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SUNIL MADAAN
Pic : Designed by me 🙆🏻♂️😛🙈 Source Pic : Pinterest 🧸💓🙋🏻♂️ #anupamsongs #yqsunilmadaan #yqdidi #yqlove #yqbaba #yqshayari #ओढ़ #dilkijameen
Prakash Pandey
ओढ़ के कम्बल , ठंड से बैठा कम्बल के अंदर, चाय पी रहा,ये है दिसंबर। प्रकाश पाण्डे बेफिक्र सूफी #ओढ़ के कम्बल, ये है #दिसम्बर
Kh_Nazim
ज़िन्दगी जीना दुश्वार हुआ, यह सोच दिल परेशां हुआ कैसे ओढ़ लेते है, मतलबी चोला यह लोग की ऐतबार-ए-विश्वास का टूटना फिर लाज़मी हुआ। मतलबी...! #ज़िन्दगी जीना #दुश्वार हुआ, यह सोच #दिल #परेशां हुआ कैसे #ओढ़ लेते है, #मतलबी चोला यह लोग की #ऐतबार-ए-#विश्वास का #टूटना फिर #लाज़मी हुआ। #khnazim
डॉ. प्रदीप सुमनाक्षर
अपना कफ़न भी वो खुद ओढ़ ना सके जिन्होंने ओढ़ लिए थे ताज शहंशाहे आलम ©®प्रदीप सुमनाक्षर दिल्ली #NojotoQuote कफ़न
samandar Speaks
लोग आग मे जलते हैं अक्सर,जख्मो को ओढ़े रहते हैं हमलोग हैं ऐसे दीवाने,ख्वाबों से बातें करते हैं कभी अश्क पिये कभी दर्द पिये कभी ओढ़ कफन सो जाते हैं फिर आते जाते लोगों से हँसकर के बातें करते हैं भूखे दिन-भर हम चलते हैं, शब भर भूखे हम सोते हैं फिर ओढ़ लिहाफा अम्बर का धरती कि गोद मे सोते हैं हम फूलों के ब्यापारी हैं,काँटो से सौदे करते हैं फूलों के ख्वाब मे रहते हैं, काँटो पे सोया करते हैं आग मे .............................। राजीव नयनसी परमार Neha Kar Disha Patel Rahul sen Shivansh Mishra Anant
suramya shubham
मैं ओढ़ लुंगी माँ का आँचल मैं तुझे कोरो में छुपा लूँगी मैं हो जाऊँगी समर्पिता मैं बन जाऊँगी गृहणी ऐ मन किसी चाँद रात जो उग आएंगे केवड़े मैं सजा लुंगी लाल चूड़ी और ओढ़ लुंगी सफेद आँचल मगर एक शर्त एक सिक्का पुख्ता मैं स्वयं को नहीं दे सकती मैं कतरनों में नहीं बिक सकती आलते की सौंधी ख़ुशबू में मैं सियाही की इत्र नहीं खो सकती मैं पूर्ण हूँ ,मैं पूर्णविराम हूँ किसी बिंदी सी बिंदु नहीं सार्थक,सम्पन्न,सर्वस्वा मैं मैं ख़ुद में ख़ुदी के समान हूँ... sur... सच...
Eron (Neha Sharma)
इंतज़ार ◆◆◆◆ लम्हा लम्हा मोम की तरह टपक रही हूँ मैं। क्यों ज़िन्दगी की तरह सुलग रही हूँ मैं। डर है मौत का या खामोशी इख्तियार की। बेमतलब सोई आंखों से जग रही हूँ मैं। छोड़ो जाने दो कल पूछेंगे हाल तुम्हारा। चद्दर ओढ़ अब बेफिक्री से सो रही हूँ मैं। मत आंसुओं को दर से बाहर सरकने देना। अलविदा अब एक कौर से पिंघल रही हूँ मैं। अब कुछ यादों को दरकिनार कर रही हूँ मैं। इक उजले कपड़े का इंतज़ार कर रही हूँ मैं। क्यों तुम चले आये हो इस अंधेरे को लूटने क्या नही पता इन्ही अंधेरों में ढल रही हूँ मैं। खामोशी हर तरफ से ओढ़ ली है अब तो तुम करो तारीफ जमकर अब सुन रही हूँ मैं। साँसों के धागे से माला के मोती तक सुनो बिन अनसुने जज्बातों से उलझ रही हूँ मैं। तुम्हे हालात बस ऊपर से दिखते होंगे है ना न जाने कितनी मौतें आज मर रही हूँ मैं। इस मुखोटे की झूठी शान से देखो सुनो जरा आज एक डर से मुक्त होकर निकल रही हूँ मैं। - नेहा शर्मा - नेहा शर्मा मौत का डर
Sanjeev_mrigtrishna Kashyap
मृगतृष्णा nazm #NojotoQuote जागती निग़ाहों में ख़्वाब मचल जाते होंगे अक्सर रोटी के संग हाथ भी जल जाते होंगे बेवज़ह के मेरे ख़्याल रुसवा कर जाते होंगे दुपट्टा भूलकर, मुझे ओढ़ निकल जाते होंगे दरीचे चीख कर मुझे, आवाज़ लगाते होंगे जब गली में मेरा नामोनिशां नही पाते होंगे
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