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Sharda Jha
Alpha_Infinity
Odysseus
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
मैं एक रोज समेट कर चल दूँगी अपनी सभी हसरते, मेरी पसंदीदा उल्फते और अलमारी में रखी अपने रंग बिरंगे लिबास,सब संभाल के रखे गए चुन-चुन कर लिए चुन्नी,दुपट्टे..... अच्छे बुरे वक्त में लिखी गई मेरी डायरियाँ और मन को बहलाने के लिए खुद् से लिखी गई गजल,नज़्म कोट्स,कविताएं.... वालिदेन से तोहफे में मिले सोने चाँदी के गहनें,कांच की हरी हरी चूड़ियां, वो गुलाबी लिपस्टिक,काजल, गुलाबजल की महक,हराम हलाल की तमीज,..... अकेलेपन को खर्च करने बाबत बनाई गई पेंटिंग, सिलाई और कपड़ों पर किए जाने वाले पेचवर्क कशीदे कई तरह के रंग-बिरंगे धागे और सरगम सुनाती पायजेबे.... घर के आंगन में छोटा सा खिज्र नुमा वो दरे दयार,जिसपे मैं बरसो बरस रहती रही,सब्जा उगाती,और वक्त बिताती रही.... घर से मिला चीड़चिड़ापन दुनिया भरकी वो इलाज की पर्चियां, और जानलेवाबिमारी की डिब्बे भरी गोली दवाइयां,.... वो मेरी हसीन प्यारी प्यारी मखमली बेटियों की, सुसराल को जाती हुई विदाईयां,और आईने से रूबरू होती हुई मेरी तुम्हारी परछाइयां..... मैं जब समेट कर चल दूंगी बावर्ची खाने की लजीज लज्जते, अपने दस्त में,उठा कर चल पडूंगी,तब ज्यों की त्यों सारी लियाकते अपने ही सिर पे टोकरी में धरकर...... अब बोलो क्या बचेगा,इस घर में,सिवाय तुम्हारी अना,जबर,और चंद जोड़ी कपड़ों के सिवा....????? shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Baatein मैं एक रोज समेट कर चल दूँगी अपनी सभी हसरते, मेरी पसंदीदा उल्फते और अलमारी में रखी अपने रंग बिरंगे लिबास,सब संभाल के रखे गए चुन-चुन
Neelam Modanwal
एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है अपने साथ घर की पूरी खतौनी लेकर निकलती है अचानक उसे याद आता है गैस का जलना दरवाज़े का खुला रहना नल का टपकना और दूध का दहकना एक-एक कर वह पूछती है प्रेस तो बंद कर दिया था न! आँगन का दरवाज़ा तो लगा दिया था न! किचेन का सीधा वाला नल बंद करना तो नहीं भूली! अरे! हाँ! वो सब्ज़ी वह मँहगी हरी पत्तियों वाली सब्ज़ी जो अभी कल ही तो लाई थी सटटी से प्लास्टिक से निकाल दिया था न! हाँ, हाँ अरे सब तो ठीक है आपको ध्यान है आलमारी लाक करना तो नहीं भूली अभी कल की ही तो बात है महीनों को बचाए पैसे से नाक की कील ख़रीदी थी । इस तरह वह बार-बार याद करती और परेशान होती है कि दूध वाले को मना करना भूल गई कि बरतन वाली से कहना भूल गई कि उसे कल नहीं आना था कि पड़ोसिन को बता ही देना था कि कभी कभी मेरे घर को भी झाँक लिया करतीं । इस तरह एक स्त्री निकलती है घर से जैसे निकलना ही उसका होना है घर में.... 💯💯✍️✍️❣️❣️ ©Neelam Modanwal एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है अपने साथ घर की पूरी खतौनी लेकर निकलती है अचानक उसे याद आता है गैस का जलन