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Dileep Bhope
सांगितले मी काहीच नाही कोण जाणे कसे कळले त्याला आठवण तीव्र झाली अन् तोच चेहरा हसरा दारात उभा! ©Dileep Bhope #सहज
Ghumnam Gautam
कि जब हो प्यार करने की उमर तुम प्यार कर लेना किसी की धड़कनों पर भी सुनो अधिकार कर लेना मगर मजबूर होकर गर कभी महबूब बिछड़े तो न करना ज़िद,जुदाई को सहज स्वीकार कर लेना ©Ghumnam Gautam #स्वीकार #ज़िद #जुदाई #सहज #मजबूर #प्यार #अधिकार #ghumnamgautam
Poonam Ritu Sen
लफ़्ज़ मीठे हों या हों चुभन भरे, सहजता से दिया गया जवाब आपके व्यक्तितव को निखार देता है 😊 #Yqdidi #सहज #सुंदर
Satish Chandra
-सतीश(Satty) #सहज #YQdidi YourQuote Didi #FreakySatty
Kunal Salve
तुला आठवण नक्कीच येणार जेव्हा तुझा तो तूला विचारणार खरं प्रेम कधी केलंस का कोणावर? तेव्हा नीट ऐकशील,नाहीतर ऐकायची का खरं प्रेम किती केलंस कुणालवर ! #सहज #कुणाल #PC: kb_salve
Juhi Grover
तुम पिछले जन्म में मेरे भाई... या फिर मेरे बेटे ही रहे होगे, तुम्हारा चेहरा मुझे एक पल के लिए भी कभी अजनबी नहीं लगा, और जब कभी मिलोगे तुम आँसू ज़रूर होंगे तुम्हारी आँखों में, एकदम तुम एक बच्चे की भाँति मेरे गले लग जाओगे, नमी शायद मेरी आँखों में भी होगी, तो क्या उसकी इस सहजता को देख कर सहज रह पाऊँगी मैं भी? #चेहरा #आँसू #नमी #सहज #अजनबी #सहजता #yqhindi #bestyqhindiquotes
Juhi Grover
सहज ही मिल जाती हैं जब खुशियाँ, उनकी कद्र ही गंवा देते हैं कुछ लोग, सहज ही खर्च कर देते हैंसब खुशियाँ, असहज हो जाते हैं ज़िन्दगी में लोग। ठोकरें खाने के सिवा चारा नहीं रहता, उधार ही लेनी पड़ती हैं कुछ खुशियाँ, जीने के लिए कुछ भी बचा नहीं रहता, बस बचती हैं कुछ उधार की खुशियाँ। उधार ज़िन्दगी की आस बन जाता है, ज़िन्दगी पे तो उपकार कर ही जाता है, इक पल की ही खुशी चाहे दे जाता है, हर उधार पे मौत की सौगात दे जाता है। सहज ही मिल जाती हैं जब खुशियाँ, उनकी कद्र ही गंवा देते हैं कुछ लोग, सहज ही खर्च कर देते हैंसब खुशियाँ, असहज हो जाते हैं ज़िन्दगी में लोग। सहज ही मिल जाती हैं जब खुशियाँ, उनकी कद्र ही गंवा देते हैं कुछ लोग, सहज ही खर्च कर देते हैंसब खुशियाँ, असहज हो जाते हैं ज़िन्दगी में लोग। ठोकरें खाने के सिवा चारा नहीं रहता, उधार ही लेनी पड़ती हैं कुछ खुशियाँ, जीने के लिए कुछ भी बचा नहीं रहता,
Prashant Roy
कई बार लिखने को सोचता हूँ, मगर कहाँ सोच कर लिख पाता हूँ, लिखना तो तभी होता है, जब सोचना छूट जाता है, और थक कर दिमाग़ दिल के सुपुर्द-ऐ-अहसास कर देता है, तो जो लिखता है, उसे लिखना कहाँ आता है। जिसे दर्द और दवा का अहसास, मुक़म्मल नजर आता ही नही, दिमाग ठहर कर, मासूम आँखों से, यू हीं बह जाता है, तब चंद लफ़्ज अपना मकाम पहुंच पाते है, और कहने को कुछ लिखा जाता है, फिर भी दिल तो जनता ही है, कि सोच कर कहाँ लिख पाता हूँ, फिर भी बेअक्ल सा, कई बार लिखने को सोचता हूँ....... ©Prashant Roy #pen #सोच कर कहाँ लिख पाता हूँ! #spontaneouswriting#स्वतः#स्फूर्त#सहज#सरलप्रवाह Rakesh Srivastava IshQपरस्त