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Poet Shivam Singh Sisodiya
उस लड़की के दो नयनों से निर्झरिणी नित बहती है | उम्मीदों के रेत घरोंदों की दीवारें ढहती हैं || उस निर्झरिणी के तट रखती वह कुछ आस के दीपक है, स्वयं बहाती दीप आस के कैसे दुःख यह सहती है? कवि शिवम् सिंह सिसौदिया "अश्रु" निर्झरिणी
Kulbhushan Arora
Love + Care + Affection = SHREE Dedicating a #testimonial to Shree स्नेह की निर्झरिणी.. उत्साह की मलय पवन, सुवासित सुगंध का, संगीत हो तुम पावन, अनुपम, अद्वितीय श्रेष्ठ, स
Dr Garima tyagi
इरादा 💐💐💐🙏🙏🙏🌹🌹🌹 ©Dr Garima tyagi https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=524266028578326&id=100029848008551 हिंदी साहित्य के छायावादी युग की अग्रणी लेखिका तथा आधुनिक मीर
संगीत कुमार
(अंधर) --------- कैसा ये अंधर छा गया? तन-मन सब भींग गया।। भव असमंजस से छा गया। ब्रह्मांड गरल से मचमचा गया।। कैसा ये अंधर छा गया? हयात पीर से भर गया। वात माहुर से फैल गया।। प्राण यन्तणा से ग्रस्त हो गया। मरना भी मुसकिल हो गया।। कैसा ये अंधर छा गया? घर-आँगन सब निर्जन सा हो गया। उपवन में सब मंजरी कुम्हला गया।। मानुष मातम से घर सो गया। बच्चा का किलकारी सब बंद पड़ा।। कैसा ये अंधर छा गया? नभ से पूछू , मही से पूछू, ये क्या हो गया? निर्झरिणी क्यों झर-झर करना छोड़ दिया? पशु-पंछी का गुंजन क्यों बंद। पड़ा? जगत निभृत-निभृत सा क्यों हो गया? कैसा ये अंधर छा गया?। तन -मन में तिमिर क्यों छा गया?। मनुज मन आकुल क्यों हो चला?।। प्राण क्षिति से क्यों उठ गया?। धरित्री श्मशान सा क्यों बन पड़ा?।। कैसा ये अंधर छा गया? ---------------------------------------- (संगीत कुमार /कुमार ) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 (अंधर) --------- कैसा ये अंधर छा गया? तन-मन सब भींग गया।। भव असमंजस से छा गया। ब्रह्मांड गरल से मचमचा गया।। कैसा ये अंधर छा गया?
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सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी, सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी, भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी, अति अमूल्य अक्षरनोक्ति की सु रचना है हिंदी, सुनिष्ठ,सुसंस्कृत,सुसभ्य,सुलभ्य सार है हिन्दी, सरल है,सहज है,सुंदर है सुरों की साज है हिंदी, मीठी है ,मनोरम है,हृदय के तार से जुड़ी है हिन्दी, तेजस्वीनी,ओजस्वनि,ऋषियों मुनियों की हैं हिंदी, मन के भावों की,माँ के दुलार की प्यारी है हिंदी, बालक की प्रथम बोली व शिक्षिका सम है हिंदी, गद्य,पद्य,नाटक,कथा,कहानी जीवनी में है हिन्दी, मीरा भक्ति, कबीर के दोहे,घनानंद सुजान है हिन्दी, असीमित,असीम,शाश्वत हृदयस्पर्शी साहित्य है हिन्दी, सभी को साथ ले चले,सब को हृदय में दे स्थान है हिन्दी, मेरा मान है,मेरा अभिमान है, मेरा गौरवगान है हिंदी, विश्वजगत में जानी जाये ऐसी हिंदुस्तान की शान है हिंदी। 🙏सभी की हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🙏 निशा कमवाल सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी, सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी, भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी, अति अमू
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सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम सम्पूर्ण मैं पत्नी हूँ, ममतामयी-सेवामयी-निष्ठामयी-पतिव्रता-प्रेममूर्ति मैं एक पत्नी हूँ, सहधर्मिणी-सहभागी-सहयोगी-अर्धांगिनी-परिणीता मैं पत्नी हूँ। 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 🙏सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 विषय:-पत्नी ********************* सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम स
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रचना:-3 विधा:- कविता विषय:-पत्नी ********************* सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़ियेगा रचना:-3 विधा:- कविता विषय:-पत्नी ********************* सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी
Anupama Jha
साहित्याकाश के तारे (कविता अनुशीर्षक में) #yqhindipoetry #दिनकर #मैथिलीशरणगुप्त #निराला #बच्चन #जयशंकरप्रसाद #महादेवी_वर्मा #पंत साहित्याकाश में चमक रहे असंख्य सितारे हैं काव्यो
Krish Vj
।। कुछ छीन लिया गया, तो कुछ दे दिया गया गुलाब को खुशबु के लिए निचोड़ दिया गया ।। शेष रचना अनुशीर्षक मैं पढ़िए...!! ❣️🌹लेखन संगी 🌹❣️ //शक्ति रुपा स्त्री को श्रद्धासुमन// श्रद्धा है तू, शक्ति भी तू, सहनशीलता की सुंदर मूरत तू , होते हैं साक्षात्कार जहांँ ई
Alok Vishwakarma "आर्ष"
जन्मदिन के शुभ अवसर पर भेंट स्वरूप 108 पंक्तियों की यह अनिर्वचनीय व अनुपम कविता "Happy Birthday Dear Vanila" प्रखर जगती के हित अवकाश में, तिमिर अज के निमित आकाश में । पहर प्रगति के ऋत्य प्रकाश में, उदय रश्मि सवित निशि न