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Zohaib Amber (عمبر امروہوی)
کہیں جھاڑی میں اُلجھی کوئی تتلی جان دے دیگی۔۔ कहीं झाड़ी में उलझी कोई तितली जान दे देगी..
read moreNikunj Vitthalbhai Parekh
"Accepting a mistake is like clearing a bush, which clears the dirt." "गलती स्वीकार करना एक झाड़ी को साफ़ करने जैसा है, जो गंदगी को साफ करता है।" - निकुंज पारेख. "Accepting a mistake is like clearing a bush, which clears the dirt." "गलती स्वीकार करना एक झाड़ी को साफ़ करने जैसा है, जो गंदगी को साफ करत
"Accepting a mistake is like clearing a bush, which clears the dirt." "गलती स्वीकार करना एक झाड़ी को साफ़ करने जैसा है, जो गंदगी को साफ करत #Quote #nikunj_parekh #gujju_quote
read moreashish gupta
लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों कि रेलगाड़ी मिट्टी की मूर्त की तुम चेक करते रहना नाड़ी ऐसा न हो झटका खा कर बंद हो जाए गाड़ी लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों की रेल गाड़ी ऊची नीची खाई पर्वत फिर आती है बंगाल की खाड़ी डर के भाग न जाना खतरो के तुम हो अच्छे खिलाड़ी लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों की रेल गाड़ी ईमान के चुभते काटो की जला दो तुम झाड़ी साधु संत फकीर संग आशीष ये लिख देता माड़ी ©ashish gupta #Time लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों कि रेलगाड़ी मिट्टी की मूर्त की तुम चेक करते रहना नाड़ी ऐसा न हो झटका खा कर बंद हो जाए गाड़ी लम्हों की
Savyasachi 'savya '
(मैं हिंदी:- एक व्यथा) हिंदी हूं मैं हाय! सखी, हिंदसुता भाग्य से पर, हालत हमारी ये कि 'हिंद' में हराम हूं... संविधान में है आब, पर यथार्थ बना ख्वाब , कंठ में सभी के पर, हृदय में ताधडाम हूं.. मेरी अमराई में ये , झाड़ी जो पराई आई, मेरे पुत्र बोलते है , मैं पुराना आम हूं. मेरा पल्लू ओढ़, इठलाती ये आजादी आई, आज सारे कहते कि, मैं ही नाकाम हूं. मेरे कृति - कर्म पे, दिखाओ युग -धर्म अब, न्याय दे मुझे यूं , लोक -न्याय को निखार दो. संवैधानिक अधिकार सब ,आए व्यवहार में तो, तीन -सौ - तिरालिस(343) देख, मेरा अधिकार दो.... ©Pt Savya kabir (मैं हिंदी:- एक व्यथा) हिंदी हूं मैं हाय! सखी, हिंदसुता भाग्य से पर, हालत हमारी ये कि 'हिंद' में हराम हूं... संविधान में है आब, पर यथार्थ ब
(मैं हिंदी:- एक व्यथा) हिंदी हूं मैं हाय! सखी, हिंदसुता भाग्य से पर, हालत हमारी ये कि 'हिंद' में हराम हूं... संविधान में है आब, पर यथार्थ ब #Hindi #kavita #कविता #Mic #Panditsavya #HindiDiwas2021
read moreArchana Tiwari Tanuja
कदमों की आहट सुनते ही मै पीछे मुड़ी, भयावह आकृति दो परछाइयां थी खड़ी। डरी, सहमी,व्यथित,रुदन करती बोली वो, सुनाने लगी जुल्म की दास्तां सांसें उखड़ी।। क्या दोष था मेरा जो स्मिता लूटी हैवानों ने? लहूलुहान हुआ लाश मेरी झाड़ी में हैं पड़ी। चीखी,चिल्लाई,गिड़गिड़ाई जोड़े हाथ कितने। लाज बचाने की खातिर मैं बल भर थी लड़ी। तड़पती-भटकती है रुह मेरी कितने वर्षों से, कब लगेगी मेरे उन गुनाहगारों को हथकड़ी? नारी होना ही बना अपराध दूषित समाज में, आप बीती सुनाने को तुझसे आज हूं जुड़ी।। अर्चना तिवारी तनुज ©Archana Tiwari Tanuja #horrorstories #hountedstories #selfrespect #womensrights #humenity #nozotoEnglish #nozotohindi #nozotowrites #MyThoughts 22/02/2023 कदम
#horrorstories #hountedstories #selfrespect #womensrights #humenity #nozotoEnglish #nozotohindi #nozotowrites #MyThoughts 22/02/2023 कदम #सस्पेंस
read moreसंगीत कुमार
पृथ्वी पृथ्वी जीवन की जननी है। जीव-जन्तु की तरणी है।। जीवन का यह सार है। इसका गोल आकार है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। जीवन से यह ओतप्रोत। नदी -झरना से घिरा परा।। वन-झाड़ी से हरा-भरा। हरियाली जीवन मे देती है। पृथ्वी जग की जननी है। आश्रय का यह द्वार खड़ा है। खनिज -संपदा से ओतप्रोत।। जल-जीवन से भरा परा है। रक्षा करना सब का काम है।। पृथ्वी जग की जननी है। पेड़ पौधा खूब लगाना है। जीवन को बचाना है।। जनसंख्या नियंत्रण करना है। अनावश्यक बोझ हटाना है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। धरा को सजाना है। मानव अस्तित्व बचाना है।। पृथ्वी दिवस मनाना है। लोगों के बीच अलख जगाना है। पृथ्वी जग की जननी है। (संगीत कुमार /जबलपुर ) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 पृथ्वी पृथ्वी जीवन की जननी है। जीव-जन्तु की तरणी है।। जीवन का यह सार है। इसका गोल आकार है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। जीवन से यह ओतप्रो
पृथ्वी पृथ्वी जीवन की जननी है। जीव-जन्तु की तरणी है।। जीवन का यह सार है। इसका गोल आकार है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। जीवन से यह ओतप्रो
read moreSunil itawadiya
यही फर्क है धन में और मन में🙏🏼 एक बात पूरा कैप्शन जरूर पढ़ें 🍫🍫💐🙏🏼👍 कैप्शन 👉दो बुजुर्ग रास्ते से जा रहे थे एक ने कहा यार पीछे से कुछ आवाज आई क्या अगले ने कहा नहीं पहले वाले ने पीछे मुड़कर देखा तो किसी की जेब
कैप्शन 👉दो बुजुर्ग रास्ते से जा रहे थे एक ने कहा यार पीछे से कुछ आवाज आई क्या अगले ने कहा नहीं पहले वाले ने पीछे मुड़कर देखा तो किसी की जेब
read moreअशेष_शून्य
"मानसिक जड़ता" (शेष अनुशीर्षक में) हम जिस भी विचार से ,व्यक्ति से परिस्थिति से , विश्वास से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं उसे या तो बार बार दोहराना चाहते हैं; या उसे एक झटके
हम जिस भी विचार से ,व्यक्ति से परिस्थिति से , विश्वास से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं उसे या तो बार बार दोहराना चाहते हैं; या उसे एक झटके #clarity #flexibility #yqaestheticthoughts #thinking_process #अशेष_शून्य
read moreShweta Singh
(मैं महज 3 साल कि थी) मैं महज 3 साल कि थी इंसानो में छुपे हैवानो से अन्जानी थी घर से बाहर अपने मैं खुशी से चहक रही थी शायद खुशी मेरी उसे खटक रही थी
मैं महज 3 साल कि थी इंसानो में छुपे हैवानो से अन्जानी थी घर से बाहर अपने मैं खुशी से चहक रही थी शायद खुशी मेरी उसे खटक रही थी #Poetry #Quotes #HUmanity #poem #hindiquotes #nojotohindi #kalakaksh #TST #Nojotomumbai
read moreAshay Choudhary
निंबोलियां (Read caption for write up) बचपन में मेरा एक पसंदीदा शगल था नानी के घर वाले बरामदे में नीम की निंबोलियां इकठ्ठा करना और साथ में बबूल के फल, फूल और भी पता नहीं कितनी जंग
बचपन में मेरा एक पसंदीदा शगल था नानी के घर वाले बरामदे में नीम की निंबोलियां इकठ्ठा करना और साथ में बबूल के फल, फूल और भी पता नहीं कितनी जंग #story #yqdidi #yqtales #bachpankiyaadein #Ashay #longform #bestyqhindiquotes
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