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Er Manish Prajapati
अपवाह मुझे यकीन नहीं हुआ अपवाह उड़ी थी वो किसी और के हो गए। उनकी हक्कीत तो तब सामने आई जब किसी और के साथ रंगे हाथ पकड़ाए। तब उसकी आंखे मेरी आंखों से टकराई टकराने के बाद ही उसने आंखे गिराई। फिर वो दुबारा हमसे आंखे नहीं मिला सके एक बार मिले थे सपने में फिर हम ना बदल सके। ©Er Manish Prajapati #अपवाह #नोजोटो #Nojoto #poerty #single #Dhoka # #AkelaMann
Usha Yadav
माँ तेरा ही प्रतिरूप हूँ माँ तेरा ही रूप हु,तेरा ही प्रतिरूप हु मैं, तेरा ही दृष्टिकोण हूँ मैं...... तेरी ही छाया,पाकर यूँ ऐसे ही बढ़ी हुई हूं माँ........ मां तेरी बहुत याद आती है थक चुकी हूं मैं खुद से सवाल कर-कर के अब खुद ही जवाब ढूंढना नहीं चाहती हूँ। अब कौन अपने हाथों से खाना खिलायेगा माँ....... होती तो थी,रोज ही बातें अपनी,अब कौन तेरे बिन इन बातों को सुलझाऐगा माँ....... यह मजबूरियां ना होती तो कब की आ जाती मां ...... सहम जाती हूं अब भी यह सोचकर, मैं घर जाऊंगी और तुम, ना मिली तो यह मायका तुम बिन अधूरा माँ..... सच! बहुत याद आती है तेरी मां...... मिस यू मां!😔 उषा यादव! तेरा ही प्रतिरूप हूँ। #findingyourself
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तरुणाई सी कश्ती मिरी वो बचपन की कश्ती हक़ अपना अदा कर चली, अब तरुणाई की कश्ती हक़ अपना अदा कर रही, कैसे संभाले हाल ए कश्ती अपनी, समंदर गहरा लहरों का शोर दिल की कशमकश डूबा न दे कहीं लगा बहुत मेला इंसानों का ज़िन्दगी में मिरी, मगर अंजान हुई शख़्सियत मिरी मुझसे ही, ये तरुणाई हुई कश्ती तरूणा की बड़ी गज़ब की लगी,न पूँछो कितने हादसों से गुजरी मिरी जज़्बातों की कश्ती, कैसे कह दूँ किनारा है दूर लहरों से मिरी कश्ती का कैसे बेख़ुदी का इल्ज़ाम मैं दे दूँ, बहकाव के बहाव में आ न जाये तिरी तरुणाई की कश्ती सुन शायरा तरूणा, रख संभाल कर नजरों से ज़माने की बुरी नज़र से कहीं तिरी मासूम कश्ती डूब न जाये, दूसरा चरण "प्रतिरूप-ग़ज़ल तरुणाई सी कश्ती मिरी #प्रतिरूप #kkप्रतिरूप #कोराकाग़ज़प्रतिरूप #प्रतिरूपग़ज़ल #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग
Tarot Card Reader Neha Mathur
मेरे सनम को नेह मे डूबा हुआ इश्क का पैगाम भेजा है मय की प्याली सा बहकता हुआ सलाम भेजा है, भड़कती हुई तिश्नगी मे लिपटा हुआ बेकरारी तोहफा भेजा है, मोहब्बत के गुलशन मे नम इश्किया मिट्टी पर उनके नाम का नायाब गुल रोपा है, कहकशाँ मे वह दरख्शंदा सितारे सा मेरे नूर मे समाया है, महबूब की नेह-ए-बंदगी मे सूफियाना सा हश्र किया है, हमसफ़र की ज़िन्दगी संवारने का क्या इनाम मिला है तुझे 'नेहा', कहते है वो खुद को नाचिज़ और मुझे खुदा के फ़रिश्ते खिताब बक्शा है। #प्रतिरूप #कोराकाग़ज़प्रतिरूप #प्रतिरूपग़ज़ल #kkप्रतिरूप #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
Dr Upama Singh
“पंछी की उड़ान” पंछी बन उड़ना है दूर गगन। मंज़िल पाना है होकर मुझे मगन। हरी डाली पर मुझे अपना घरौंदा बनाना है। इसको पूरा करने वास्ते ख़्वाब हमें पिरोना है। हर इंसान चाहता उसे उड़ने को मिले। हम पंछी चाहते रहने को घर मिले। क्या पंछी का दर्द समझा सका ये ज़माना है। इंसान पेड़ काट कर तोड़ दिया मेरा आशियाना है। हम पंछी को आसमान में उड़ान भरने में आराम आज़ादी मिलती है। हमें पिंजड़े में क़ैद क्या कर दिया खुशी नहीं मिलती है। एक एक तिनका जोड़ कर मैं अपना घर बनाती हूंँ। धूप, हवा, बारिश, तूफ़ान झंझावातों से अपना परिवार बचाती हूंँ। मेहनत करने से मैं कभी नहीं घबराती हूंँ। अपने छोटे से शरीर से बड़ा काम कर जाती हूंँ। #प्रतिरूप #kkप्रतिरूप #कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़प्रतिरूप #collabwithकोराकाग़ज़ #प्रतिरूपग़ज़ल #rimjhim_thoughts #विशेषप्रतियोगिता
Dr Upama Singh
“पंछी की उड़ान” कहानी बात अस्सी के दशक की है जब मेरा जन्म हुआ। मैं जन्म के समय बहुत ही कमजोर पैदा हुई थी। इसलिए कॉलोनी की मिश्रा आंटी ने मेरा नाम चिड़िया रख दिया। मेरे जन्म से 2 साल पहले ट्रेन एक्सीडेंट में मेरे 8 साल भाई की मौत हो गई थी। इसलिए जब मैं कमजोर पैदा हुई तो मेरी मांँ और पापा ने सोचा कि सब सोचेंगे लड़की हुई है इसलिए ये लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं, इस सोच से वो लोग बहुत मेरे स्वास्थ्य बहुत ध्यान दिया। धीरे धीरे बड़े होने पर जब कॉलोनी के सारे लोग चिड़िया बुलाते से मुझे बहुत गुस्सा आता क्योंकि सब बच्चे मुझे “चिड़िया का दाना, है तुमको खाना” कह कर चिढ़ाते थे। एक दिन मिश्रा आंटी से मैंने कहा कि आप मेरा कोई और नाम नहीं रख सकती थी, उन्होंने का कि तुम बहुत कमजोर पैदा हुई थी और उस समय मुझे यही नाम सुझा। मैंने तुरंत बोला कि आप मेरा कोई और नाम रख दीजिए, तो वो बोली, आज से सब तुम्हें पंछी बुलाएंगे। अब तो तुम खुश हो ना, वैसे एक दिन तुम पंछी की तरह दूर ऊपर आसमान में कामयाबी की उड़ान भरोगी, ये मेरा तुम्हारे लिए आशीर्वाद है। धीरे धीरे सब मुझे तबसे पंछी नाम से बुलाने लगे। और आज मिश्रा आंटी और अपने सभी बड़ों और गुरुजनों के आशीर्वाद से बीएचयू जैसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पीएचडी स्क्लोरशिप के साथ कर कामयाब जीवन व्यतीत कर रही हूंँ। #कोराकाग़ज़ #प्रतिरूप #प्रतिरूपकहानी #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़प्रतिरूप #kkप्रतिरूप #विशेषप्रतियोगिता #unique_upama
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ख़ूबसूरत चाँद तारों के साथ आयी है इश्क़-ए-जाम से भिगोने रात आयी है ख़ाब क्या देखूँ जब महबूब सामने है दिल में छुपी ज़ुबां पे बात आयी है बेमतलब या मतलब की जैसी हो बात दिल के दिल से जुड़ने की रात आयी है तुम बिन जीना खौफ़नाक सपना है तुमसे मिलके ही चैन की साँस आयी है ग़र मिल जाओ दुनिया का खौफ़ नहीं दुनिया के शोर को दूर कर रात आयी है पलकों ने झपकने से इंकार कर दिया है इश्क़ से सराबोर करने ये रात आयी है ख़ुशनसीब है ' निशि ' महबूब साथ में है जन्नत को ज़मीं पर उतारने रात आयी है ❤️🤍❤ #प्रतिरूप #kkप्रतिरूप #कोराकाग़ज़प्रतिरूप #प्रतिरूपग़ज़ल #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकागज़
Nitesh Prajapati
"नीतेश" नितेश मानी के नीति का उपासक, सच का नुमाइंदा और कानून का हिमायती। चलता है जो हमेंशा नीति की पगडंडी पर, चाहे फिर हो जाए कुछ भी खुद का। करता है वह दूसरों की इच्छा पहले पूरी, अपने बारे में तो वह बाद में सोचता है। जो श्री कृष्णा की तरह बांटता है प्यार, और घिरा रहता है हर वक़्त अपने चाहको से। ना होता है कोई छल कपट ना ही कोई क्रोध भाव, होता है इस नाम वालों का दिल बिल्कुल ही साफ़। रहता है वह अकेला अपने बलबूते पर, लेकिन देता है साथ हमेंशा जहांँ उसकी जरूरत होती है। रचना क्रमांक :-1 #प्रतिरूप #kkप्रतिरूप #कोराकाग़ज़प्रतिरूप #प्रतिरूपकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़