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Vaseem Akhthar
कलम गर हो तो तन्हाइयां कैसी वही तो दोस्त-व-रहबर हमारा है #yqdidi #yqbaba #yqbhaijaan #yqurduquotes #urdupoetry #YourQuoteAndMine Collaborating with Fahima #sukhanwarr #vaseemakhthar Collaborating with moon riser
Vaseem Akhthar
कलम गर हो तो तन्हाइयां कैसी वही तो दोस्त-व-रहबर हमारा है #yqdidi #yqbaba #yqbhaijaan #yqurduquotes #urdupoetry #YourQuoteAndMine Collaborating with Fahima #sukhanwarr #vaseemakhthar Collaborating with moon riser
Sameer Jain
इतना दम ही नहीं था ज़ंजीरों में, तो फिर उसको कैद किया तस्वीरों में, इस बा'इस से गिनता हूं मैं, उसको मेरे असीरो में, इस जानिब को उस जानिब को, दौड़ लगाई हर जानिब को, मंदिर मस्ज़िद गिरजाघर में, ढूंढा खुदा फकीरों में, मैदान कहां है क्या मालूम है, लेकिन इससे क्या मतलब, घर बैठे ही जंग देख ली, तलवार ढ़ाल और तीरों में..…! असीर - कैदी बा'इस - कारण जानिब - तरफ
Sameer Jain
दीखता है खुदा मुझे हर सम्त अपने, या तो मेरा वहम है, या वो खुद यहीं कहीं...! या तो मेरा वहम है, या वो खुद यहीं कहीं...?
Sameer Jain
चार लम्हें उल्फत के, दो ख़्वाब इन आंखों को, इस खुराक़ की खातिर मेरी नींदें ज़ाया हो जाती है... #paidstoryshayari #oneliner #rekhtashayari #zindagigulzarhai #sukhanwarr #kalam #urdushayari
Sameer Jain
वही था राज़-ए-दिल जो सब, बक्से से मेरे खुतूत निकले, कहीं ज़र्फ की खराशें निकली, कहीं वफ़ा के सुबूत निकले...! वफ़ा के सुबूत....
Sameer Jain
ख्वाब में ऐसे बुलाना तेरा, नींद है या कोई बहाना तेरा... नींद है या कोई बहाना तेरा......?
Sameer Jain
नीयत से साफ गुमां से सच्चे नही रहे, इबादत में तस्बीह दुआ में धागे नही रहे, अब मुझसे दूर कहीं गैर शहर में है तू, फासलों में इज़ाफो से क्या नाते नही रहे, हिज़्र ने घेरा हमे इस कदर तन्हा, गमों से उलझे कि इरादे नही रहे, इतना भी नहीं मुफलिस कि दूं तुम्हे तसल्ली, क्या अब हमारी जेब मे वादे नहीं रहे.... अब मुझसे दूर कहीं गैर शहर में है तू, फासलों में इज़ाफो से क्या नाते नही रहे....
Sameer Jain
उस पार अंधेरे तुम हो क्या, यूं मुझको घेरे तुम हो क्या, इक ख़्वाब से मेरी आंख खुली है, ये सुबह सवेरे तुम हो क्या, जाने कैसा रोग लगा है, जो मन- मौला हो बैठा, बेबस तुमको सोच रहा हूं, दिल मे मेरे तुम हो क्या....? तुम हो क्या.....?
Sameer Jain
ओढ़ कर तमाम रात कबा परेशान रहा, मैने जिसको भी बनाया राज़दाँ परेशान रहा, घर से बाहर निकला तो किराए पर ली जगह, दीवारों से उलझता था, सो मकां परेशान रहा, सारी उम्र गुजारी खुद सा ढूंढते मैने, मिला जब मुझे मुझसा हमनवा परेशान रहा, क्या कहूं अब अपना, मैं बायस ए उदासी, और क्या कहे वो आदम, जो बेजा परेशान रहा, चाहा बहुत सुकून को, कोई दे मुझे बता, फिरता रहा मैं मारा, ढूंढा बहुत पता परेशान रहा, मेरा मर्ज से मरासिम, मुझको समझ न आया, पाई न ज़रा राहत, खाता रहा दवा परेशान रहा...! मेरा मर्ज से मरासिम, मुझको समझ न आया, पाई न ज़रा राहत, खाता रहा दवा परेशान रहा.....! कबा - चादर बायस - कारण मरासिम - संबंध