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Vikas Sahni
हम दोनों न मिलकर भी एक हो चुके हैं क्योंकि मेरा दिल दर्द तेरा, क्योंकि कवि मैं, कविता तू। ...✍विकास साहनी ©Vikas Sahni #एक#हो#चुके#हैं#विकास#साहनी #Love
INDIANTRUST.IN ( BY.. VISHNU SAINI)
मानता हूँ कमजोर हुं में, लेकिन यह भी जानता हूँ में, कि आखिर ढुँढ तो लोगों एक दिन आप मुझे, sorry कहनें के लिए But आप बहुत लेट हो चुके होगें - vishnu #एक #दिन #आप #बहुत #लेट #हो #चुके #होगे#vishnusaini
Sukhbir Singh Alagh
पास होकर भी, बहुत दूर हैं यहाँ लोग ये मेरा शहर हैं, बस भीड़ भरा माहौल गाँव सी बात, यहाँ पर नहीं हैं एक खुले कैदखाने में, कैद हैं यहाँ लोग गाँव सी शांति, यहाँ पर नहीं हैं दिन रात यहाँ, परेशान रहते हैं लोग रिश्ते निभाना यहाँ भूल चुके है सब बस दूर से सलाम करते है लोग गाँव सा प्रेम, यहाँ पर नहीं हैं बाहर से प्रेम दिखाकर, यहाँ नफ़रत करते हैं लोग "अलग" शहर में अब घुटन सी होती हैं शहर आकर गाँव भूल चुके है लोग #MeraShehar #sukhbirsinghalagh #Nojoto #Nojotohindi #गाँव #शहर
#MeraShehar #sukhbirsinghalagh #nojotohindi #गाँव #शहर
read moreUmesh Kushwaha
"प्यार आज भी उससे है" प्यार में होना और प्यार से उबरना दो अलग अलग बात है। प्यार में होना यानी अमूर्त हो जाना। फिर आप कहीं इतना खो जाते है, जैसे बारिश की पहली बूंदे मिट्टी पर पड़ती हो तो वो सोंधी सोंधी खुशबू आपके मन को पूरी तरह मोह लेती है या धीरे धीरे आप इसके वस में हो जाते हैं,आप मोहित हो जाते है। उस मिट्टी की आवो हवा में आप जीने लगते है,फिर वही रोज़ की आदत में शुमार हो जाता है।आप चाह कर भी उस गोलाई की परिध से बाहर नहीं आ सकते,फिर आपकी दिनचर्या इस कदर जकड़ जाती है कि जब तक आप उस सौंधी सौंधी खुशबू को मस्तिष्क में उतार न ले तब तक आप खुश नहीं रह सकते,फिर क्या ये धीरे धीरे आपकी आदत आपका स्वभाव बन जाती है। जब कोई चीज़ आपके स्वभाव में आ जाए तो उसे बदलना कठिन होता है लेकिन ये और भी भयावह हो जाता जब धीरे धीरे इसकी कद्र कम होने लगती है। फिर क्या झल्लाहट और अकेलापन इस कदर हावी हो जाता है कि आप हर समय खाली खाली महसूस करने लगते हैं। नीरस और बेमन होकर जीना जैसे अंश और हर का कायदा हो,फिर आप उस अंश के ही होकर रह जाते हैं यानी हर चीज के आदी जैसे वो रास्ते,बाजार घूमना - फिरना यहां - वहां आना - जाना।यहां तक कि वहां की हवा भी आप के जहन में बस जाती है, जो कि प्राणवायु है। फ़िर आप इससे उबर नहीं सकते अंत तक चाहे कितना भी धैर्य रख लीजिए क्यूंकि वो वायु प्रणय बनकर आपके दिलोदिमाग से लेकर पूरे शरीर में वास कर रही होती है। जब वो अंश आपसे अलग होता है, वो तो यही सोचता है कि वो पूरी तरह अलग हो गया है लेकिन ये सिर्फ उसके ही परिपेछ्या से दृष्टागत है। वो कहीं अलग किसी और के साथ खुश है लेकिन आप उस साथ को इतना जी चुके होते हैं की वो फिर आपको नहीं छोड़ता जो की हर समय आपके साथ होता है और नहीं भी, यही बात सबसे ज्यादा तकलीफ देय होती है। वो सारे मंजर फिर याद आते हैं, वो सड़के जहां हम साथ चले थे,वो कचौरी का ठेला फिर पानी पूरी की बात" भैया दही वाली ही देना" और वहीं पास वाली आइस्क्रीम की दुकान से हर बार तुम जिद करके सिर्फ एक ही आइसक्रीम लिया करते थे,और फिर धीरे धीरे पार्क पहुंच जाते थे।फिर क्या तुम बोलती और मैं सुनता था। इतना ही नहीं हर रोज़ तुम्हारे ऑफिस से घर तक छोड़ना, पर हां वो हाईवे वाला पुल जहन में बना ही रहता है, जब तुमने अचानक बाइक रोकने को कहा था और हम कुछ देर रुके थे । तब पहलीवार तुमने हमें "किस" किया था,जो आज भी वो पुल वाला किस याद है जिसे भूलाया नही जा सकता। हर वो चीज याद है जो हम साथ में जिये हैं,वो गली - वो मोहल्ले! एक एक पल जो हम बातें करते थे और हां वो रेलवे का ओवरब्रिज कैसे भूल सकता हूं मै वहीं पर तो झगड़ा हुआ था हमारा, तुम उस दिन गुस्से में थी। फिर हमारी कई दिनों तक बात नहीं हुई और न ही मिलना जुलना। उस दिन बहुत कोशिश की थी तुमको समझाने की लेकिन तुमने अकेले ही फैसला कर लिया था। तुम्हारे लिए तो आसान था पर शायद आज तक मैं उन चीजों से उबर नहीं पाया हूं,खोजता रहता हूं मै तुम्हे ही उन्ही रास्तों में जहां जहां हम साथ चले थे। पर अब वो गलियां हमें चुभती हैं हवाओं में भी एक अजीब सी चुभन है जो गले ही नही उतरती। लेकिन तब भी उन सारी जगहों को एक बार फिर देख लेना चाहता हूं,मानो मै तुम्हे महसूस के रहा होता हूं जब उन सारी जगहों से गुजर रहा होता हूं चाहे वो तुम्हारे घर की पास वाली गली हो या रेलवे फाटक के खुलने का वो दो मिनट का इंतजार पर आज भी लगता है कि तुम उस पार से कहीं मुझे निहार रही होगी और दौड़कर फिर मेरे पास आना चाहती होगी लेकिन फिर मैं मौन हो जाता हूं तुम्हे खोकर,क्यूंकि मै जीना चाहता था तुम्हारे साथ,जब तुम साथ होती थी तो अच्छा लगता था लेकिन शायद अब तुम्हे मंजूर नहीं था मेरे साथ रहना , वो प्रश्न आज भी मेरे अंदर कहीं उस उत्तर को खोजना चाहता है जिसका जवाब सिर्फ तुम हो। मै तुम्हे ढूडना चाहता हूं फिर वही उसी पार्क में की तुम आओगी उसी मेज पर जहां हम साथ बैठा करते थे,आज भी मैं रोज उसी मेज़ पर जाकर अकेले बैठता हूं इसी उम्मीद में कि एक दिन तुम जरूर आओगी। अब तो दिल की धड़कने और तेज़ होने लगी थी क्यूंकि मेरे जाने का यानी इस शहर को छोड़ने का समय कुछ ही दिन और बचा था। उस शहर को छोड़ने से पहले मैं हर एक चीज को समेट लेना चाहता था,हर वो लम्हा जी लेना चाहता अब अकेले ही जैसे तुम्हारे साथ जिया था। तुम्हारे न होने का दुख तो था वो अकेलापन लेकिन तुम मुझमें हर वक्त होती थी ऐसा लगता था कि तुम मेरे साथ चल रही हो,कुछ कह रही हो और मैं सुनता जा रहा हूं आज भी उसी तरह पूरी तनमयता से। कुछ भी हो ये शहर तो अब जहन में बस गया है वो भी सिर्फ तुम्हारे लिए जिसे अब भूलाया नहीं जा सकता। इश शहर ने हमें बहुत कुछ दिया और बहुत कुछ सिखाया भी है। अब यहां खोने को कुछ बचा भी नहीं था क्यूंकि आप यहां अपना दिल हार चुके है और उससे बेहद कीमती कुछ हो भी नहीं सकता। इस शहर ने प्रेम करना सिखाया, प्यार में होना सिखाया लेकिन प्यार से उबरना नहीं सिखा पाया जिसकी टीस आज भी चुभ रही है जो शायद अब जीवन पर्यंत रहे क्यूंकि जब कोई प्यार में होता है तो वो फुल स्विंग के साथ पूरी ईमानदारी और लगन से होता है और फिर जब कोई बीच में ही छोड़ के चला जाए तो फिर बहुत दुखता है इसीलिए कहता हूं प्यार में होना और प्यार से उबरना दो अलग - अलग बात है। प्यार आज भी उससे है।
प्यार आज भी उससे है।
read morePriya Gour
जीतना जरूरी है क्यूंकि डर था हारने का पर हार चुके अब जीतना जरूरी है... फिर से एक नई शुरुआत करने के लिए जीतना जरूरी है, अब ना जीते तो सर झुक जाएगा जीतना जरूरी है, अपने मान सम्मान के लिए जीतना जरूरी हैं, जिन सपनों को जागती आंखों से देखा है,उन सपनों को पूरा करने के लिए जीतना जरूरी हैं, डर था हारने का पर हार चुके अब जीतना जरूरी है... जिन लोगों ने मजाक उड़ाया मेरी हार का उन लोगों के लिए जीतना जरूरी है, मेरे अपनों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए जीतना जरूरी हैं, जुनून जो दिल में जगा है सफलता का उसके लिए जीतना जरूरी है, बुलंदियों के आसमान को छूने के लिए जीतना जरूरी है, डर था हारने का पर हार चुके अब जीतना जरूरी हैं... हार ने करवा दिया एहसास अपने परायों का अब जीतना जरूरी है, कहीं इस हार की आदत ना लग जाए इसलिए जीतना जरूरी हैं, ख़ाली बहुत ठोकरें जमाने की अब जीतना जरूरी हैं, दिल से जो सुकून चला गया उसे पाने के लिए जीतना जरूरी है, डर था हारने का पर हार चुके अब जीतना जरूरी है। #Jeet #CTL #Nojoto #Nojotohindi #Nojotonews #Nojotoapp डर था हारने का पर हार चुके अब जीतना जरूरी है... फिर से एक नई शुरुआत करने के लिए जीतना जरूरी है, अब ना जीते तो सर झुक जाएगा जीतना जरूरी है, अपने मान सम्मान के लिए जीतना जरूरी हैं, जिन सपनों को जागती आंखों से देखा है,उन सपनों को पूरा करने के लिए जीतना जरूरी हैं, डर था हारने का पर हार चुके अब जीतना जरूरी है... जिन लोगों ने मजाक उड़ाया मेरी हार का उन लोगों के लिए जीतना जरूरी है,
#jeet #CTL #nojotohindi #nojotonews #nojotoapp डर था हारने का पर हार चुके अब जीतना जरूरी है... फिर से एक नई शुरुआत करने के लिए जीतना जरूरी है, अब ना जीते तो सर झुक जाएगा जीतना जरूरी है, अपने मान सम्मान के लिए जीतना जरूरी हैं, जिन सपनों को जागती आंखों से देखा है,उन सपनों को पूरा करने के लिए जीतना जरूरी हैं, डर था हारने का पर हार चुके अब जीतना जरूरी है... जिन लोगों ने मजाक उड़ाया मेरी हार का उन लोगों के लिए जीतना जरूरी है,
read moreSantosh Sagar
खो चुके थे आश हम और हार गए थे खेल, जिंदगी के राह मेरे हो गए........ बेमेल ! राह के पथिक को जो सीखा गये हुनर गजब, वो गुरु बन के मेरे भगवान बनके आ गए !! आ गए मेरे लिए आफ़ताब बन के आ गए, जिंदगी जीने की कला फिर हमें सीखा गए ! उनके इस दया की भरपाई नहीं कर सकता मैं, कवि बनने की कला हमको फिर वो सीखा गए !! थक चुके थे हम जहाँ से रुक चुके थे पग मेरे, आप आकर यूँ ही समझे चलने लगे थे संग मेरे ! खो चुकी थी रौशनी जैसे फिर उस चाँद की, सूरज की चमक फिर बिखेर गए ऊपर मेरे !! :- संतोष 'सागर' #nojototeacher #love #student #papa#bhaiya#ma#allteacher AKS "" अक्स "" बेनाम शायर Dr. Rahul Karmakar Aadarsha singh Jyoti Shaw Pratibha Tiwari(smile)🙂
#nojototeacher #Love #Student #Papa#Bhaiya#Ma#allteacher AKS "" अक्स "" बेनाम शायर Dr. Rahul Karmakar Aadarsha singh Jyoti Shaw Pratibha Tiwari(smile)🙂
read moreAnushka Verma
जो काम बाकी थे पूरे कर चुके हैं कम्बख़्त हम अब पूरे मर चुके हैं । --अनुष्का वर्मा #Nojoto
THE VIKRANT RAJLIWAL SHOW
💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1) प्रकाशित पुस्तक "एहसास"(published Book) : अत्यधिक संवेदनशील काव्य पुस्तक एहसास, जिसका केंद्र बिंदु हम सब के असंवेदनशील होते जा रहे सभ्य समाज पर अपनी काव्य और कविताओं के द्वारा एक प्रहार की कोशिश मात्र है। Sanyog (संयोग) प्रकाशन घर शहादरा द्वारा प्रकाशित एव ए वन मुद्रक द्वरा प्रिंटिड। प्रकाशन वर्ष जनवरी 2016. प्रकाशित मूल्य 250:00₹ मात्र।
💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1) प्रकाशित पुस्तक "एहसास"(published Book) : अत्यधिक संवेदनशील काव्य पुस्तक एहसास, जिसका केंद्र बिंदु हम सब के असंवेदनशील होते जा रहे सभ्य समाज पर अपनी काव्य और कविताओं के द्वारा एक प्रहार की कोशिश मात्र है। Sanyog (संयोग) प्रकाशन घर शहादरा द्वारा प्रकाशित एव ए वन मुद्रक द्वरा प्रिंटिड। प्रकाशन वर्ष जनवरी 2016. प्रकाशित मूल्य 250:00₹ मात्र।
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💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1) प्रकाशित पुस्तक "एहसास"(published Book) : अत्यधिक संवेदनशील काव्य पुस्तक एहसास, जिसका केंद्र बिंदु हम सब के असंवेदनशील होते जा रहे सभ्य समाज पर अपनी काव्य और कविताओं के द्वारा एक प्रहार की कोशिश मात्र है। Sanyog (संयोग) प्रकाशन घर शहादरा द्वारा प्रकाशित एव ए वन मुद्रक द्वरा प्रिंटिड। प्रकाशन वर्ष जनवरी 2016. प्रकाशित मूल्य 250:00₹ मात्र।
💥 Author, Writer, Poet & Dramatist Vikrant Rajliwal (कवि, शायर, नज़्मकार, ग़ज़लकार, गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक एव नाटककार-कहानीकार-सँवादकार) 1) प्रकाशित पुस्तक "एहसास"(published Book) : अत्यधिक संवेदनशील काव्य पुस्तक एहसास, जिसका केंद्र बिंदु हम सब के असंवेदनशील होते जा रहे सभ्य समाज पर अपनी काव्य और कविताओं के द्वारा एक प्रहार की कोशिश मात्र है। Sanyog (संयोग) प्रकाशन घर शहादरा द्वारा प्रकाशित एव ए वन मुद्रक द्वरा प्रिंटिड। प्रकाशन वर्ष जनवरी 2016. प्रकाशित मूल्य 250:00₹ मात्र।
read moreSukhbir Singh Alagh
जिन अख़बार वालों ने सच का आईना दिखाना था आजकल वो खुद ही बिक चुके है सच्ची पत्रकारिता आज कल कम ही बची है ज्यादातर तो आज झूठे रंग में रंग गए है पैसा कमाना ही बस उदेश्य है इनका अख़बार के पहले अंग पे विज्ञापन दिख रहे है आम जनता की आवाज़ उठाना भूल चुके है ये अख़बार वाले "अलग" ज्यादातर तो बस फ़िल्मी एक्टर ही देख रहे है #अख़बार #Newspaper #Nojoto #Nojotohindi #sukhbirsinghalagh
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