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DHAKAD HAI HARYANA
Anuradha T Gautam 6280
Aamir Qais AnZar
हर रोज होता महिलाओं पर अत्याचार, फिर ये कैसा "महिला दिवस" का त्यौहार। विश्व की समस्त स्त्रियाँ सुखी और संपन्न हों यही हमारी कामना है। आँखों की ख़ामोशी में, कुछ शोर मचाती बातें हैं। महिला दिवस तभी सार्थक होगा जब पुरुष अपनी सोच बदल लें। #एकऔरत #अत्याचार #त्यौहार #महिलाओं #महिलासशक्तिकरण #महिला_दिवस #महिला_सम्मान #चिंतन Everyday women are getting tortured around, Then what kind of "Women's Day" festival it is.
Anoop Bhyan Jat
महिला: अपना नाम बदल लेती है। अपना घर बदल लेती है। अपना परिवार छोड़ देती है। आपके साथ चलती है। आपके साथ एक घर बनाती है। गर्भवती हो जाती है, गर्भावस्था उसके शरीर को बदल देती है। ● उसका वजन बढ़ जाता है प्रसव के असहनीय दर्द के कारण लेबर रूम में लगभग हार मान लेती है.. यहां तक कि वह जिन बच्चों को जन्म देती है वे भी आपका नाम लेते हैं.. —————— जिस दिन तक वह मरती है.. वह सब कुछ करती है... खाना बनाना, अपने घर की सफाई करना, अपने माता-पिता की देखभाल करना, अपने बच्चों का पालन-पोषण करना, कमाई करना, आपको सलाह देना, आपको आराम देना सुनिश्चित करना, सभी पारिवारिक संबंधों को बनाए रखना, वह सब कुछ जो आपको लाभ पहुंचाता है . कभी-कभी अपने स्वास्थ्य, शौक और सुंदरता की कीमत पर। तो कौन वास्तव में किसका उपकार कर रहा है? प्रिय पुरुषों, अपने जीवन में महिलाओं की हमेशा सराहना करें, क्योंकि एक महिला होना आसान नहीं है। एक महिला होना अमूल्य है। ©Anoop Bhyan Jat #महिलाओं #drowning
Ditikraj.arvind
एक नारी उतार दिया है, नकाब हवस का ! दुख है,स्वरूप कविताओं को कहना! ख़ाक सलाह मशवरा भी लेलूं .. जमीन पर नाक भी रगड़ लूँ पर तुम्हारी खूबसूरती का क्या कहना..! तुम "भारत की नारी के वेश में ही रहना..! पिरोता हूं कविताओं को तुम में!. मेरी कविताएं बहती है ख्वाबों के समंदर पर एक बवंडर पर झुकी नजर उसे भाव लिखूंगा.. तुम्हें एक श्रृंगार से निहार लूंगा.. जुल्फे तेरी चेहरा, चेहरे पर बिंदी तुम हो हिंद की हिंदी और सलवट के लहंगे का क्या कहना है.. तुम भारत की नारी के वेश में ही रहना..! ©Ditikraj"दुष्यंत"...! उतार दिया है, नकाब हवस का ! दुख है!स्वरूप कविताओं को कहना! ख़ाक सलाह मशवरा भी लेलूं .. जमीन पर नाक भी रगड़ लूँ
Happy Joshi
ये डरती है तो डरने दो ये लड़ती है तो लड़ने दो ये गिरती है तो गिरने दो संभलती है तो सम्भलने दो ये #महिलाओं का दौर है भईया तन मन धन से जो करती है... इसे करने दो ।। इन्हें #रोको मत इन्हें #टोको मत #अंतर्राष्ट्रीयमहिलादिवस #HappyCreations ©Happy Joshi #HappyCreations #womensday2021
अविनाश पाल 'शून्य'
#अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की जिंदगी इतनी आसान कहाँ ? दिवस कोई भी हो, इन्हें आराम कहाँ ? ©अविनाश पाल 'शून्य' #शून्य #अविनाश #international_womens_day #अंतर्राष्ट्रीय_महिला_दिवस #आराम #आसान #महिलाओं #दिल_की_बात #Women
sonam
🌺#....................# अक्सर मैं खामोश रहती हूँ और अपनी कलम को बोलने देती हूँ। क्योंकि कभी-कभी समाज को आइना दिखाना बहुत जरूरी हो जाता है और फिर मेरी खामोशी का बदला मेरी कलम चीख कर लेती है। चलो आज एक मुद्दे पे बात करते हैं, तुम्हे रुह और जिस्म नोचने वाले से ज्ञात कराते हैं। मैं जब तक लिख रहीं हूँ, तब तक कहीं न कहीं किसी मासूम या नारी का बलात्कार किया जा रहा होगा। एक ऐसी समस्या जो प्रत्यक्ष रुप से रोटी,कपडा़ और मकान के बाद जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन बैठा है, उसका नाम है "बलात्कार" हमारा भारत देश जिस पर हम भारतीय गौरवान्वित महसूस करते हैं, और करें भी क्यों ना। जिस देश में नारी को देवी कहा जाता है, वहीं "देवियों" का बलात्कार किया जाता है। यूँ तो हमारे भारत देश में बहुत त्योहार मनाये जाते हैं जिनमें देवियों को पूजा जाता है, जैसे दिवाली में "लक्ष्मी" माता और दशहरा में "दुर्गा" माँ को पूजा जाता है। वैसे तो नवरात्रि पूजा में नौमी के दिन नौ छोटी कन्या को भी पूजा जाता है और वहीं दूसरी ओर उन्हीं मासूम का "बलात्कार" किया जाता है। है ना कितना रोचक! "जो बच्ची नवरात्रि में पूजी जाती है उसकी अस्मिता लूटी जाती है" बलात्कार से पहले के छलात्कार को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता :- #महिलाओं का तिरस्कार# अक्सर हमारे भारत देश में कई औरतें घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। राइट्स ट्रस्ट लाॅ ग्रुप के मुताबिक घरेलू हिंसा के मामले में भारत की स्थिति सबसे ज्यादा दयनिय है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 19 साल के 53 फीसदी लड़के और 57 फीसदी लड़कियां मानती है कि अपनी पत्नी को पीटना सही है। पति अपनी पत्नी को पीटता और गाली-गलौज करता है, ये सब देख बच्चे क्या सिखेंगे? जब बच्चा घर में यही सब देखकर बडा़ होता है तो उसके लिए ये सब आम बात होती है और वो भी आगे जाकर यहीं सब करता हैं।उसकी नज़र में महिलाओं के लिए कोई सम्मान नहीं होता, इसलिए बच्चों को सही माहौल देना बहुत जरुरी है। #नारी की बौद्धिकता को दैहिकता के दायरे में आँकना# बलात्कार एक तरह से स्त्री की अस्मिता (आत्मा) पर हमला है। क्या लगता है आपको, क्या स्त्री होने के लिए दिया जाने वाला दंड है? उसको सिर्फ देह की तरह देखने की जिद्दी हवस है।बलात्कार हमें तभी चुभता है जब वह एक क्रूर कर्म की तरह हमारे बीच आता है। एक सामाजिक-राजनैतिक व्यवस्था के भीतर घट रहे अन्याय के तौर पर रेप पर हमारी नज़र नहीं पड़ती। क्यों नहीं पड़ती है? शायद इसलिए कि नाडी़ के साथ हो रहे अत्याचार को लेकर बेख़बर रहते हैं, कई बार तो उसमें शामिल भी होते हैं। बाजार स्त्री को बिल्कुल "सामान" की तरह इस्तेमाल कर रहा है। यह सभ्यता नाडी़ को लगातार उपभोग के सामान में बदलती जाती है। दरअसल हमारा जो पूरा मनोरंजन उद्दोग है, वह स्त्री को देह तक सीमित करने में तुला है। मनोरंजन उद्दोग ने स्त्री को बिल्कुल कटी-छंटी देह में बदल डाला है। विज्ञापनों में तमाम सामान स्त्री के नाम पर बेचे जाते हैं।क्रिकेट की कमेंटरी के दोरान पुरुष प्रस्तोता पूरे सूट-कोट में होते हैं, जबकी महिला प्रस्तोता के कंधे-घुटने खुले होते हैं। जाहिर है, नारी की बौद्धिकता का इस्तेमाल भी उसकी दैहिकता के दायरे में ही होता है। ©sonam #flowers