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ऋतु गुलाटी ऋतंभरा
White गजल यूँ वक्त भी हमें क्यो देता भी सिसकियाँ हैं। गम मे कहाँ दिखेंगी फूलों पे शोखियाँ हैं। बच्चो को साथ रखना,गुलशन है आजकल के। वो घर भरा खुशी से जिसमे कहानियाँ हैं। कहते सभी हमे भी रखना ख्याल सबका। आ सीख हम भी ले ले करना न गलतियाँ हैं। क्यो चाँद आज हमको आँखें बड़ी दिखाये। आ जाये जब जमीं पे करता वो मस्तियाँ हैं। फूलों पे अब दिखी हैं कलियाँ भी अब खिली सी। लायी हैं हौसला भी हरहाल बेटियाँ हैं। मरते हैं भूख से सब,फैली बे-रोजगारी। बस भूख से तड़फती बेहाल बस्तियाँ हैं।गिरह स्वरचित..✍️ रीतागुलाटी ऋतंभरा ©ऋतु गुलाटी ऋतंभरा #mango गजल..रीतागुलाटी की चंडीगढ़ से
Sunil Kumar Maurya Bekhud
वही शाम वही रात वही तारे हैं मगर मायूस दिल वही नजारे हैं लगा था कल जंग जीत कर आए आज बैठे हैं जैसे जिंदगी से हारे हैं मेरी जहां से खफा हो चांद गया गम मैं डूबे मिलते नहीं किनारे हैं गुल खिले खुशबू से घुट रहा है दम आज बेखुद हमें तड़पा रही बहारें हैं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गजल
Sunil Kumar Maurya Bekhud
गजल करवट बदल बदल कर क्यूं रात बितातें हैं इक नाम क्यों जमीं पर लिखतें हैं मिटाते हैं मालूम है डगर में लुट जातें हैं मुसाफिर गर लुट गए तो फिर क्यों अब शोर मचाते हैं कट कर पतंग कोई आती न लौट करके धागे में बांध फिर क्यूं खुशियों को उड़ाते हैं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गजल
Anand Ji Mayura Ji
ना कर ईशारे तबीयत मचल जाएगी । सूरत ए यिर पूतलियो में ढल जाएगी । -------------------------------------- अगर तू ने चाहा और पूजोगी मुझको , मेरी चाहत की नीयत बदल जाएगी । -------------------------------------,- माना कि तुम हो करिश्मा खुदा का , पाक ए खुदा ईबादत बदल जाएगी । --------------------------------------- खंजर निगाहो के जो मारोगी मुझको , रोज मरने की मौत भी टल जाएगी । ---------'ल-----------'---- बनके बदरिया जो बरसोगी मुझ पर , मयूरा अब कि बारिश बदल जाएगी। बनके बदरिया जो बरसोगी मुझ पर , ©Anand Ji Mayura Ji गजल
ऋतु गुलाटी ऋतंभरा
यूँ वक्त भी हमें क्यो देता भी सिसकियाँ हैं। गम मे कहाँ दिखेंगी फूलों पे शोखियाँ हैं। बच्चो को साथ रखना,गुलशन है आजकल के। वो घर भरा खुशी से जिसमे कहानियाँ हैं। कहते सभी हमे भी रखना ख्याल सबका। आ सीख हम भी ले ले करना न गलतियाँ हैं। क्यो चाँद आज हमको आँखें बड़ी दिखाये। आ जाये जब जमीं पे करता वो मस्तियाँ हैं। फूलों पे अब दिखी हैं कलियाँ भी अब खिली सी। लायी हैं हौसला भी हरहाल बेटियाँ हैं। मरते हैं भूख से सब,फैली बे-रोजगारी। बस भूख से तड़फती बेहाल बस्तियाँ हैं।गिरह स्वरचित..✍️ रीतागुलाटी ऋतंभरा ©ऋतु गुलाटी ऋतंभरा #mango गजल पेशखिदमत है रीतागुलाटी की चंडीगढ़ से।
Dr. Alpana suhasini
न जाने क्या ज़माना चाहता है, मेरी ख़ुशियां मिटाना चाहता है। मेरी मासूमियत को छीन कर क्यों, मुझे शातिर बनाना चाहता है. अभी कोई कमी बाक़ी है शायद, जो फिर से आज़माना चाहता है। मिटाकर तीरगी अब ज़िन्दगी से, उजाले में वो आना चाहता है। निगाहों से लगे सीधा जिगर पर, वो इक ऐसा निशाना चाहता है । परिंदे की है बस इतनी सी ख़्वाहिश, नशेमन फिर बसाना चाहता है। अल्पना सुहासिनी ©Dr. Alpana suhasini #गजल#गजल_सृजन #
Madhur Nayan Mishra
अब तुम्हारे प्यार के बारे में क्या कहूं? मैं तो तुम्हारे दिए ज़ख्म को भी सीने से लगा कर रखता हूं... ©Madhur Nayan Mishra #MountainPeak #शायरी #गजल