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आनन्द कुमार
अभी तो सिर्फ दुनिया से जूझा हूं, मैं तो खुद का जहान ढूंढता हूं। अभी तो सिर्फ बाज बनके उड़ना सीख है, मैं तो क्षितिज के पार नया मुकाम ढूंढता हूं। अभी तो सिर्फ कुछ इबादतें लिखी है, मैं तो इतिहास में दर्ज होने का क्षण ढूंढता हूं। -------------आनन्द ©आनन्द #आनन्द_गाजियाबादी #Anand_Ghaziabadi #ढूढता
Aman khan
ज़िन्दगी के सवालों का जबाब ढूढता हूँ, दर्द को कम कर सके वो शराब ढूढता हूँ, वक्त के हाथों मजबूर एक शख्स हूँ मैं, जो जीने का दे बहाना वो किताब ढूढता हूँ। अमन खान अमन खान
ekhwaab
मन और मंज़िल मन ,यु तो हजारों खाब समेटे हैं, और गहराई मे सारे जख्मो को बडी हिफाज़त से दफन किए , ललचाए हुए जाने किस मंजिल को ढूढता है, और बडे करीने से ये मुझसे अपनी दिशा पूछता है। मै राहे देख जब लडखडा जाती हु, मेरा मन अडिग रहता है, भ्रमित न होकर, ये अपनी मंजिल को ढूढता है । #मेरा मन
Kh_Nazim
तेरी यादो की बहार दिल के समंदर में- जलजला-ए-तूफान उठती है, कितना अकेला हूँ मुसाफिर में- हर पल यह बात सताती है। आँखों से आँसू न बहाए ज़माने के सामने, पर तेरी याद मुझे समंदर-ए-अश्क़ में डूबाती है। अक्सर मैफिलो में जाम-ए-शबाब का ठिकाना ढूढता हूँ टूटता हूं फिर इस कदर की सहारा देखता हूँ। तेरे न होने से तकलीफ़ बड़ी है अब, दर्द-ए-दिल की कहानी में कुछ कड़ी जुडी है अब तू खुश है मुझे से बिछड़ के दूसरे जहाँ में, मैं अंधेरो में भी तेरी कहानी ढूढता हु। #याद #समंदर #अश्क़ #मैफिल #hindipoety #khnazim
Shakeel Jaan
जिंदगी के उलझे सवालों के जवाब ढूढता हूँ । कर सके जो दर्द कम वो नशा ढूढता हूँ । वक्त से मजबूर हालत से लाचार हूँ मै । जो दे दे जीने का बहाना ऐसी राह ढूढता हूँ 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💟💟 🗻🗻💝जिंदगी के उलझे सवाल 💝🗻🗻
Maahir
हम काम को नहीं काम हमें ढूढता है मशहूर इतने ,नाम को हम नहीं नाम हमें ढूढता है #NojotoQuote #nojoto #nojotohindi
Peeyush Umarav
भागती भीड़ के बीच, मुंड के झुंड में, करता खुद को बयां, ठहरे से पल में भी राही बना, मैं ढूढता सफर में एक घर यहां, ठराव है कहां किसी तलाश में, मिलता सुकून का कोई पल कहां, एक मंजिल मिलती सही,
mukesh verma
#डिअर ज़िन्दगी अक़्सर ! मैं तुम्हें ढूढता हूं, कंक्कड़ से बने जंगल की इन विरान सी गलियों में। मैं तुम्हें ढूढता हूं फ़ुटपाथ पर बेसूद सोयीं हुईं जिंदा लासों क़े पास। यही नहीं सैकड़ो मर्तबा तों नींद में , मैं तुम्हें ढूढ़ते हुए कब्रस्तान तक पहुँच जाता हूँ, पर क़ब्र से बाहर निकले ख़ाली हाथ तुम्हारा पता बताने से मुकर जाते है फ़िर सोचता हूँ शायद शमशान जाऊ तों तेरा पता मिल जाएं लेक़िन वहाँ भी मुझें राख क़े सिवा कुछ नहीं मिलता।क़भी कभार तों मैं तेरा पता सड़क पर चलते ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य औऱ शूद्र रूपी बुद्धजीवी दो पाए प्राणियों से पूछ लेता हूं पर उनकें चेहरें की घबड़ाहट, झुल-झुलाहट देख़ मैं डर जाता हूँ क्योंकि मैं थोड़ा डरपोक सा हूं और मुझें ऐसा लगता है कि मेरे अंदर अभी वैसी परिपक्वता नहीं आईं हैं जिससे मैं अलग़-अलग़ भावों वाला झूठा चेहरा बना सकूँ। मैं जैसा हूं, हुबहू वैसा दिख जाता हूँ औऱ सब करे- धरे पर पानी फ़ीर जाता है। जिससे मैं न तेरे वजुद क़ो जान पता हूं और न ही तेरा पता मिल पाता है.... #kavishala #nojoto #shortstory #मk
mukesh verma
वक़्त मैं खोएं खज़ाने ढूढ़ता हूँ मैं आज़ तुझें देख़ने क़े बहाने ढूढ़ता हूँ मैं-२ यूँ तो हज़ार चेहरें है इस शहर में कुछ तेरे ही चेहरें जैसे लेक़िन तेरे चेहरें का वों नज़ारे ढूढता हूँ मैं वक़्त में खोएं ख़ज़ाने ढूंढता हूँ मैं आज़ तुझें देख़ने क़े बहाने ढूढता हूँ मैं।। इश्क किया था क़भी मीरा बनकर ज़ो तूने इश्क किया था क़भी कान्हा बनकर ज़ो मैंने ग़ुम उस इश्क क़े टूकड़े क़ो, अब अपने ख्वाबो ढूढता हूँ मैं वक़्त मैं खोएं ख़जाने ढूढता हूँ मैं आज़ तुझें देख़ने क़े बहाने ढूढता हूँ मैं।। क़िसी बाग़ में नहीं है, ज़ो खुशबू था तेरे तन का क़िसी जाम में नहीं है, ज़ो नशा था तेरे लब का दरबदर तेरे होंठो का वो प्यास ढूढता हूँ मैं वक्त में खोएं ख़जाने ढूंढता हूँ मैं आज़ तुझें देख़ने क़े बहाने ढूढता हूँ मैं।। मैं भी अब फुर्सत में नहीं औऱ तू भी व्यस्त हैं कहीँ इसलिए इन पन्नों पर , मुलाक़ात क़े कुछ बहाने ढूढता हूँ मैं वक़्त में खोएं ख़जाने ढूढता हूँ मैं आज तुझसे मिलने क़े बहाने ढूढता हूँ मैं ।।#✍मk #Nojoto #kavishala #मk