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Death_Lover
फ़ितरत कैसे बदलोगे "हिमांश" किसीकी, जब कोई दलदल में ही रहना सीख गया हो॥ 【आज के घर】 ©Death_Lover #मेरे_राम #दलदल #प्रेम #आध्यात्मिक #जीवन #आधुनिकता #surya #आधुनिकरण #भौतिकवाद #दिखावा
DR. SANJU TRIPATHI
तुम्हें खुद में तलाशते तलाशते मैंने खुद को पा लिया है। अब आरज़ू नहीं तुम्हारी अब जीना है हमें बस खुद के लिए ♥️Collab with GulnaaR 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें .... (2 लाइन्स couplet: मुक्तक / छन्द /मिसरा ) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall
Sachin Ratnaparkhe
ग़ज़ल-ए-सियासत यहां कुछ भी अटल नहीं होता सियासत में, हर गुल हमेशा कंवल नहीं होता सियासत में। पैर कहां टिके है तुम्हे ही नहीं पता है क्युकी, आसमां या फिर भूतल नहीं होता सियासत में। भूख-आे-प्यास की शिकायतें बेकार है यहां, कोई दाना या जल नहीं होता सियासत में। नस्ल-ओ-वतन-परस्ती तो महज जुमला ही है, कभी खुदगर्ज से छल नहीं होता सियासत में। यह धंधा ही तो है पागल बनाने का सबको, मगर हर कोई पागल नहीं होता सियासत में। यहां बाते होती है मुनाफा आे वक्त देखकर, जो आज है वो कल नहीं होता सियासत में। यहां रखो कदम गर तो खुद के दम पर रखो, कोई साथ या संबल नहीं होता सियासत में। सियासत का दूसरा नाम दलदल भी है राही, खुदके सिवा कोई दल नहीं होता सियासत में। #ग़ज़ल_ए_सियासत #अटल #कंवल #नस्ल_ओ_वतनपरस्ती #खुदगर्ज #संबल #दलदल
Tamradhwaj Nishad
#कितने भी #दलदल हों #जिन्दगी_में…पैर जमाए ही रखना, चाहे हाथ #खाली हो जिंदगी में लेकिन उसे #उठाये ही रखना, #कौन कहता है #छलनी_में_पानी_रूक_नहीं_सकता, अपना #हौसला_बर्फ_जमने तक #बनाये_रखना॥ Credit by - Mr- Suraj sahu sir ":: Learn more earn more.. ::" ताम्रध्वज निषाद... ✍️🏾 ©Tamradhwaj Nishad My thought #Darknight
S K Sachin उर्फ sachit
कल, कल,कल,क्या रखा है कल में चलना है अगर ,तो चल इसी पल में ! तुमको भी डुबना है तो शौक से डुबो ना जाने कितने डुबे हैं इस दलदल में !! ©S K Sachin #दलदल #आजाद कलाकार #WorldOrganDonationDay
A P
मैं दल दल सा हु मुझे ऐसे ही रहने दो, अपने आप को संभालो मुझे दूर ही रहने दो, अगर एक बार उतरने लगे मेरे अंदर फिर कोशिशो के बाद भी निकल ना पाओगे फिर उतने ही मुजमे उतर जाओगे फिर। दल दल सा हु मै मुझे ऐसे ही रहने दो, ना फेकना मेरे अंदर पत्थर सा कुछ, वरना मेरे कीचड़ सा प्रेम तुम्हे ओढ लेगा फिर कोई पानी उसे साफ नही कर पायेगा फिर मै दल दल सा हु मुझे ऐसे ही रहने दो। ©A P #दलदल
Prakash Mishra
बदलना तो बहुत चाहता था, पर खुद को बदल नहीं पाया था। दल-दल में जो फस गये थे। निकलना तो बहुत चाहता था, पर खुद को निकाल नहीं पाया था। क्योंकि कोई सहारा न था। शुक्रगुजार हूं उस ईश्वर का जिसने इस समय के पहिए को आगे घूमाया। क्योंकि उसके बाद धीरे-धीरे मैं इस दल-दल से बाहर आ पाया। मैं इस दल-दल से बाहर आ पाया। 😓😓😓 #मैं#इस#दलदल#से#बाहर#आ#पाया😓🌈 प्रवीण कुमार indira Gori Anshu hindhi shayri ,poems
Thakur Preeti Singh
मैं हर रोज तेरे गम के दलदल में दस्ती रहती हूं मैं हर रोज तेरे गम के दलदल में दस्ती रहती हूं बस तेरा नाम मेरे 👄होठों पर ना आए इसलिए ही में😊हंसती रहती हूं