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'मनु' poetry -ek-khayaal

sakshi yadav

किसी भी बंधन में बंध जाने से पहले तुम एक अच्छे इंसान बनना
और दूसरे इंसान के पीड़ा को समझना

©sakshi yadav #शायरी #इंसान #बंधन #पीड़ा #इंसानियत #अल्फाज़ #साक्षी

अर्पिता

#पीड़ा

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लोगो को अपना दर्द कहने से तुम्हारी पीड़ा कम नहीं होगी,
वो कम होगी तो सिर्फ 
तुम्हारी इच्छा शक्ति से...

©अर्पिता #पीड़ा

Shubham Bhardwaj

कृतान्त अनन्त नीरज...

कृतान्त अनन्त नीरज...

MamtaYadav

पीड़ा में पड़े व्यक्ति की पीड़ा को
केवल दो ही व्यक्ति समझ सकते हैं
एक वह जो इस पीड़ा को भुगत रहा हो
दूसरा वह जो उस पीड़ा को भुगत चुका हो

©MamtaYadav #दर्द  #पीड़ा

Aditya Fogat

सबसे अधिक #पीड़ा तब होती है जब हाथ मे लिया #खिलौना जेब देखकर छोड़ना पड़े। #spne #yqbaba #yqthoughts #yqdidi #सपने

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सबसे अधिक पीड़ा तब होती है
जब हाथ मे लिया खिलौना 
जेब देखकर छोड़ना पड़े। सबसे अधिक #पीड़ा तब होती है
जब हाथ मे लिया #खिलौना 
जेब देखकर छोड़ना पड़े।  
#spne #yqbaba #yqthoughts #yqdidi  #सपने

Aprasil mishra

************************** पुरुषत्व पुरुष की पीड़ा है या फिर उसका अभिमान प्रभो। निज अन्तर्मन में द्वण्द यही कर दे आकर समाधान प्रभो।। कितनी भी दुविधा हो मन में पर कहने का अधिकार नहीं। भावों का वेग प्रवेग बने पर स्थावर प्रतिकार नहीं।। गर चार रोटियाँ वह सेंकेे अवरोधों को कर दे किनार। तो गृह सदस्य ही कहते हैं यह है पौरुषता को अजार।। मैं इस समाज के बन्धन में निजता का हनन सहूँ कैसे?

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     """पौरुषता की व्यथा"""
          ( अनुशीर्षक देखें ) ----


"यह मात्र निजी दृश्य एवं अनुभव के संवेदना की व्यथा का निरूपण है।कुछ संवेदनायें सार्वभौमिक व नैसर्गिक अवश्य हो सकती है, परन्तु प्रत्येक संवेदना प्रत्येक की ही हो यह आवश्यक नहीं।"
     **************************
पुरुषत्व पुरुष की पीड़ा है या फिर उसका अभिमान प्रभो। 
निज अन्तर्मन में द्वण्द यही कर दे आकर समाधान प्रभो।। 
कितनी भी दुविधा हो मन में पर कहने का अधिकार नहीं। 
भावों का वेग प्रवेग बने पर स्थावर प्रतिकार नहीं।। 
गर चार रोटियाँ वह सेंकेे अवरोधों को कर दे किनार। 
तो गृह सदस्य ही कहते हैं यह है पौरुषता को अजार।। 
मैं इस समाज के बन्धन में निजता का हनन सहूँ कैसे?

gudiya

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