashok Mangal
क्रोध-प्रेम हमारी साख को समाप्त-प्रख्यात करते हैं । अफ़सोस जानते बूझते भी लोग क्यूँ क्रोधित रहते हैं ।। कुछ पलों की क्रोध की अग्नि सारी अच्छाइयों को जला देता है शांत हो जाने के बाद राख में खाक छानते रह जाते हैं,, एक नफरत का बूंद प्रेम के समुंद
Shree
कहानी प्रेम की हो या जीवन की जीतता वक्त ही है कवि लिखे, रवि खिले शशि हंसे कि बीतता वक्त ही है हो हादसा या फ़लसफ़ा स्याही जले, भाव मिटाता-जगाता वक्त ही है सदके ख़ुदा, हर बार रिश्तों का जुआ ... बाज़ी हर बार पलटता वक्त ही है! वीभत्स रूप कर्कशा संलिप्त-सा तलहटी में छुपा हां, हर एक घड़ी सिमटता वक्त ही है! 🙆 #बेचारावक्त.. लगे मुझे! सब उसी का खेल है। ✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨ #कुछ_दिन_तो_रुक_जाया_कर #प्रेम_पर_स्याही_मत_जाया_कर #प्रेमलेख
Shree
दिखे ना कोई उद्गम, ना विराम! अनुशीर्षक प्रेम .... प्रेम के कई प्रारूप होते हैं, कई चरण होते हैं, ऐसा कहते हैं। पर, जब चरम आता है, प्रेम का तो ना कोई रूप, ना कोई चरण, ना आंसू, ना म
Sita Prasad
पेड़ की गुफ्तगू कविता अनूशीर्षक में पढें तट पर खड़ा वह, सोच रहा, बह रही है यह शांत निर्मल होकर, कितनी बेबस सी, तटों के बीच,
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
बदल गये हो तुम पहले से नहीं रहे अब तुम, जैसे बादल बदल जाते हैं बारिश के बाद, चाँद बदल जाता है सुबह होने के साथ, वसंत बदल जाता है मौसम के साथ, प्रातः की हल्की किरण बदल जाती है तपते सूरज के साथ, पक्षियों का कलरव बदल जाता है कर्कश शोर के साथ, मन बदल जाता है मन के भावों के साथ प्रेम बदल जाता है परिस्थिति के साथ, वैसे ही बदल गये हो तुम समय के पड़ाव के साथ उजाले के बाद अँधकार के साथ अपने भूलने वाले वादों के साथ..! 🌹 #mनिर्झरा #yqhindi #yqdidi #lovepoetry #bestyqhindiquotes #एहसास #प्रेम #तुम्हारे_ख़्याल_और_मैं