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Sabir Khan

कर्कश

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दिल का साफ व्यक्ति कर्कश हो सकता है

किंतु जो भी बोलेगा वह आपके हित में होगा। कर्कश

Parul (kiran)Yadav

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Parul Sharma

अपने हिस्से की नेकी कर ले वरना जंग खा जायेगी आत्मा तेरी थोड़ा इसकी भी सुन ले नहीं तो इसकी धुन हो जायेगी कर्कशी पारुल शर्मा

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अपने हिस्से की नेकी  कर ले 
वरना जंग खा जायेगी आत्मा तेरी
थोड़ा इसकी भी सुन ले
नहीं तो इसकी धुन हो जायेगी कर्कशी
               पारुल शर्मा अपने हिस्से की नेकी  कर ले 
वरना जंग खा जायेगी आत्मा तेरी
थोड़ा इसकी भी सुन ले
नहीं तो इसकी धुन हो जायेगी कर्कशी
               पारुल शर्मा

Chirag Sanghvi

मज़ा वो होश में कहां, मज़ा जो मैकशी में है, करारी में भी जो ना हो, मज़ा वो सरकशी में है। मुकम्मल हो मोहब्बत तो तुम्हारी ख़ुशनसीबी है, मज़ा-ए

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मज़ा वो होश में कहां, मज़ा जो मैकशी में है,
करारी में भी जो ना हो, मज़ा वो सरकशी में है।
मुकम्मल हो मोहब्बत तो तुम्हारी ख़ुशनसीबी है,
मज़ा-ए-इश्क हक़ीक़ी पर, सनम-ए-कर्कशी में है। मज़ा वो होश में कहां, मज़ा जो मैकशी में है,
करारी में भी जो ना हो, मज़ा वो सरकशी में है।
मुकम्मल हो मोहब्बत तो तुम्हारी ख़ुशनसीबी है,
मज़ा-ए

Atul Sharma

_*✍🏻“सुविचार"*📝_ _📘 *“8/12/2021”*📚_ _🖋️ *“बुधवार”* 🌟_ _*“कोयल की वाणी”*_ _*“मीठी एवं मधुर”*_

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“8/12/2021”*📚
🖋️*“बुधवार”* 🌟

“कोयल की ध्वनि” सुनकर प्रत्येक का
 “मन आनंदित” हो जाता है,
“कोयल” हमें बड़ी ही “प्रिय” है,
 अब ऐसा ही एक “पक्षी” है “कौआ”,
एक है “कौआ” और एक है “कोयल”,
इन दोनों में अधिक अंतर नहीं है 
किंतु कोयल की ध्वनि सुनकर
 सबका “मन प्रफुल्लित” हो जाता है,
“कोयल” समक्ष आती है तो “मन शांत” हो जाता है
 लेकिन एक “कौआ” नजदीक आता है
 तो व्यक्ति दूर जाने लगता है,
ऐसा क्यों होता है ? कारण है “वाणी” 
“कोयल की वाणी” बड़ी “मीठी” एवं “मधुर” होती है वही “कौए की वाणी” “अत्यंत कर्कश” होती है 
और “कर्कश वाणी” सुनना किसी को भी “प्रिय” नहीं है,
आप स्वयं देख लिजिए कोई “व्यक्ति” आपके पास आकर आपसे बात करे,उसकी “वाणी” मीठी हो 
तो कितना “अच्छा” लगता है,
“कर्कश” हो तो उससे “दूर” जाने का ही मन करेगा,
तो आप “कोयल की भांति” अपनी “वाणी को मधुर” रखिए,ये सभी को “प्रिय” अवश्य लगेगी,
और ये तब होता है जब आपके “मन में प्रेम” हो,
तो अपने “मन” में “प्रेम” जाग्रत किजिए 
ये “वाणी” स्वयं “मीठी” हो जाएगी...
*✍🏻“अतुल शर्मा*

©Atul Sharma _*✍🏻“सुविचार"*📝_ 
_📘 *“8/12/2021”*📚_
_🖋️ *“बुधवार”* 🌟_

_*“कोयल की वाणी”*_  

_*“मीठी एवं मधुर”*_

Yogesh BASWAL

🇮🇳🇮🇳"तुम्हारे शौर्य के गीत, कर्कश शोर में खोये नहीं। गर्व इतना था कि हम देर तक रोये नहीं।" पुलवामा में शहीद हुए वीर जवानों को सादर श्रद्धांज #विचार #PulwamaAttack

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#PulwamaAttack 🇮🇳🇮🇳"तुम्हारे शौर्य के गीत, कर्कश शोर में खोये नहीं।
गर्व इतना था कि हम देर तक रोये नहीं।" पुलवामा में शहीद हुए वीर जवानों को सादर श्रद्धांजलि
जय हिंद
🇮🇳🇮🇳 🇮🇳🇮🇳"तुम्हारे शौर्य के गीत, कर्कश शोर में खोये नहीं।
गर्व इतना था कि हम देर तक रोये नहीं।" पुलवामा में शहीद हुए वीर जवानों को सादर श्रद्धांज

kumaarkikalamse

चूहा एक उपमा और इंसान हम सब और उसकी बातेँ कर्कश कटाक्ष हम सब पर..! क्योंकि उँगली अपनी जगह, PPT अपनी जगह.. क्यों पांडा Mrinaal Chaturvedi🐼 #Kumaarsthought #Mouse #abstractwriting #kumaartalkingnonlivingthings

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चूहे ने मुझसे कहा, 
"तुम इंसान
किसी के काम में 
ना जाने क्यों इतनी 
उँगली करते हो? 
मैंने कहा, नहीं तो।
उसने मुझे
यह चित्र 
दिखा दिया.. 
मैं तब से सोच रहा हूँ 
बात तो सही थी उसकी, 
उँगली तो करते ही है, 
फिर ज्यादा ना सोचा 
मैं, और उँगली करके अपने काम करने लगा।  चूहा एक उपमा और इंसान हम सब और उसकी बातेँ कर्कश कटाक्ष हम सब पर..!

क्योंकि उँगली अपनी जगह, PPT अपनी जगह.. क्यों पांडा Mrinaal Chaturvedi🐼

R.S. Meena

#rsmalwar नाराज़ आसमाँ से धरती ना जाने नाराज सी क्यों है। टहनी से गिरते पत्तों की कर्कश आवाज सी क्यों है।

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                 नाराज़
आसमाँ से धरती ना जाने नाराज सी क्यों है।
टहनी से गिरते पत्तों की कर्कश आवाज सी क्यों है।।

आसमाँ में सैर करते बादल, भरे हुए है अश्रुओं से,
भीगी है पलकें घन की, छायी घटा घनघोर है।
गुजरना तो है उसे, उस शहर की ऊंची मीनारों से,
रात भर तकते-तकते राहों को, होने वाली भोर है। 

दिन गुजरता नहीं चैन से, शाम में गाज सी क्यों है।
आसमाँ से धरती...........

धरती ने भी चाहा, कई बार छूना आसमाँ को,
ओरों के सहारे पाटने लगे है अपनी दूरियाँ।
नीरद ने भी बनाई इंद्रधनुषी सीढ़ियाँ मिलाने को,
धूप ने खिलकर चुभो दी है ख्वाहिशों पर सुइयाँ।

सब है अपनी जगह पर, धीमी धरा की चाल सी क्यों है।
आसमाँ से धरती...........

चांद ने आसमाँ को दी है आज भी थोडी सी दिलासा,
ख्वाब तो पूरे कभी ना हो सके है, आसमाँ वालो के।
धरती की चाहत में, बढ़ ना जाएं थोड़ी सी निराशा,
सूर्य भी चमक रहा है, चमकाने नसीब जहाँ वालों के।

वक्त है सबसे बड़ा मरहम, तो इसमें छूपी नाद सी क्यों है।
आसमाँ से धरती ना जाने नाराज सी क्यों है।
टहनी से गिरते पत्तों की कर्कश आवाज सी क्यों है।। #rsmalwar 
                
                 नाराज़
आसमाँ से धरती ना जाने नाराज सी क्यों है।
टहनी से गिरते पत्तों की कर्कश आवाज सी क्यों है।

Pnkj Dixit

विधा 👉 हाइकु विषय 👉 कागा / कौआ हाइकु पंच कविता 🌷👰💓💝 कागा मंडली इधर से उधर

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विधा 👉 हाइकु

विषय 👉 कागा / कौआ 

हाइकु पंच कविता 
🌷👰💓💝
कागा मंडली
इधर से उधर
मेरे सम्मुख ।
।।
सैर सपाटा
सुबह का भोजन
सबके साथ ।
।।
रोज सवेरे
मुझको पुकारते
सम्मुख मेरे ।
।।
कर्कश स्वर
मुंडेर विराजत
पाहुन लाता ।
।।
चौकन्ना कौवा
विद्यार्थियों का गुरु
हासिल लक्ष्य ।
।।
.....💓🌷
.... ✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' विधा 👉 हाइकु

विषय 👉 कागा / कौआ 

हाइकु पंच कविता 
🌷👰💓💝
कागा मंडली
इधर से उधर

Harshita Dawar

🔓🔓COLLAB FREE.., #Reality100%#GN1999#Yqdoll_thought जरुरी नहीं की लाेगाें कि कहिं गई सारी बातें सच ही हाें..! #yqdidi #कुछबातें #झूठहै Co #jazzbaat

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Written by Harshita Dawar ✍️✍️
#Jazzbaat

कुछ बातों को अनसुना ही रहने दो।
कुछ पन्नो को अद खुला ही रहने दो।
कही फौलाद से वो कर्कश शब्द घर ना कर जाए। 🔓🔓COLLAB FREE..,
#Reality100%#GN1999#Yqdoll_thought
जरुरी नहीं की लाेगाें कि कहिं गई सारी बातें सच ही हाें..!
#yqdidi
#कुछबातें
#झूठहै   
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