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Shivank Shyamal
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ना जाने मुझे कैसे कैसे ख़्याल आ रहें हैं। भंवरे महक रहें और फूल गुनगुना रहें हैं।। कल ही तो मुझसे गले लगकर गई थी तुम। आज तुम्हारी याद में बादल रो गा रहें हैं।। और शुक्रिया, मुझे हसीं यादें देने के लिए। तुम पास नहीं हो, फ़िर भी मुस्कुरा रहें हैं। मेरे कांधे पे सिर रखना-सो जाना, ठीक है! पर वो घाट, बाहें फैलाए फ़िर बुला रहें हैं।। ©Shivank Shyamal #banaras #shivanksrivastavashyamal #shivankshyamalquotes #बनारस
Shivank Shyamal
मेरे दिल की मूरत हो तुम। बरसों से मैंने, जो तराशा है तुमको। रातों के पहरों में, सोचा है तुमको।। कि वही तो नेमत हो तुम। मेरे दिल की मूरत हो तुम। कभी जो मैं कह दूं, कि रती सी हो तुम तो। नक्शे से भोली, सी सूरत हो तुम तो।। कि बहुत ख़ूबसूरत हो तुम। मेरे दिल की मूरत हो तुम।। हैं नदियों सी हलचल, ये आंखें तुम्हारी। हैं सावन की रातें, ये जुल्फ़ें तुम्हारी।। और आंसू जो आएं, तो चुप मैं करालूं। और अधरों सी प्यासी, ये भौवें तुम्हारी। नज़र से ज़माने की, ख़ुद को बचाना। अमानत हो मेरी, हो मेरा खज़ाना।। कि मेरी विरासत हो तुम। मेरे दिल की मूरत हो तुम।। गुलाबों सी कोमल, हैं अंगुली तुम्हारी। काली घटा सी, हैं नज़रें तुम्हारी।। इश्क़ में तेरे, हैं फिज़ाओं में रंगत। और शबनम से मीठी, हैं बातें तुम्हारी।। कि नज़रें जो फेरों तो रो जाएं बादल। और नज़रों से बोलों तो हो जाएं पागल।। वो सुनहरी रियासत हो तुम। मेरे दिल की मूरत हो तुम।। मेरे दिल की मूरत हो तुम। बहुत ख़ूबसूरत हो तुम।। महकतीं जो कलियों सी मिलती हो अक़्सर। गुनगुनाता हूं गलियों में भौंरों सा अक़्सर।। मुस्कुराती हो तुम जो, रातों में हंसकर। खिल जाता फूलों सा बातों में अक़्सर।। लुटाना जो चाहे, लुटाई ना जाए। दिखाना जो चाहे, दिखाई न जाए।। उन दुआओं की क़िस्मत हो तुम। मेरे दिल की मूरत हो तुम।। मेरे दिल की मूरत हो तुम। बहुत ख़ूबसूरत हो तुम।। ©Shivank Shyamal #hugday #shivanksrivastavashyamal #shivankshyamalquotes
Shivank Shyamal
कि बड़े इत्तेफ़ाक़ों से, मिल गईं हैं खुशियाँ मुझे। जैसे सारे जवाबों की मिल गईं हों चाभियाँ मुझे।। और सच बताऊं तो रगों में बह रहा है इश्क़ मेरे। तू बने मंज़िल जो गर, मिल जाएंगी चिमनियाँ मुझे।। तुझे पाने को मैंने राहु-केतु भी पूज डाले हैं सनम। कि अब इन चक्करों में भाने लगीं हैं राशियाँ मुझे।। वक्त थम जाता है, मुझे सब मैजिक सा लगता है। कुछ मुहब्बत सा महसूस होने लगा है दर्मियाँ मुझे।। मैं थामू हाथ उसका, कि सफ़र असमान भी देखे। गवाह शाम बनें और देखकर शर्माएं सर्दियाँ मुझे।। कुछ मुहब्बत सा महसूस होने लगा है दर्मियाँ मुझे। कि बड़े इत्तेफ़ाक़ों से, मिल गईं हैं खुशियाँ मुझे।। ©Shivank Shyamal #romanticstory कि बड़े इत्तेफ़ाक़ों से, मिल गईं हैं खुशियाँ मुझे। जैसे सारे जवाबों की मिल गईं हों चाभियाँ मुझे।। और सच बताऊं तो रगों में बह रहा है इश्क़ मेरे। तू बने मंज़िल जो गर, मिल जाएंगी चिमनियाँ मुझे।। तुझे पाने को मैंने राहु-केतु भी पूज डाले हैं सनम। कि अब इन चक्करों में भाने लगीं हैं राशियाँ मुझे।।
Shivank Shyamal
सुबह होते ही हर रोज़ ख़ुशी का पैग़ाम आ जाता है। मैं उठता हूं कि स्क्रीन पर उसका नाम आ जाता है।। और गुफ़्तगू को, लफ़्ज़ कम पड़ते नहीं हैं उस को। पर कमबख़्त घर जाने का वक्त हर शाम आ जाता है।। जूड़ा भी पसंद है और उसकी लटें भी सुभानल्लाह। छुप के देखूं उन्हें तो सिर पर इलजाम आ जाता है।। और वक्त ही तो नहीं है, सूनी कलाइयों पर उस के। फ़िर भी बे-वक्त उसे याद कोई काम आ जाता है।। और इस भूलने की आदत का क्या करूं मैं श्यामल। अच्छी ख़ासी कन्वर्सेशन में भी विराम आ जाता है।। ©Shivank Shyamal #UskeHaath #shivanksrivastavashyamal #shivankshyamalquotes #shayari #ghazal #love #quotes #ishq सुबह होते ही हर रोज़ ख़ुशी का पैग़ाम आ जाता है। मैं उठता हूं कि स्क्रीन पर उसका नाम आ जाता है।। और गुफ़्तगू को, लफ़्ज़ कम पड़ते नहीं हैं उस को। पर कमबख़्त घर जाने का वक्त हर शाम आ जाता है।। जूड़ा भी पसंद है और उसकी लटें भी सुभानल्लाह। छुप के देखूं उन्हें तो सिर पर इलजाम आ जाता है।।
Shivank Shyamal
मैं पीछा कैसे छुड़ाऊं मुसलसल बुलाए जा रहा है। वो कौन सा मस'अला है जो मुझे खाए जा रहा है।। ज़रूर ये उसकी याद होगी जो पीछा नहीं छोड़ती। तभी उसके जाने के बाद भी हाथ हिलाए जा रहा है।। हिमाक़त तो देखो इसकी कितना अकड़ू हो गया है। मर गया है बेशर्म पर फ़िर भी मुस्कुराए जा रहा है।। ©Shivank Shyamal #Save #shivanksrivastavashyamal #love #breakup #sadquotes #Quote #shayari #Ghazal #shivankshyamalquotes
Shivank Shyamal
रहूं पास तुम्हारे! कि यही फ़रमाइश है मेरी। तुम्हें निहारता रहूं कि यही ख़्वाहिश है मेरी।। और तुमको सुकून कहूं तो ग़लत नहीं होगा। फ़क़त तुम्हें चाहने की यही पैमाईश है मेरी।। बस हमदर्द नहीं हमसफर भी बनना है मुझे। तू थाम ले मेरा हाथ, यही गुज़ारिश है मेरी।। फ़क़त तुम्हें चाहने की यही पैमाईश है मेरी।। तुम्हें निहारता रहूं कि यही ख़्वाहिश है मेरी।। ©Shivank Shyamal #woaurmain रहूं पास तुम्हारे! कि यही फ़रमाइश है मेरी। तुम्हें निहारता रहूं कि यही ख़्वाहिश है मेरी।। और तुमको सुकून कहूं तो ग़लत नहीं होगा। फ़क़त तुम्हें चाहने की यही पैमाईश है मेरी।। बस हमदर्द नहीं हमसफर भी बनना है मुझे।