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गुस्ताख़शब्द
तुम्हें आरंभ याद है, मुझे अंत पता है। तुम्हें प्रेम भाये है, मेरा दर्द ख़ता है।। तुम ठहरा आसमां, मैं नदी का छोर हूं। तुम ढलती शाम, मैं सुबह का शोर हूं।। तुम होंठों की हँसी, मैं रूह का ग़म हूं। तुम गिलास़ आधा, मैं पैमाना कम हूं।। तुम कहानी पूरी, मैं अधूरा छंद हूं? तुम आज़ाद पंछी, मैं क़ैद बंद हूं? ©गुस्ताख़शब्द हम जिनकी पनाह में बैठे थे, वो किसी और का पल्लू थामे हैं। #Love #Hate #Life #प्रेम #धोखा #Deep #गुस्ताख़शब्द #gustaakhshabd #जिंदगी #कविता
गुस्ताख़शब्द
गुस्ताख़शब्द
मुझे तेरी आभा विचलित नहीं करती, और तेरे ओज से संपूर्ण नहीं है धरती, भले तेरा रूप विशाल होता जाए... तेरी पियूष की नदियाँ अब नहीं झरती। ©गुस्ताख़शब्द #चाँद #आभा #ओज #संपूर्ण #गुस्ताख़शब्द #Love #Hate #story
गुस्ताख़शब्द
एक क़ैद है, एक खुली हवा। एक घर है, एक वही दूका। एक दूर है, एक पास जहां। एक साज़ है, एक सांस रवां। ©गुस्ताख़शब्द #पास #दूर #जहां #साज़ #क़ैद #गुस्ताख़शब्द #Deep
गुस्ताख़शब्द
साँझ की बेला यूँ शरमाई, उतर के रजनी फिर इठलाई, तम की चादर तान जो सोई, कि अल्प उषा नज़र न आई। प्रकाश माँगे छोटा कोना, स्याह रात का पार होना, पर छाए गर मेघ क्षितिज पे, तय हो जाए दिन का भी रोना।। ©गुस्ताख़शब्द #Pattiyan #गुस्ताख़शब्द #saanjh #Rajni #प्रकाश #धूप #रोना #प्रीत #उषा #तम
गुस्ताख़शब्द
प्रणय प्रलय का पर्याय, वो अनंत अविनाशी है। नीलकंठ औ चंद्रशेखर भी, झाँकी उसकी ही काशी है। तांडव धैर्य- धीर- धरम, आशुतोष ग्रहों की राशि है। प्रेत वही औ वही उपाय, प्रेरणा उसकी अभिलाषी है। ©गुस्ताख़शब्द #Sawankamahina #प्रणय #प्रलय #धैर्य #धर्म #गुस्ताख़शब्द #आशुतोष #उपाय
गुस्ताख़शब्द
भोर देख दिशा खो जाऊं, ईश मेरे कैसे तुझे पाऊं? पंक्ति छोड़ लफ़्ज़ जो लाऊं, पापी मैं बन सूफी आऊं।। तम की राह रोशनी पाऊं, तुमसे मैं एक हो जाऊं।। धुंध थामे चलता आऊं, पर तेरे दर क्या ही लाऊं? ©गुस्ताख़शब्द #standAlone #गुस्ताख़शब्द #ईश्वर #randomthoughts #रास्ता #दर #मैं #तुम
गुस्ताख़शब्द
मैं तुम्हारी पंक्ति, तुम मेरी व्याख्या। मिले जो तुझे शिव, तो मिले मुझे कामाख्या। मैं तो शीत चांदनी, तुम ठहरा आसमां। गए ढूंढने हम नबी, पर मिले न कोई आशना। ©गुस्ताख़शब्द तुम ढूंढे हो जिसको, वो है ही नहीं सच में। #bekhudi #शिव #कामाख्या #ढूंढना #nabi #आशना #गुस्ताख़शब्द #deep #जिंदगी
गुस्ताख़शब्द
सारी बिसातें हार गए, साहस का चोला ढक कर। हार ही मिली अभिमन्यु, तुझे चक्रव्यूह में फंस कर।। हां; शूरता में प्रखर हुए, रण विद्या में तुम तप कर। अपनों के ही घात आगे, मिली यूं बेबस मृत्यु तत्पर।। ©गुस्ताख़शब्द #KEEPSMEGOING #lovely #hatred #Folk #Mahabharat #गुस्ताख़शब्द #कहानी #सार #lesson
गुस्ताख़शब्द
दवात पड़ी सिरहाने, कागज़ दिखे है कोरा। कलम है दहलीज़ पे, लफ्ज़ों ने रिश्ता छोड़ा।। पंक्ति की संवेदना, मर्म लेती है मोरा। उकेर भी दूं पन्नों पर, स्मरण आए गर थोड़ा।। ©गुस्ताख़शब्द लेखन की बयार में, सोच ही आधार हैं। #Likho #मर्म #Lafz #गुस्ताख़शब्द #korakaghaz #लेखन #कलम #स्मरण #Good