Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best सबने Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best सबने Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about सबने यही कहा है, सबने यही कहा, सबने परिंदे, सबने वीडियो, सबने गाने,

  • 64 Followers
  • 519 Stories

vishwadeepak

#Help #My_inspirational_voice #सबने बता दिया, हाल अपना-अपना, क्या कह दूँ, हम सोंचते ही रह गए..... #mycreation #for my followers love you all..... #Thoughts

read more

Gumnam Shayar Mahboob

सबने जाने कितने वहम पाल लिए
मेरी भी उम्मीद थोड़ी सी जागी थी
सबके मुंह पर हम दोनों के चर्चे थे
एक रोज बस उसने कांपी मेरी मांगी थी #सबने #वहम #उम्मीद #जागी 
#चर्चे #मांगी 
#गुमनाम_शायर_महबूब 
#gumnam_shayar_mahboob

Unfinished journey of life

#Beauty #Yaara #Dear_life #nojota #nojotahindi #nojotaquotes #सबने #साम्बण आला आज काल #ख़ुद #टूट्या फिरे हैं Ajay Nafria Monika rathee #अनुभव

read more
सबने साम्बण आला 
आज काल ख़ुद टूट्या फिरे हैं









Unfinished_journey_of_life #Beauty #Yaara #Dear_life #nojota #nojotahindi #nojotaquotes 
#सबने #साम्बण आला आज काल #ख़ुद #टूट्या फिरे हैं Ajay Nafria Monika rathee

Dr Manju Juneja

टूटते तारों से दुआ तो सबने मांगी 
मगर टूटता तारा किसी ने देखा नही #Star #टूटतेतारे #से #दुआ #सबने #मांगी #जज़्बात #अल्फाज #nojotohindi #nojotoshayri

Ashwani Bvl Mishra

💞मसला ये नहीं कि महफिल में
     चांद #सबने देखा....🌹💯〽️🎷
तकलूफ ये है कि चांद ने #किसको
      देखा.💞💯〽️🎷 #Dhauladhar_range

स्मृति.... Monika

#सबने मनालीदिवाली??

read more
Dark nights 
                                                                                                           

मिटी रात काली, सबने मनाली दिवाली 
भरे थे जो जेब, वो हुए आज खाली 
सबने मनाली दिवाली? 
दीये जले, दिल जले, कहीं -कहीं घर जले 
उन्होंने ही सब जलाया जो कर रहें थे रखवाली                              सबने मनाली दिवाली?   पता ही न था कि-      
खुशियाँ थीं असली या खुशियाँ थीं जाली 
मिटी रात काली, सबने मनाली दिवाली? 
किसी के लिये उमंग, उल्लास लाई दिवाली 
कहीं मेवा -मिष्ठान्न और छप्पन भोग 
तो कहीं थाली खाली, सबने मनाली दिवाली? 
किसी के मन -उपवन में खिले फूल हैं 
कहीं जाकर देखा तो केवल शूल हैं, 
जबकि सभी के बागों का है एक ही माली 
सबने मनाली दिवाली?? #सबने मनाली#दिवाली??

dayal singh

bachpan ke din

read more
जब कभी भी हमें अपने बचपन की याद आती है तो कुछ बातों को याद करके हम हर्षित होते हैं, तो कुछ बातों को लेकर अश्रुधारा बहने लगती है। हम यादों के समंदर में डूबकर भावनाओं के अतिरेक में खो जाते हैं। भाव-विभोर व भावुक होने पर कई बार हमारा मन भीग-सा जाता है।

हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और ‍खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और ‍चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है।

वो सपने सुहाने ...

छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन।

तोतली व भोली भाषा

बच्चों की तोतली व भोली भाषा सबको लुभाती है। बड़े भी इसकी ही अपेक्षा करते हैं। रेलगाड़ी को 'लेलगाली' व गाड़ी को 'दाड़ी' या 'दाली' सुनकर किसका मन चहक नहीं उठता है? बड़े भी बच्चे के सुर में सुर मिलाकर तोतली भाषा में बात करके अपना मन बहलाते हैं।

जो नटखट नहीं किया, वो बचपन क्या जीया?

जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत या नटखट नहीं की, उसने भी अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि 'बचपन का दूसरा नाम' नटखट ही होता है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं तथा हम सभी को भी अपने बचपन की सहसा याद हो आती है।

वो पापा का साइकल पर घुमाना...

हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब कहां?

साइकलिंग

थोड़े बड़े होने पर बच्चे साइकल सीखने का प्रयास अपने ही हमउम्र के दोस्तों के साथ करते रहे हैं। कैरियर को 2-3 बच्चे पकड़ते थे व सीट पर बैठा सवार (बच्चा) हैंडिल को अच्छे से पकड़े रहने के साथ साइकल सीखने का प्रयास करता था तथा साथ ही साथ वह कहता जाता था कि कैरियर को छोड़ना नहीं, नहीं तो मैं गिर जाऊंगा/जाऊंगी।

लेकिन कैरियर पकड़े रखने वाले साथीगण साइकल की गति थोड़ी ज्यादा होने पर उसे छोड़ देते थे। इस प्रकार किशोरावस्था का लड़का या लड़की थोड़ा गिरते-पड़ते व धूल झाड़कर उठ खड़े होते साइकल चलाना सीख जाते थे। साइकल चलाने से एक्सरसाइज भी होती थी।

हाँ, फिर आना तुम मेरे प्रिय बचपन!
मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा ताउम्र!!
राह तक रहा हूँ मैं!!!जब कभी भी हमें अपने बचपन की याद आती है तो कुछ बातों को याद करके हम हर्षित होते हैं, तो कुछ बातों को लेकर अश्रुधारा बहने लगती है। हम यादों के समंदर में डूबकर भावनाओं के अतिरेक में खो जाते हैं। भाव-विभोर व भावुक होने पर कई बार हमारा मन भीग-सा जाता है।

हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और ‍खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है। जिसने 'चोरी से' आम नहीं खाए व गन्ना नहीं चूसा, उसने क्या खाक अपने बचपन को 'जीया' है! चोरी और ‍चिरौरी तथा पकड़े जाने पर साफ झूठ बोलना बचपन की यादों में शुमार है। बचपन से पचपन तक यादों का अनोखा संसार है।


वो सपने सुहाने ...

छुटपन में धूल-गारे में खेलना, मिट्टी मुंह पर लगाना, मिट्टी खाना किसे नहीं याद है? और किसे यह याद नहीं है कि इसके बाद मां की प्यारभरी डांट-फटकार व रुंआसे होने पर मां का प्यारभरा स्पर्श! इन शैतानीभरी बातों से लबरेज है सारा बचपन।


तोतली व भोली भाषा

बच्चों की तोतली व भोली भाषा सबको लुभाती है। बड़े भी इसकी ही अपेक्षा करते हैं। रेलगाड़ी को 'लेलगाली' व गाड़ी को 'दाड़ी' या 'दाली' सुनकर किसका मन चहक नहीं उठता है? बड़े भी बच्चे के सुर में सुर मिलाकर तोतली भाषा में बात करके अपना मन बहलाते हैं।

जो नटखट नहीं किया, वो बचपन क्या जीया?

जिस किसी ने भी अपने बचपन में शरारत या नटखट नहीं की, उसने भी अपने बचपन को क्या खाक जीया होगा, क्योंकि 'बचपन का दूसरा नाम' नटखट ही होता है। शोर व उधम मचाते, चिल्लाते बच्चे सबको लुभाते हैं तथा हम सभी को भी अपने बचपन की सहसा याद हो आती है।

वो पापा का साइकल पर घुमाना...

हम में अधिकतर अपने बचपन में पापा द्वारा साइकल पर घुमाया जाना कभी नहीं भूल सकते। जैसे ही पापा ऑफिस जाने के लिए निकलते हैं, तब हम भी पापा के साथ जाने को मचल उठते हैं, तब पापा भी लाड़ में आकर अपने लाड़ले-लाड़लियों को साइकल पर घुमा देते थे। आज बाइक व कार के जमाने में वो 'साइकल वाली' यादों का झरोखा अब कहां?

साइकलिंग

थोड़े बड़े होने पर बच्चे साइकल सीखने का प्रयास अपने ही हमउम्र के दोस्तों के साथ करते रहे हैं। कैरियर को 2-3 बच्चे पकड़ते थे व सीट पर बैठा सवार (बच्चा) हैंडिल को अच्छे से पकड़े रहने के साथ साइकल सीखने का प्रयास करता था तथा साथ ही साथ वह कहता जाता था कि कैरियर को छोड़ना नहीं, नहीं तो मैं गिर जाऊंगा/जाऊंगी।

लेकिन कैरियर पकड़े रखने वाले साथीगण साइकल की गति थोड़ी ज्यादा होने पर उसे छोड़ देते थे। इस प्रकार किशोरावस्था का लड़का या लड़की थोड़ा गिरते-पड़ते व धूल झाड़कर उठ खड़े होते साइकल चलाना सीख जाते थे। साइकल चलाने से एक्सरसाइज भी होती थी।

हाँ, फिर आना तुम मेरे प्रिय बचपन!
मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा ताउम्र!!
राह तक रहा हूँ मैं!!! bachpan ke din

Priya Singh

read more
इश्क़ के पीछे भाग कर सबने देखा
मिली न सच्ची मोहब्बत किसी को 
सबने ये माना,,,

कुछ पल इन किताबो से दोस्ती कर के देख लीजिए
मिल न जाये आपको आपकी सारी खुशियाँ
तो कहना,,,,,,

Anjali Srivastav

read more
अमावस जैसी आज की रात है
नही करनी किसी से अब बात है
बहुत देख ली अपना बनाकर सबको
इस्तेमाल किया मोहरा बनाकर हमको
हर किसी ने मेरे जज्बात से खेला
लगा दिया जरूरत पड़ने पर मेला
अब किसे अपना कहकर पुकारू
अब किससे दिल का बोझ उतारु
हर किसी ने बखूबी पहचाना मुझे
देख माटी का देह सबने बखाना मुझे
फिर बनाकर कठपुतली नचाया
मुझे मेरा ही होने से सबने बेशक बचाया
सभी के इर्द गिर्द रहकर झूठी मुस्कान बिखेरी
फिर खुद में ही सिमट कर आज दर्द को उकेरी
अरे! बताओ अब कौन बचा है 
मेरे भावनाओं को ख़ाक में करने वाला
मेरे बचे खुचे अस्तित्व दबोचने वाला
अरे!अगर अब कोई है भी तो अब खबरदार हो जाओ
अपने ही भावों को तोलो और असरदार हो जाओ
क्यो कि अब मैं खत्म हो चुकी हूँ पूरी तरह से
बस जी रही हूं बस कुछ वजह से
चंद अल्फ़ाज है मेरे खुद अपने लिए
जिसे बटोर लूँ आँचल से अधूरे सपनो के लिए।।

अंजली श्रीवास्तव

Aryan

सबने फायदा उठाया है,
कभी मेरे थरथराते अल्फ़ाज़ के,
कभी घबराते मेरे एहसास के,
कभी मेरे सच्चे ज़ज़्बात के,
कभी न सोयी हुई रात के,
कभी ज़िन्दगी और हालात के,
कभी न पूछे सवालात के,
सबने फायदा उठाया है । #nojoto #nojotohindi #lifequote #lifelesson #सबने #फ़ायदा #उठाया_है
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile