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Anoop Mohan
अच्छा होता,...... अच्छा होता ग़र तुम मिले थे तो मिल जाते, ज़िन्दगी के कुछ और लम्हे मिलकर साथ चल लेते, अच्छा होता ग़र चलते चलते एक सफ़र तय कर लेते, सफर इतना ही थ, तय तो हो जाता; अच्छा होता ग़र...... अच्छा होता ग़र तुम यादों से चले जाते, हम ख़ाली हाथ लौटकर घर को चले जाते, ऐसा होता तो घर मे हम... रहते, कोना न तलासते; अच्छा होता ग़र .... ©Anoop Mohan #walkalone #कोने #की #तलाश
कवि मनोज कुमार मंजू
अब किसी कोने में हर पल हैं सिसकती चूड़ियां। हर गली में आज देखो खून की हैं होलियां।। ©कवि मनोज कुमार मंजू #कोने #सिसकती #चूड़ियां #गली #खून #होलियाँ #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू
Devyani Chugadia
वक्त रहते समज जाना, क्योंकि यहाँ गोल दुनिया के भी कोने है.. #गोलदुनिया #कोने #yqbaba #yqdidi #yqhindi
Vicky Kachhwaha
#वोह 👉#मज़ा😍👌_नहीं ❌#दुनिया🌏 के किसी #कोने में, जो #मज़ा है _सुबह 🔆उठ के फिर🙇#सोने मे !! ©Vicky Kachhwaha #Budget23 shayari status
Ashish kumar Sharma
#वोह 👉#मज़ा😍👌_नहीं ❌#दुनिया🌏 के किसी #कोने में, जो #मज़ा है _सुबह 🔆उठ के फिर🙇#सोने मे !! ©Ashish kumar Sharma #desert
R...Khañ
बैठें हैं एक कोने में सब को भुलाएँ हुए एक उसकी ही याद आती है मुझे हरदम सताएँ हुए ©R...Khan #बैठें #हैं #एक #कोने #में Sourabh Anshu writer gudiya Ramjan Ali
Sarvan Singh Gill
काश कभी ऐसा भी हो कि मेरे #मर जाने के बाद कहीं कोई #वीरान #कोने में #अकेला बैठ कर, मेरे लिखे (#आशाआर) #अल्फाज पड़े! मेरी #गजलें मेरी #नजमो #कविताओं #कहानियों के जरिए मेरी #सोच की तह तक जा पहुंचे! मेरी #रूह को जाने! और अपने #जहन में मेरी एक #तस्वीर उकेरे, और यह सोचे, मुमकिन है कि मुझे #सरवन से #मोहब्बत हो जाती! #man_ki_iksha ©Sarvan Singh Gill #diary#Diary_aur_kalam #प्रेम#nojoto#मुहब्त #alfaaz
Pawan Singh Chauhan
#वोह 👉#मज़ा😍👌_नहीं ❌#दुनिया🌏 के किसी #कोने में, जो #मज़ा है _सुबह 🔆उठ के फिर🙇#सोने मे !! ©Pawan Singh Chauhan #Sunrise
surjaram Saran
#वोह 👉#मज़ा😍👌_नहीं ❌#दुनिया🌏 के किसी #कोने में, जो #मज़ा है _सुबह 🔆उठ के फिर🙇#सोने मे !! ©surjaram Saran life
Chintu Agrvansi
कोने में बैठ कर क्यों रोती है यू चुप चुप सी क्यों रहतीं है आगे बढ़ने से क्यों डरती है सपनों को बुनने से क्यों डरती है। तकदीर को क्यों रोती है, मेहनत से क्यों डरती है। झूठे लोगो से क्यों डरती है, कुछ खोने के डर से क्यों बैठी है। हाथ नहीं होते नसीब होते है उनके भी, तू मुट्ठी में बंद लकीरों को लेकर रोती है। सुर्य भी करता है नित नई शुरुआत, श्याम होने के भय से नहीं डरता है। मुसीबतों को देख कर क्यों डरती है, तू लड़ने से क्यों पीछे हटती है। किसने तुमको रोका है, तुम्ही ने तुम को रोका है। भर साहस और दम, बढ़ा कदम, अब इससे अच्छा कोई मोका नहीं ©Chintu Agrvansi #कोने में बैठ कर क्यों रोती