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royal miss riyal vikesh bihari
दि कु पां
पढ़ देख वैदेही का दुख.. दुख होता है जब सीता सी सामर्थ्य नारी भी ना आवाज़ अन्याय के विरुद्ध उठाती है... दोषी यदि राम को मान भी लूं.. तो बढ़ावा जो अन्याय को दे वो भी दोषी है.. यदि राम दोषी हैं तो संपूर्ण अयोध्या भी दोषी है इतना ही नहीं सहने वाली ये कृत्य मां सीता भी उतना ही दोषी हैं क्या वे सिर्फ़ लोंधा भर मांस का टुकड़ा ही थी... ना... उठाना चाहिए था आवाज़ उनको राह अन्याय विरूद्ध संघर्ष का नारियों को दिखलाना चाहिए था उनको ये बच्चियां क्या सीखेंगी.. क्या आज भी मौन हों ये.. ये सब अन्याय सहेंगी.. तब ही संस्कारवान कहलाई जाएंगी वरना ले बदचलनी का दाग ले शेष जीवन यूं ही बसर करेंगी...— % & वैदेही की शांत दशा में...! जाने कितनी जनक दुलारी...! अपना धैर्य संभाले बैठी..... चुप चुप सी सीता सुकुमारी....!! अश्वमेघ का सपना टूटा... क्यो
Divyanshu Pathak
प्रेम कष्ट देता है और कष्ट करने से राधिका मिलती हैं, कृष्ण मिलतें हैं ..।।।।🎆🎇🎉 ★#मित्रों_खास_आपके_लिए★ 🎟प्रेम कष्ट देता है, #नो_डाउट बिल्कुल देता है .... छोल्ले भुटूरे नहीं है कि लस्सी के साथ दबा के खाया और पिछवाड़ा झ
Preeti Karn
मैं जनती हूं कविताएं किसी अन्य को जनक के अधिकार के आधिपत्य से मुक्त रखती हूं। सहधर्मिता की नियमावली का अनुपालन नहीं होता इस सृजन में। मैंने अपनी अनुभूतियों की हठधर्मिता के निर्वहन मात्र से अपने हृदय गर्भ में बीज आरोपित किए हैं जो बसंत और घहराते काले मेघ सदृश पुष्पधन्वा की धरोहर हैं। कुसुम कचनार पाटली केतकी से झड़ते रस गन्ध से पोषित स्वाति उत्तराआषाढ नक्षत्रों की बूंदों से अलंकृत मलय पवन के रेशे से बुने गए कौशेय वसन सुसज्जित मैं आसन्नप्रसवा जनती हूं कविताएं! प्रीति #जननी#कविता #गर्भ ##प्रसव #yqhindi #yqhindiquotes पुष्पधन्वा : कामदेव पाटली: गुलाब , केतकी: केवड़ा कौशेय : रेशमी आसन्नप्रसवा : जिसे
Amit Mishra
◆ युद्ध ◆ पृथ्वी पर आधिपत्य स्थापित करने के लिए सदियों से मनुष्य और प्रकृति में युद्ध होता आ रहा है मनुष्य के हथियार हैं आरी, कुल्हाड़ी और बड़ी बड़ी मशी
Neeraj Vats
लोग कहतें हैं जगत में सर्वप्रथम गुरु माँ बाप होते हैं मेरा मत है माँ बाप हो समाहित तब जाकर आप होते हैं बस एक आपका नाम है जिसके उच्चारण में माँ सा प्यार बरसता है स्वाति की बूंद हो आप हर शिष्य आपके लिए पपीहे से तरसता है सुना है वो ईश्वर इस जगत में हर जड़ चेतन में निवास करते हैं किन्तु आप तो उनसे भी बढ़कर हो वो भी तो आप ही में विश्वास करते हैं आपके गौरव का गुणगान गुरुदेव शब्दों में कहां तक शक्य है आदिदेव के पथप्रदर्शक हो चल अचल पर आपका आधिपत्य है कितने ही अर्जुन एकलव्य को आपने अनेकों विद्या का वरदान दिया कितने ही देवों महादेवों को वेद शास्त्रों से जीवन रूपी महत ज्ञान दिया मेरी लेखनी मेरा जीवन मेरा हर श्वाश आपका आभारी रहेगा मेरा मन हो मन्दिर गुरुदेव आपका ये नीरज आपका पुजारी रहेगा ©Neeraj Vats #गुरुपुर्णिमा #Gurupurnima लोग कहतें हैं जगत में सर्वप्रथम गुरु माँ बाप होते हैं मेरा मत है माँ बाप हो समाहित तब जाकर आप होते हैं बस एक आ
Kajal The Poetry Writer
पूरे ब्रह्मांड की सबसे ताकतवर शक्ति स्वयं इंसान हैं।। क्योंकि इंसान को बनाने में पूरे ब्रम्हांड के सात्विक और तामसिक दोनो तत्वों ने अपना चरम योगदान दिया हैं, ... इंसान... दुनिया की कोई शक्ति इससे ऊपर नहीं, जिस शक्ति के तत्व को इंसान लगातार ध्यान करेगा,, उसी तत्व से जुड़ा पूरा साम्राज्य अपने आप सक्रिय हो जायेगा।। अगर वो ईश्वर को याद करेगा, तो भक्त के वश में भगवान होगा।। यदि उसने किसी से ईर्ष्या की, या गलत तथ्यों पर ध्यानकेंद्रित किया तो उसके अंदर तामसिक शक्तियों स्वतः सक्रिय हो जायेंगी । और उसे पता भी नही लगेगा।। क्योंकि सभी शक्तियां इंसान के माध्यम से अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहती हैं।। इसी कारण इंसान हमेशा फैसलों के दौरान दुविधा का सामना करता हैं। क्योंकि उसके द्वारा किया कार्य ही ये बताता हैं, कि उसके तामसिक तत्व को पुकारा हैं या सात्विक।।। क्योंकि उसके द्वारा लिए गए फैसले पर ही पारलौकिक दुनिया सक्रिय होती हैं।। इसलिए गीता में भी कहा गया हैं। (जैसा कर्म होता वैसा ही फल) ©KAJAL The poetry writer #boat पूरे ब्रह्मांड की सबसे ताकतवर शक्ति स्वयं इंसान हैं।। क्योंकि इंसान को बनाने में पूरे ब्रम्हांड के सात्विक और तामसिक दोनो तत्वों ने अ
Anil Ray
अक्सर देखता हूं मैं पुरुष आधिपत्य साम्राज्य में रिश्ते की डोर में बंधे इंसान निज धरा पर मेरी मानव जाति में। बेबस-सी चलती हुई दम्पति गाडी न विश्वास का पहिया,न प्रेम इंजन बिना आत्मसम्मान और समर्पण गियर हां समाज इन्हे कहता है पति-पत्नी। जब-तक रहेगा एकछत्र राज इस पुरुष प्रधान समाज में पति-पत्नी की सामाजिक मुहर के साथ, तब-तक अनवरत रहेगा उत्पीड़न और अत्याचार महिला के साथ। नही चाहती अब आधुनिक पत्नि कि हो कदमों में चांद,सितारो से मांग सजा ले, चाह बस यही, सुख-दुख मे ही नही पति घर के काम में थोड़ा हाथ बंटा ले। जी जनाब! सम्भालते हुये परिवार को पत्नी का भी दर्द करता कभी बदन, साथ जीने-मरने की कसमें और रस्मे फिर क्यो न सहारा दे पतिरुपी तन। न हो अवज्ञा और अवमानना कभी स्नेह-धागे से बुने समता सूत्र, न बचाये जो अस्मिता नारी महान की वों नही किसी का भाई,पति और पुत्र। माना कि बीज अंश किसी वृक्ष का जिससे कालांतर में कभी फूल खिला है, परन्तु सनातन सत्य यह भी 'अनिल' कभी भी नही वसुंधरा अंश के बीज पला है। बनकर रहो सदा जीवनसाथी यही है खुशहाल जीवन का मंत्र, परस्पर बना रहे आत्मसम्मान और समर्पण तभी विकसित होगा सामाजिक तंत्र। ©Anil Ray अक्सर देखता हूं मैं पुरुष आधिपत्य साम्राज्य में रिश्ते की डोर में बंधे इंसान निज धरा पर मेरी मानव जाति में। बेबस-सी चलती हुई दम्पति गाडी न व
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
26th June, 2020 जब अति आतुर सत्ता के शिरोमणि, सिंहासन पानें को हर हद पार कर गए। तो 25 जून,सन् 1975 की मध्यरात्रि को; अकारण आपातकाल का एलान कर गए। संपूर्ण भारत को बनाया गया कारागार, लाखों विरोधियों को बंदी बनाया गया। खेल खेला गया हमारे संविधान के संग, मौलिक अधिकारों का भी हनन हुआ। अरे! कई राज़ थें नेताओं के जालशाज़ी के, "रायबरेलीकांड" से क़ानून नें नक़ाब हटा दिया। छह वर्ष तक "इलाहाबाद हाईकोर्ट" नें इंदिरा के, चुनाव लड़नें के मार्ग में अवरोध ही लगा दिया। तेजी से सरक रही थी सत्ता की डोर जब उनके हाथों से, तो "कलंकी बिंदियां" माँ भारती के माथे पर लगा दिया। तोड़ दिया गया कई ईमानदार "कलमों" की नोकों को, कई दिग्गजों की शतरंजी चालों को भी पलट दिया गया। हर एक दिशा में स्थापित किया "श्रीमती" जी का आधिपत्य, कई अख़बारों के बुलंद आवाज़ों को भी बंद करा दिया गया। "इंदिरा इज़ इंडिया, इंडिया इज़ इंदिरा" के भयावह भाव को, यत्र-तत्र-सर्वत्र ही अनेक घोष वाक्यों द्वारा फैला दिया गया। बस राजनीति के गद्दी पर अधिकार जमाये रखनें के लिए "आपातकाल" के आड़ में भ्रष्टाचारियों के ग़लत मंसूबे पले बढ़े। परिवारवादी ही रहा है सदा से इनका भूत और वर्तमान, अपनें कांग्रेस का इतिहास शायद ही "पप्पू" कभी फ़ुर्सत में पढ़ें! -रेखा "मंजुलाहृदय" ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" ⬇️ आपातकाल का अर्धसत्य °•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•° जब अति आतुर सत्ता के शिरोमणि, सिंहासन पानें को हर हद पार कर गए। तो 25 जून
Anil Ray
झूठ कहूं तो लफ्जों का दम घुटता है सच कहूं तो अपने रूठ जाते है... किरदार बदलते बदलते देखो अनिल कितने क़ाबिल पात्र छूट जाते है... ©Anil Ray 💞 जीवनसाथी 🤝🏻 पुनः प्रकाशित 💞 अक्सर देखता हूँ मैं पुरुष आधिपत्य साम्राज्य में रिश्ते की डोर में बंधे इंसान निजधरा पर मेरी मानव जाति म