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Ghumnam Gautam
प्रमोद मिश्र "भागलपुरी"
पत्नियाँ डरती उन इशारों से जिससे हया बेशर्म हो रोज करती रहती दुआएं ऐसे मर्दो से पाला कम हो तार-तार ना हो दामन, थोड़ी डंडे पड़ने की भ्रम हो मुहल्ले में नैन मटक अल्लाह की फजल से कम हो ©Anushi Ka Pitara #महफूज़ #समाज #adishakti
Chandan Ki kalam
मज़बूरी से अंतरिम सांस तक महफूज ऱखना खुद को जब आ जाए तो मज़बूती से महबूब करना खुद को ©Chandan Kumar #मज़बूती #महफूज़
Lotus banana (Arvind kela)
🅰️👨❤️💋👨हर #शाम_ऐ_महफ़िल में 💜💚सुकून को #महफूज़ कर लेते हैं 🅰️👨❤️💋👨जब भी #तनहा होते हैं 💛💙 हम तुम्हें #महसूस कर लेते हैं ©Lotus banana (Arvind kela) #allalone
fouji "Hindustani"
🌹"हर #शाम-ऐ-महफ़िल में, सुकून को #महफूज़ कर लेते है,,🌹 🌹जब भी तन्हा होते है, तुम्हे #महसूस कर लेते है"...!!🌹 सरकार #शाम_और_इंतजार
Shiwalika_SSS
🇮🇳महफ़ूज़ रहो🇮🇳 ऐ मेरे पहरेदार-ए-वतन,महफूज़ रहो, महफूज़ है तुमसे वतन,महफूज़ रहो। तुमसे महकता है चमन,महफूज़ रहो, तुमसे है चैन-ओ-अमन,महफूज़ रहो। ऐ मेरे पहरेदार-ए-वतन,महफूज़ रहो।। read The Caption... तुम बर्फ की चादर ओढ़े सोते हो, तो घरों में अलाव जलते हैं। तुम सुलगती मरूओं पर चलते हो, तो गावों में आँगन सिंचते हैं। तुमसे खिला है हर मौसम,महफूज़ रहो। ऐ मेरे पहरेदार-ए-वतन महफूज़ रहो।। दे गया जो चिराग़-ए-आशियाँ,
तुम बर्फ की चादर ओढ़े सोते हो, तो घरों में अलाव जलते हैं। तुम सुलगती मरूओं पर चलते हो, तो गावों में आँगन सिंचते हैं। तुमसे खिला है हर मौसम,महफूज़ रहो। ऐ मेरे पहरेदार-ए-वतन महफूज़ रहो।। दे गया जो चिराग़-ए-आशियाँ,
read moreShrikant Dubey
ऐ मेरे #ख़्वाबों की #मलिका आ तुझे #प्यार करूँ, अपने जीवन की हसीं ख्वाहिश को #साकार करूँ। कर दूं रौशन मैं अपने #प्रेम से तेरा #आंगन, तेरे जीवन में सदा खुशियों की बौछार करूँ।। ज़रा मेरे सामने तो आ तेरा #सज़दा तो करूँ, तुझे #महफूज़ रखूँ #चाहने का हक़ अदा तो करूँ। फूल की पंखुड़ियों सा कोमल है #चेहरा ये तेरा,
read moreगूँजन
महफूज़ न कही उसने महसूस किया है... महफूज...... बचपन की नोका-झोकी मे, बदमाशियो का खूब फितूर किया है, पर गैरत लगते हाथ उन मासूम गालो पर, महफूज न कही उसने महसूस किया है..... सहमने का भाव,समझ न थी तब,
महफूज...... बचपन की नोका-झोकी मे, बदमाशियो का खूब फितूर किया है, पर गैरत लगते हाथ उन मासूम गालो पर, महफूज न कही उसने महसूस किया है..... सहमने का भाव,समझ न थी तब,
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