Find the Best namanandini Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about kaisi hai ye anhoni har aankh hui nam, nam to, brikkho tomar nam ki, nandyan ka na naman lyrics, dost ke nam poetry,
Swarima Tewari
शामें इतवार की मुझको बहुत भाती, 2 कप चाय के लेकर, बालकनी से तुम्हारा इंतज़ार करती जाती। ठीक 5 बजे सड़क के मोड़ से तुम हाथ हिलाते आते, रजनीगंधा के अमोल पालेकर की याद दिलाते। फिर बालकनी में चाय की चुस्किया लेते लेते, सामने मैदान में खेलते बच्चो को हम घंटों निहारते, कभी किसी कैच पर उछल के तुम ताली भी बजाते। तुम्हारे इस बचपने पर बड़ी हंसी सी आती, तुम्हारी ताली, मेरी हंसी हवाओं में रंग सा भर जाती। कहने को प्रोफेसर हो, पर लगते वही मनमौजी पालेकर हो। तुम पूरे हफ्ते के दफ्तर की कहानियां सुनाते, मै भी अपना लिखा कुछ कुछ सुनाती रहती, सामाजिक चर्चा,विचार विमर्श करते करते, गर तुम्हे एक कप चाय और पीनी होती ,तो बड़े अंदाज़ में बोल देते, सुनो!चाय बहुत अच्छी बनाती और मैं हंसकर दो कप और ले आती। इन सब के बीच सांझ सुरमई रंग में ढलने लगती, पता भी नहीं चलता और तुम्हारे जाने का वक़्त हो जाता, अगले इतवार का वादा कर तुम निकल जाते, तुम्हारी परछाई छोटा होता हुए देखती, लंबी ख़ाली सड़क से दूर तक जाते। अरे! आज तो इतवार है,दो कप चाय बनाती हूं और बाहर आ जाती हूं। यूं तो अब तुम नहीं आते, पर मैं और ये बालकनी आज भी हर इतवार तुम्हारे इंतजार का वादा निभाते! आ जाओ कि फिर एक कप चाय और पीनी है ☕ शामें इतवार की मुझको बहुत भाती, 2 कप चाय के लेकर, बालकनी से तुम्हारा इंतज़ार करती जाती। ठीक 5 बजे सड़क के मोड़ से तुम हाथ हिलाते आते, रजनीगंधा के अमोल पालेकर की याद दिलाते। फिर बालकनी में चाय की चुस्किया लेते लेते,
Swarima Tewari
उसने बताया था, इसमें सुकून मिलता है, सोचने का ज़रिया, उसके मुंह से निकलता धुआं, आकर्षक लगता, गोल-गोल छल्ले, एक के पीछे एक जाते हुए। वो आता और कुर्सी पर बैठ, दीवार को ताकता रहता, छल्ले बनाता रहता सोच के, सामने बैठी घूरती रहती, मैं उसे लगातार। जैसे अभी वो मुझे घूरता है, सामने लगी तस्वीर से, मैं गोल-गोल छल्ले बना, सोचना सीख रही हूं, कुछ और उसके सिवा। Anuup Kamal Agrawal सर की पोस्ट से प्रेरित.. #yqbaba #yqhindi #yqdidi #hindiquotes #yqdidihindi #pc_google #namanandini
Swarima Tewari
एकाएक यूंँ ही, गहन निद्रा से खोल नयन, रिक्त सा उदास मन! शिथिल सा बिछा, बिस्तर पर ही, ज़हन भारी सा मानो, रक्त बहते ठहर गया, हो रहा बेबस अंतर्मन, और रिक्त सा उदास मन! शायद शाम का रंग और इक याद, घुलमिल कर घुमड़ रही, भर रही पीड़ा हृदय में, तेरे ना होने की, तेरे ना आने की, दर्द का कोहरा सघन और रिक्त सा उदास मन! आवरण इक ओढ़ के चंँचल स्मित अधरों पे, रोज़ धारे धर रही थी, नए रूप नए रंग, शय्या के कोने में फंँसा तुम्हारी कमीज़ का बटन, करे चीर हरण और बस रिक्त सा उदास मन! एकाएक यूं ही, गहन निद्रा से खोल नयन, रिक्त सा उदास मन! शिथिल सा बिछा, बिस्तर पर ही, ज़हन भारी सा मानो, रक्त बहते ठहर गया, हो रहा बेबस अंतर्मन,
Swarima Tewari
सुनो चाय बना रही हूं तुम्हारी पसंद की, कड़क, कम चीनी और ज़्यादा दूध वाली, खदक रही चूल्हे पर और कितना उबालूं, उफन रही बर्तन से, मेरे प्यार की मानिंद, अदरक की खुशबू तैर रही पूरी रसोई में, कहो तो थोड़ी कालीमिर्च भी मिला दूं, तुम्हारी पसंद का ये बड़ा वाला कप, जिसे लबालब भर चाय पीना पसंद है तुम्हें, लो सिगरेट भी लाकर रख दी साथ, ये नामुराद लाइटर भी जला लेना मुझे जलाने को, और कितने जतन करूं तुमको वापस लाने के, चाय भी उबलते उबलते अब बाहर गिर रही, एक बार ठंडी हो गई तो बरबाद हो जाएगी, जल्दी पिलो आकर, दोबारा गरम किया, तो छूटे रिश्ते सी, बेस्वाद हो जाएगी। चलो आज तुम्हारी पसंद कि चाय पीते हैं☕❤️ सुनो चाय बना रही हूं तुम्हारी पसंद की, कड़क, कम चीनी और ज़्यादा दूध वाली, खदक रही चूल्हे पर और कितना उबालूं, उफन रही बर्तन से, मेरे प्यार की मानिंद, अदरक की खुशबू तैर रही पूरी रसोई में, कहो तो थोड़ी कालीमिर्च भी मिला दूं, तुम्हारी पसंद का ये बड़ा वाला कप,
Swarima Tewari
हिमालय की कंदराओं से तुम बुलाते रहे, मेरी आज़ादी का गीत गुनगुनाते रहे, पर करती रही मैं, सही वक़्त का इंतज़ार। चांँद पर बैठ तुम सपने भेजते रहे, ख़्वाब मेरी आंँखों को सुनाते रहे, रोशनी रूहों में भरते रहे बेशुमार, पर करती रही मैं, सही वक़्त का इंतज़ार। यातनाओं का भंँवर खींचता रहा मुझे, हाथ बढ़ा तुम बुरे वक़्त से निकालते रहे, बेड़ियांँ काटते रहे, गाते रहे गीत मल्हार, पर करती रही मैं, सही वक़्त का इंतज़ार। शनैः शनैः तुम्हें सब विस्मृत हो चला, तमस फ़ैला, तुम विलीन हो गये, क्लान्त हो गयी गीतों की सुर ताल, चीख रही, दे रही हूं आवाज़ें, रूंँधा कंँठ, ख़ाली हो रही पुकार, नहीं रहा अब, तुमको मुझपर ऐतबार। आखिर क्यूं करते हैं हम, सही वक़्त का इंतजार? एक नज़्म वक़्त के नाम✍️..अक्सर हम सही वक़्त के इंतजार में मौजूदा वक़्त को नजरंदाज कर देते हैं..वक़्त के इशारों को नहीं समझ पाते और आने वाले वक्त के इंतजार में इन पलों को भी गवां देते हैं..फिर ना ये वक़्त बचता है ना सही वक़्त कभी आता है। ज़िन्दगी का बस इतना ही तजुर्बा हुआ है जो पल है अभी उसी में जी लो क्यूंकि वक़्त कभी किसी का ना हुआ है।⏳ #namanandini #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqhindipoetry #hindipoetry #yqdidihindi #नज़्म
Swarima Tewari
बहुत सारी यादें इकट्ठी हो गई हैं डायरी भर चली तुमसे मुलाकातों की,कैंटीन की चाय वाली, साथ जागी रातों वाली,तीखी चाट का स्वाद, माथे पर पड़े तुम्हारे बाल, फोन पर बात करते हुए सो जाने वाली, हां और वो बिछड़ने वाली भी अबकी बार यादों को सहेज कर ही रख लिया है छत पर टीन के नीचे उस कोने वाले गमले में जमा की यादों की मिट्टी और उसमे लम्हों के बीज रोप दिए थोड़ा जज्बातों और तन्हाई की खाद भी मिला दी ऊपर से अब पौधा अच्छे से फलेगा फूलेगा रोज़ अश्कों का छिड़काव होता है गुज़रे वक़्त की धूप छांव भी दिखाती रहती जब कोई याद बड़ी हो गई तो उसे तोड़कर कमरे के गुलदान में सजा लिया महक उठता है कमरा उस लम्हे की खुशबू से कर देता है अंतर्मन भरा भरा सा याद तुम्हारी और गहरी कर लेती हूं और गुनगुनाती फिर चल पड़ती हूं छत की ओर जहां रखा है यादों का गमला तोड़ने के लिए फिर एक लम्हा इस बार बिस्तर पर बिछाना है तुम्हारी वाली साइड में जिधर तुम्हें सोना पसंद था अपनी वो यादों वाला गमला🍁 बहुत सारी यादें इकट्ठी हो गई हैं डायरी भर चली तुमसे मुलाकातों की,कैंटीन की चाय वाली, साथ जागी रातों वाली,तीखी चाट का स्वाद, माथे पर पड़े तुम्हारे बाल, फोन पर बात करते हुए सो जाने वाली और हां वो बिछड़ने वाली भी अबकी बार यादों को सहेज कर ही रख लिया है छत पर टीन के नीचे उस कोने वाले गमले में जमा की यादों की मिट्टी और उसमे लम्हों के बीज रोप दिए
Swarima Tewari
तुमको जाना है ना?तो जाओ पर एक जवाब दे पाओगे क्या तुम लौट के वापस आओगे क्या? जब चलते चलते थक जाओगे मुश्किलें ना सह पाओगे जब आईना भी झुटा पाओगे तब तुम लौट के आओगे क्या? जब रात अंधेरी छाएगी परछाई पीछे रह जाएगी जब निपट अकेले रह जाओगे तब तुम लौट के आओगे क्या? जब दुनिया बंधन डालेगी आज़ादी खुद की सालेगी जब दुनिया की रस्मों से घबराओगे तब तुम लौट के आओगे क्या? (full in caption)👇 प्यार की कोई उम्र नहीं होती..अगर बंधन आत्मा का हो तो किसी चले जाने से रिश्ते ख़तम नहीं होते..पर कुछ ख्वाब होते हैं सुकून के पल साथ बिताने के बस वहीं ख्वाब उम्मीदें नहीं तोड़ने देते! यही उम्मीद रहती है जाने वाला वापस ज़रूर आएगा, आज नहीं तो जब बाल सफेद हो जाएं उस बुढ़ापे में आ जाना, वो भी ना हो तो अगले जन्म की तमन्ना रहेगी..पर तुम आ ज़रूर जाना💞 तुमको जाना है ना?तो जाओ पर एक जवाब दे पाओगे क्या तुम लौट के वापस आओगे क्या? जब चलते चलते थक जाओगे मुश्किलें ना सह पाओगे जब आईना भी झुटा पाओगे
Swarima Tewari
खड़कती हैं खिड़कियां, खाली मकान की, दरवाज़े पर भी आहट नहीं होती, चादर पर नहीं पड़ती सिलवटें तुम्हारी, चाय के कप भी यहां-वहां पड़े नहीं मिलते, गीले तौलिए बिस्तर की शान नहीं बढ़ाते अब, तुम्हारे तेज कर्णभेदी गाने,अब नहीं सताते है मुझको, ना ही सुबह उठते ही तुम्हारा नाश्ते का शोर, ना शाम को बाइक उठा गायब हो जाने की आदत और मेरी चिंता से जान हलक में, देर रात तुम्हारे टीवी देखने वाली लाइट, मेरे चेहरे पर भी नहीं पड़ती अब, अब ऐसी एक भी चीज़ नहीं जो चिढ़ाए मुझे, कोई हरकत नहीं जो गुस्सा दिलाए मुझे, उस दिन चिढ़ा कर गए थे ना मुझे "देख लेना लौटूंगा नहीं", और मैंने भी झुंझला कर कह दिया "हां बाबा मत आना", पकड़ी थी लास्ट लोकल उस दिन तुमने, क्या जानती थी कि वो ट्रेन में रखा बारूद, छीन लेगा मेरा गुस्सा,मेरी झुंझलाहट,मेरा तुम पर हक़, अब तो करीने से सजा है घर सारा, फिर भी इतनी बेतरतीब सी क्यूं लग रही हूं मैं? We never know which is the last moment with our loved ones..never let them go angry..live each and every moment with them to the fullest,because once they are gone only one word is left with us "काश".. खड़कती हैं खिड़कियां, खाली मकान की, दरवाज़े पर भी आहट नहीं होती, चादर पर नहीं पड़ती सिलवटें तुम्हारी, चाय के कप भी यहां-वहां पड़े नहीं मिलते, गीले तौलिए बिस्तर की शान नहीं बढ़ाते अब, तुम्हारे तेज कर्णभेदी गाने,अब नहीं सताते है मुझको,
Swarima Tewari
जुदा होकर खुद से ख़फ़ा, कुछ तुम भी, हम भी। क्यूं ना कुछ करामात करते हैं, दोस्त बनकर ही सही, फिर से इक मुलाकात करते हैं। (full in caption)👇 कई दफा दो प्यार करने वालों के बीच गलतफहमियों और किसी बात को लेकर कहासुनी होने से रिश्ता टूट तो जाते हैं,पर अंदर का प्यार नहीं मरता।ज़िंदा रहता है हरपल,हर घड़ी याद दिलाता है बीते लम्हों की।कई बार दिल में आता है एकदुसरे से बात करें सब ठीक कर लें पर समझ नही आता शुरुआत कौन करे, कैसे करे? नंदिनी और नमन के ऐसे ही एक रिश्ते को बताती कुछ पंक्तियां यहां लिखी हैं- जुदा होकर खुद से ख़फ़ा, कुछ तुम भी, हम भी। क्यूं ना कुछ करामात करते हैं, दोस्त बनकर ही सही, फिर से इक मुलाकात करते हैं। तुम पूछोगे पहले जैसा,
Swarima Tewari
I am running and running away from you, but still standing at the same place without any clue. "Running in circles", once I heard somewhere, and see exactly what I am doing here. I am not waiting but I am not moving though, stuck in a place or am I crawling slow? It's not the end yet not the beginning too, don't know why I am running and running away from you? Running in circles..🔄🏃...stuck in the middle 👉👈 #tpmd #namanandini #yqbaba #yqtales #yqdiary #yqquotes #yqpoem #pc_google