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Uma Vaishnav
कुंडलियां - छंद *************** पावन मन को हम करे, लेकर हरि का नाम। सुबह शाम हरि को भजे, यही हमारा काम।। यही हमारा काम, जपना हरि को हमेशा। जहां कृष्ण का जाप , वहां नहीं रहे क्लेशा।। भज मन हरि को रोज, सुखी रहे ये जीवन। जप कर हरि का नाम,करे हम मन को पावन।। *******************************************'' ©Uma Vaishnav #कुंडलियां
Uma Vaishnav
कुंडलियां - छंद **************** पैसा बीना #कुछ_नहीं, मतलब के सब लोग। बिन मतलब के भक्त भी, नहीं लगाते भोग।। नहीं लगाते भोग , प्रभु से मांगते रहते। पूरा हो हर काम , प्रभु से बस यही कहते।। जानू ना ये बात , उमा ये पैसा कैसा। देता नाते तोड़ , पास जब ना हो पैसा।। ©Uma Vaishnav #कुंडलियां #kuchnahi
Nitin Kr Harit
नश्वर इस संसार में, मची पड़ी है लूट, भ्रम की गठरी बांध के, पकड़े बैठे खूंट। पकड़े बैठे खूंट, ये गठरी छूट न जाय, ये डूबेगी ठौर इन्हें अब कौन बताए। मैं क्या हूं मैं कौन? कोई बूझे तो उत्तर, हरित शून्य है सब जगत ये सारा नश्वर। हरित की कुंडलियां #हरित_वाणी #nitinkrharit #yqdidi #yqbaba #yqtales #yqhindi
kavi manish mann
होली के त्योहार में, लगे गले मन मीत। क्रोध भाव को छोड़कर,करे प्रीत ही प्रीत। करे प्रीत ही प्रीत, बने राधा सी गोरी। अंग अंग में रंग, लगाए चोरी चोरी। बोले ’मन’ कविराय,मिले सारे हमजोली। पिये भंग हैं मग्न,झूमकर खेलें होली।। #कुंडलियां #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #yqdidi #होली #holi
Sakshi kapoor
प्रकृति ने ऐसा खेल रचाया है मानव के बुरे कर्मों की सजा मानव ने ही पाया है सो रहा था इंसान अभी अभी तो जाकर आया है मानव के बुरे कर्मों की सजा मानव ने हीं पाया है कैसा खेल रचाया है संकट के बादल चारों और छाया है | घर घर सब को अकेला पाया है आज साथ रहकर भी दुख का साया आया है प्रकृति ने कैसा खेल रचाया है तोता बोला मैंना बोली ना रहा आदमी का साया है पंछी उड़े आसमान पर मनुष्य को अपने ही घर पर के पाया है| कैसा मंजर आया है चारों ओर घन घोर संकट छाया है| आप मानव को समझ आया है प्राकृतिक दास बनाने की सजा वह पाया है| (corona) #HopeMessage प्रकृति को दास बनाने की सजा
kavi manish mann
वृक्षों से जीव जगत के, वृक्ष से ये संसार। यदि वृक्ष न हों जगत में,तो जीवन बेकार। तो जीवन बेकार, सुनो जग के नर नारी। मानसून बेकार, रहे चहुंँ ओर अकाली। बोलें ’मन’ कविराय,सुनो जी बात हमारी। वृक्ष लगाओ हजार,रहे न फिर अकाली।। कुंडलियां प्रथम प्रयास #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #पेड़ #वृक्ष