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Shalini Nigam
"छोटी-छोटी" बातों को कितना बड़ा बना देते हैं, कितने "अजीब" होते हैं कुछ लोग.. लहरों के शोर को सैलाब बता देते हैं! ©Shalini Nigam #लहरों #सैलाब #Nojoto #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine #Love #Life #thought
अदनासा-
हर एक उम्र के पड़ाव दर पड़ाव पर कुछ सध जाता है कुछ रह जाता है आख़िर होता वही बार-बार हर बार वक्त के सैलाब में सब बह जाता है ©अदनासा- #हिंदी #वक़्त #सध #रह #सैलाब #सबकुछ #बह #LetMeDrowm #Instagram #अदनासा
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read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
सैलाब को देखते ही आता है ख्याल जिंदगी कब तक रहेगी बेहाल कभी तरस रहे थे एक बूँद पानी को आज पानी ही बन गया काल मगर इसमें भी किसी की भूख मिटती है चल दिए लोग हाथों में जाल कोई बिक जाता है खुशियाँ खरीदने में कोई बेचकर बेखुद हुआ मालामाल ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #सैलाब
Ghumnam Gautam
हमें मालूम था दरिया हमारी आँखों में भी है मगर किसको ख़बर थी एक दिन सैलाब आएगा! ©Ghumnam Gautam #खबर #दरिया #सैलाब #मालूम #एक_दिन #मगर #ghumnamgautam
Savita Suman
प्रेम की नींव पर खड़ी इमारत को नफ़रत का सैलाव कभी नहीं बहा सकता जो बह गया तो निश्चित है प्रेम का अभाव रहा होगा ©Savita Suman #Save #सैलाब
Amit Singhal "Aseemit"
ज़िंदगी में एक बड़ा सैलाब आए, और सब कुछ तबाह कर जाए। तो घबराओ मत, खुद को समेटो, सुनो, नवजीवन तुम्हें आवाज़ लगाए। ©Amit Singhal "Aseemit" #ज़िंदगी #में #एक #बड़ा #सैलाब #आए
Shubham Bhardwaj
दरिया है,समंदर है या सैलाब है अश्कों का। जीने की चाहत में,अब हम डूबने लगे हैं ।। ©Shubham Bhardwaj #दरिया #समंदर #सैलाब #अश्कों #का
Rabindra Kumar Ram
" कहीं मैं और तुम कुछ करीब तो नहीं आ रहे , जन्द सांसों का सैलाब है हम कही बहक तो नहीं रहे , जाहिर कर तु आरज़ू की तमन्ना मैं भी कुछ पुरी करु , सिलवटों पे पड़ने दें कुछ निशान यही चाहत की पहचान होगी , तजूरबा तु भी कर मुझे भी कुछ ये इल्म होने दें , ख्याल अब जो भी हो कुछ तो पहचान बन ने दे. " --- रबिन्द्र राम कहीं मैं और तुम कुछ करीब तो नहीं आ रहे , जन्द सांसों का सैलाब है हम कही बहक तो नहीं रहे , जाहिर कर तु आरज़ू की तमन्ना मैं भी कुछ पुरी करु , सिलवटों पे पड़ने दें कुछ निशान यही चाहत की पहचान होगी , तजूरबा तु भी कर मुझे भी कुछ ये इल्म होने दें , ख्याल अब जो भी हो कुछ तो पहचान बन ने दे. " --- रबिन्द्र राम
कहीं मैं और तुम कुछ करीब तो नहीं आ रहे , जन्द सांसों का सैलाब है हम कही बहक तो नहीं रहे , जाहिर कर तु आरज़ू की तमन्ना मैं भी कुछ पुरी करु , सिलवटों पे पड़ने दें कुछ निशान यही चाहत की पहचान होगी , तजूरबा तु भी कर मुझे भी कुछ ये इल्म होने दें , ख्याल अब जो भी हो कुछ तो पहचान बन ने दे. " --- रबिन्द्र राम
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