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Best गर्भ Shayari, Status, Quotes, Stories

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Dev Rishi

#गर्भ

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Mamta Singh

Thanks a million everyone for missing my write-up🙏❤ Dear thakur anoop singh Abhay Bhadouriya bhaiyu❤ Shiva Saxena bhai❤ Anchal Singh lado😘 Dhara singh chhoti😘 Dear Vishnu Prasad❤ #नियति #अनुभूति

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हम लड़कियां है यारां हमारी
अनुभूति कहां हाेती है?
गर्भ में हीं मरते है हम,और हमारे ख्वाब
हमारे अनुभूतियाें की सूची कहां हाेती है? Thanks a million everyone for missing my write-up🙏❤
Dear thakur anoop singh 
Abhay Bhadouriya bhaiyu❤
Shiva Saxena bhai❤
Anchal Singh lado😘
Dhara singh chhoti😘
Dear Vishnu Prasad❤
#नियति #अनुभूति

Himshree vlog youtube channel

Dr Manju Juneja

उन सभी माताओं को समर्पित है।माँ तो माँ होती है।हर माँ अपने बच्चों की जाँ होती है। एक माँ ने एक माँ के दर्द को महसूस किया ।उसने भी हमारे लिये सब सहा।मगर कभी मुँह से उफ़ तक नही की। ऐसी होती है माँ खुद कितनी भी तकलीफ़ सहे मगर औलाद पर आँच भी नही आने देती ।औलाद की खातिर सबसे लड़ जाती है माँ ।जरा सा कुछ हो जाये तो माँ की जान निकल जाती है। माँ  #लोरी #थपकियाँ #ममता#रातभर #गर्भ #कालाटीका #audiopoem #audiopoetry #pyaarimaa

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SATYAJIT ANANDRAO JADHAV

Sangam

nojoto Internet Jockey Gita Choudhary Dipak Shaw Sangita Gupta Shobha Shukla

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#OpenPoetry 
बेटे की चाहत में,बलि बेटी की चढ़ाई जाती है
और लिंगानुपात कम है लड़कियों की
ये गम्भीर समस्या बताई जाती है।
बेटी होती है, बोझ समझकर 
गर्भ में मर दी जाती है
अजन्मी बच्ची की हत्या करने वालो 
क्या तुझे तनिक शर्म न आती है?
अपनी किस्मत से जब लड़कर
वो इस दुनिया में आती है
खुद को पाती बोझ कहलाती 
पल पल मारी जाती है। 
खुद को बहशी दरिंदो से बचाती
खुद ही सीमाओ में कैद हो जाती है।
खुद को पराया समझकर 
दूसरे घर को अपनाती है
वहाँ भी सम्मान की खातिर
सन्घर्ष करती रह जाती है।
गर्भ में अपना अंश पलता देख
ख़ुशी से फुले न समाती है
सास को चाहिए एक पोता
हुई अगर पोती क्या होगा
ये सोचने लग जाती है।
कुछ का है संघर्ष शुरु होता
कुछ की भ्रूण हत्या कर दी जाती है
कहानी चलती जाती है
बस पात्र  बदलते रहते है
सीना तानकर चलने वाले,अपने अपराध छुपाते रहते है।। #nojoto Internet Jockey Gita Choudhary Dipak Shaw Sangita Gupta Shobha Shukla

Bhati

गुजरा वक्त देखते-देखते अरसों गुजर गये बेटे का प्यार पाने को मां-बाप तरसते रह गये सोचा था,बेटा होना जरूरी है, बेटी तो बस बोझ की गठरी है जाने कब मुंह काला करा दे , सारे समाज से ताने सुना दे बेटा नाम रोशन करेगा, सारे सुख ऐशो-आराम देगा

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#OpenPoetry  गुजरा वक्त ,देखते-देखते अरसों गुजर गये बेटे का प्यार पाने को मां-बाप तरसते रह गये
सोचा था,बेटा होना जरूरी है,
बेटी तो बस बोझ की गठरी है
जाने कब मुंह काला करा दे 
सारे समाज से ताने सुना दे
बेटा नाम रोशन करेगा,सारे सुख 
एेशो-आराम देगा
यही सब सोच कर मार डाला उस बच्ची को गर्भ में
जो अभी उड़ी भी नहीं थी,इस परिवार रूपी नभ में गुजरा वक्त देखते-देखते अरसों गुजर गये
बेटे का प्यार पाने को मां-बाप तरसते रह गये
सोचा था,बेटा होना जरूरी है,
बेटी तो बस बोझ की गठरी है
जाने कब मुंह काला करा दे ,
सारे समाज से ताने सुना दे
बेटा नाम रोशन करेगा,
सारे सुख ऐशो-आराम देगा

Ajay Amitabh Suman

ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है । इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है। माँ आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ, कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है? धरती पे माँ कहलाती है।

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 ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है ।  इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है।     

माँ

आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ,
कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है?
धरती पे माँ कहलाती है।

KD

【★बेटी★】 बेटी की जिंदगी का तो समाज गर्भ से ही दुश्मन हो जाता हैं, बहुत दुःख की बात है कि 100 में से 95 %लोग उसे गर्भ के भीतर मारने को पूरी तरह से कोशिस करते है । देखा जाय तो काफी हद तक बेटी और पेड़ की जिंदगी या फिर किस्मत कह सकते है वो,एक जैसी ही होती है। बस फर्क इतना ही है कि ,बेटी को गर्भ के अन्दर और पेड़ को गर्भ के बाहर समाज मरता है । अब इन्हे कौन समझाए की जो बेटी होती है वो पृथ्वी की उर्वरा है।और पेड़ नूतनता। अगर आप देखे तो बेटी की जो जिंदगी (दुनिया) - माँ के कोख से सुरु होती

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 【★बेटी★】
बेटी की जिंदगी का तो समाज गर्भ से ही दुश्मन हो जाता हैं, बहुत दुःख की बात है कि 100 में से 95 %लोग उसे गर्भ के भीतर मारने को पूरी तरह से कोशिस करते है ।
         देखा जाय तो काफी हद तक बेटी और पेड़ की जिंदगी या फिर किस्मत कह सकते है वो,एक जैसी ही होती है।
          बस फर्क इतना ही है कि ,बेटी को गर्भ के अन्दर और पेड़ को गर्भ के बाहर समाज मरता है । अब इन्हे कौन समझाए की जो बेटी होती है वो पृथ्वी की उर्वरा है।और पेड़ नूतनता।
अगर आप देखे तो बेटी की जो जिंदगी (दुनिया) -
माँ के कोख से सुरु होती

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