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DR. SANJU TRIPATHI
खंडहर इमारत भी, अपनी बुलंदी की कहानी बयां कर देती है। कैसे- कैसे मौसम और दिन देखें उसने सारी रवानी बता देती है। कभी गूंजा करता था आंगन, बच्चों की मासूम किलकारियां से। झिलमिलाता रहता था वो एक पुराना महल रोशनी की रोशनाई से। मिलकर मनाते थे सारे त्यौहार और बांटते रहते थे सारी खुशियां। महल में रहने वालों की रही होगी अपनी खुशियों की एक दुनियां। एक पुराना महल न जाने किन-किन साजिशों का शिकार हो गया। एक गलतफहमी की वजह से शायद सारा परिवार बर्बाद हो गया। सुन रखे हैं हमने भी एक पुराने महल की बरबादी के तमाम किस्से। इस महल को देखकर उसकी हकीकत पर जैसे इख्तियार हो गया। -"Ek Soch" 👉 #collabwithपंचपोथी 👉 विषय - एक पुराना महल 👉 प्रतियोगिता- 14(मुख्य) __________________________________ 👉 समय - 24 घंटे तक 👉 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
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बाबुल का घर छोड़, पिया के घर की ओर कदम बढ़ाए। गैरों से नाता जोड़ा तो, अपने सारे रिश्ते जैसे हुए पराए। सपनों से भरे नैना संग, खुशहाल जिंदगी के सपने सजाए। दिल ने खुशी से सारी रस्में और सारे रीति-रिवाज निभाए। पिया मिलन की खुशी में दिल ने, जाने कितने जज्बात जगाए। भूल गए सारे दुःख और दर्द हम, जब पिया दोस्ती का हाथ बढ़ाए। टूट गए सारे सपने और सपनों से भरे नैना अश्कों से भर गए। अपना दोस्त बना कर, अपनी मोहब्बत के हमको किस्से सुनाए। टूट गये सारे ख्वाब, सारी खुशी चकनाचूर हो गई, जब वह मुस्कुराए। कैसे मान लें दिल उन्हें अपना, जो दहेज के नाम पर हमसे शादी रचाए। अपनी हकीकत बता कर वो, अब हमसे हैं वफा की उम्मीद लगाए। कैसे जिए हम जिंदगी और कैसे किसी को अपना हाल-ए-दिल बताएं। -"Ek Soch" विशेष प्रतियोगिता:- Note:- विशेष प्रतियोगिता महिने की 1,15,30,31 तारीख को आयोजित की जाती है। 👉collab करके comment में done लिखे। 👉 समय सीमा- 24 घन्टे तक 👉शब्द सीमा-अनिश्चित 👉 10 top रचना को testimonial दिया जायेगा। 👉 #collabwithपंचपोथी #पंचपोथी #सपनो_से_भरे_नैना 👉 Panchpothi. Blogspot.com को एक बार visit अवश्य करे, link bio में दी गयी है।
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मनुष्य के अंत:करण के भावों और कल्पना की अभिव्यक्ति हूँ मैं। वेगस्वरूप रागों की मनोवृत्तियों का सृष्टि के साथ सामंजस्य हूँ मैं। सृष्टि के नाना स्वरूपों के साथ रागात्मिका का आत्म संबंध हूँ मैं। प्रेम, क्रोध, करूणा व घृणा आदि मनोवेगों को करती स्पष्ट हूँ मैं। कभी श्रृंगार, कभी करुणा,रस के नौ भेदों का संयोग वियोग हूँ मैं। हिंदी काव्य को अग्रसर कर प्रचार प्रसार करने का संकल्प हूँ मैं। मनोभावों को उत्साहित कर जीवन में नयी जान डाल देती हूँ मैं। सृष्टि के सौंदर्य का बखान करके सुंदर शब्दों में उतार देती हूँ मैं। कभी उत्साह, कभी हताशा और कभी विचलित भी कर देती हूँ मैं। सच्चाई से रूबरू कराती, दिल को करुणा से विहृल कर देती हूँ मैं। हृदय की स्तबधता मिटाकर, मनुष्यता से भरने का एक प्रयास हूँ मैं। मनोरंजन की शक्ति है तो, हृदय के मर्म स्थलों को भी स्पर्श करती हूँ मैं। मनुष्य के हृदय को उन्नत करती, अलौकिकता से परिचय कराती हूँ मैं। संसार के हर रूप को दर्शाती, हकीकत से रूबरू कराती कविता हूँ मैं। 👉 #collabwithपंचपोथी 👉 विषय - कविता हूँ मैं 👉 प्रतियोगिता- 13(मुख्य) __________________________________ 👉 समय - 24 घंटे तक 👉 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
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लालिमा की चादर ओढ़े, जब साँझ गोधूलि बेला के साथ आती है। दिन साँझ के रंगों में रंगकर, तब और खूबसूरत सा लगने लगता है। पशु- पक्षी अपने घर घरौंदों को, खुशियों के संग वापस आने लगते हैं। चहकता सा संसार और चहल-पहल से भरा, हर घर-आंगन लगता है। निशा का अंधेरा मिटाने की खातिर, जब साँझ का दीपक जलता है। साँझ ढले तब मन मुस्कुराता है और श्रृंगारित सा जीवन लगता है। 👉साँझ - शाम ,evening 👉 #collabwithपंचपोथी 👉 collab करके comment में done लिखे। 👉bio में दी गयी link पर जाकर panchpothi.blogspot.com का अवलोकन करे। 👉हमसे सोशल मीडिया पर जुड़े तथा अपनी रचना हमारे facebook group में share करे। 👉समय अवधि - 24 घन्टे तक 👉शब्द सीमा - अनिश्चित Blogger #पंचपोथी #साँझ_पंचपोथी
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उम्मीद से ही दुनियां कायम है उम्मीदों के भरोसे ही सफलता मिला करती है। #collabwithपंचपोथी #पंचपोथी चार व्यक्ति मिलकर collab करे। #YourQuoteAndMine Collaborating with Panch Pothi Collaborating with jasraj bishnoi Collaborating with Poonam Pathak Gautam
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प्यार के रंगों में रंग कर दुनियां रंगीन हो जाती है। यार के साथ गुजरे तो जिंदगी हसीन हो जाती है। दो व्यक्ति मिलकर collab करे। #collabwithपंचपोथी #पंचपोथी #YourQuoteAndMine Collaborating with Panch Pothi
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तू एक पथिक है, अकेला चल, चलना ही तेरा काम। चलने से ही होगी यहां तेरी, हर मुश्किल आसान। रुक गया जो तू तो, रुक जायेंगे तेरे सारे काम। तेरी किस्मत में नहीं लिखा है, थोड़ा भी आराम। सफलता के लिए, तुझको निरंतर चलना ही होगा। कदम- कदम पर, हार का सामना भी करना होगा। धैर्य के साथ, बस धीरे-धीरे ही आगे बढ़ना होगा। हौसलों के साथ, कदम को आगे ही बढ़ाना होगा। लक्ष्य पर तुझे अपने, अर्जुन सी नजर रखनी होगी। मंजिल तुझे अपने दम पर ही हासिल करनी होगी। चलता रहेगा तो, मिलेगी तुझे तेरी मंजिल जरूर। अकेले ही चलकर मंजिल पायेगा सफल हो जायेगा। 🍬 #collabwithपंचपोथी 🍬 विषय - #अकेला_चल 🍬 प्रतियोगिता- 12(मुख्य) 🍬 समय - 24 घंटे तक 🍬 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
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काजल आंखों में सजाएं तो नैन काले कजरारे हो जाएं। काजल आंखों में लगकर इतराए आंखों की शोभा बढ़ाए। काजल गालों पर लगा कर चेहरे की सुंदरता में चार चांद लगाए। काजल का टीका जो मां लगाए काजल हर बुरी नजर से बचाए। 🍬 #collabwithपंचपोथी 🍬 विषय - #काजल 🍬 प्रतियोगिता- 11(मुख्य) 🍬 समय - 24 घंटे तक 🍬 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
🍬 #collabwithपंचपोथी 🍬 विषय - #काजल 🍬 प्रतियोगिता- 11(मुख्य) 🍬 समय - 24 घंटे तक 🍬 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
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बालक भाग्य से पर जीवन में सौभाग्य से मिलती है बालिका। खुशनसीबों के घर में ही जन्म लेती इस दुनियां में बालिका। पापा की प्यारी और मम्मी की राजदुलारी होती हैं बालिका। रोशनी से अपनी सारे घर आंगन को जगमगाती है बालिका। अपनी खुशबु से सूने घर - चौबारे को महकाती है बालिका। मां - बाबुल के जीवन का अनमोल गहना होती हैं बालिका। संसार के सारे ही रीति रिवाज खुशी से निभाती हैं बालिका। दिल में छुपा के लाखों गम पर सदा ही मुस्कुराती है बालिका। चाहे गम हो चाहे खुशी हर पल ही साथ निभाती है बालिका। कहने को तो पराया धन होती है पर मान बढ़ाती हैं बालिका। जब ससुराल चली जाती है तो बहुत ही रुलाती हैं बालिका। पास रहें चाहें रहें दूर हरदम अपनी याद दिलाती हैं बालिका। 🍬 #collabwithपंचपोथी 🍬 विषय - #बालिका 🍬 प्रतियोगिता- 8 (मुख्य) 🍬 समय - 24 घंटे तक 🍬 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
🍬 #collabwithपंचपोथी 🍬 विषय - #बालिका 🍬 प्रतियोगिता- 8 (मुख्य) 🍬 समय - 24 घंटे तक 🍬 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
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मौसम पर कोहरे का रंग चढ़ जाता, सूरज मद्धम सा होने लगता। ठंडक अपनी दस्तक दे देती, तन मन में आलस्य सा भरने लगता। मौसम में ठिठुरन सी बढ़ने लगती, सूरज भी अस्ताचल होने लगता। सर्दी की दोपहर में भीनी कुनकुनाती धूप में मन चंचल होने लगता। शमशीर सा लगने लगता, हवा का झोंका जब तन मन को छूने लगता। बादल संग आंख मिचोली करती, कभी छुप जाती, कभी दिखती धूप। धूप लगने लगती, नई नवेली दुल्हन सी शर्मीली मन को भाने लगती। पकड़ के रखते पास अपने, जब जी चाहता जी भरकर सेक लेते धूप। सब हैं राह तकते रहते, कब आएगी उनके आंगन और छत पर धूप। सर्दी की दोपहर में गर्मी का अहसास कराती, सोये अरमां जगाती धूप। कभी पास रहकर अहसास कराती, कभी दूर रहकर बेचैनियां बढ़ाती। कभी रजाइयों को उढवाती, तो कभी शाल स्वेटर से ही काम चलवाती। कभी चाय की चुस्की लगती, कभी पकौड़े, कभी मटर की घुघरी बनवाती। कभी गीले कपड़ों को सुखवाती, कभी अलाव जलाकर आलू भुनवाती। कभी महबूब का इंतजार करवाती, कभी मोहब्बत के फूल खिलवाती। कभी रंग बिरंगे नजारे दिखलाती, कभी तन्हाइयों से आंखें चार करवाती। -"Ek Soch" 🍬 #collabwithपंचपोथी 🍬 विषय - #सर्दी 🍬 प्रतियोगिता- 6 (मुख्य) 🍬 समय - 24 घंटे तक 🍬 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
🍬 #collabwithपंचपोथी 🍬 विषय - #सर्दी 🍬 प्रतियोगिता- 6 (मुख्य) 🍬 समय - 24 घंटे तक 🍬 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
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