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Sangeeta Verma
वही धरती, वही अकाश, वही सूरज का प्रकाश, वही चांद,वही तारे, वही रात और दिन के बदलते नजारे, बदलता मौसम बदलती ऋतुए बदला दो हजार इक्कीस नहीं मन में कोई बीते वर्ष के प्रति टीस कुछ पाया है,कुछ खोया है,कुछ अनुभवों को संजोया है, इस बीते साल में सभी ने, कुछ अपनों को भी खोया है, रोग विकारों से मुक्ति हो,हो खूबसूरत एक उजाला, दो हजार बाईस लेकर आए,एक अमृत का प्याला, ©Sangeeta Verma #HappyNewYear #2021welcome #HappyNewYear
Kavita jayesh Panot
बीत गया साल, बीत गई बातें और रह गई कुछ यादे, तुम्हें कोरे कागज सा स्वीकार लिया है, उम्मीदों की कलम से अब हर सुबह में , खुशियों के रंग भरने का इरादा कर लिया है। ©Kavita jayesh Panot #2021welcome #2021Wishes
palak shah
स्वागत करते है नई उममीदो संग जो खोया है वो फिर से पायेगे जो पाया है कभी जाने नहीं देंगे जो गलतियां की है उसे सीख लेंगे जो सीखा है उसे नया आसमान को छू लेंगे आज एक और मौका मिला है जिंदगी संवारने का पता नहीं की अब तू कोन सा रंग दिखायेगी पर हौसला हर वक्त बुलंद ही रहेगा की हर रंग से नयी पहचान होगी हमारी नहीं चाहते तुमसे वादा की कभी तू रूलाएगी नहीं कयुकी कसम खाई है की हमारी मुस्कुराहट को आसुओ के हवाले नहीं करेंगे ©palak shah #2021welcome #letterto2021 #pisitivepower #powerful #newhope #nojotohindi #nojotowriters
Pramod Kumar
आया सन इक्कीस रे मन तड़फाकर ,हमे सताकर ,गया बीत सन बीस रे अब है मन में चाह ,नया उत्साह ,लाये इक्कीस रे कोरोना ने कहर मचाया ,कितनो के ही प्राण हरे नौ महिने से अधिक बिताये ,घर में घुस कर ,डरे डरे दशहत मारे ,हम बेचारे ,सब इतने मजबूर रहे बना दूरियां ,अपनों से ही ,उनसे दो गज ,दूर रहे मुंह पर पट्टी बंधी ,कभी ना हटी ,रही मन खीस रे अब है मन में चाह ,नया उत्साह ,लाये इक्कीस रे हुआ प्रकृती का कोप ,बढ़ गए रोग आपदायें आई आये कहीं भूकंप ,कहीं तूफ़ान ,बाढ़ भी दुखदायी सीमाओं पर सभी पडोसी देश ,मचा आतंक रहे बंद रहे बाज़ार ,लोग कुछ ,बेकारी से तंग रहे खस्ता हुई व्यवस्था ,मन में ,सबके उठती टीस रे सबके मन में चाह,नया उत्साह, लाये इक्कीस रे ©Pramod Kumar Happy New year #2021welcome Sudha Tripathi PRATIK BHALA (pratik writes) Preeti GAUTAM SHAKUNTALA GOSAI Garima Grover
Kaushal Almora
कब फसीलों से वास्ता हुआ पता ना चला दो हज़ार बीस कब हवा हुआ पता ना चला कि चल रही थी ज़िन्दगी रफ़्तार से अपनी कब हकीमों का दबदबा हुआ पता ना चला मिलना-जुलना ज़रूरी रहा नहीं अब किसी से किस कदर ये फासला हुआ पता ना चला ना खुशबू ना ज़ायका था कुछ साँसे तेज़ थी था मर्ज़,वहम या नजला हुआ पता ना चला इक्कीस में लिखेंगे नयी इबारतें ये उम्मीद है बीस तो कब आया और गया पता ना चला ©Kaushal Almora #bye2020 #kaushalalmora #Life #Love #2021welcome #2021
Ayush S. (Sanchay)
गुनगुनी धूप और ठिठुरी रातें जाड़ों की... गुजरे लम्हों पर झीना-झीना सा इक पर्दा गिर रहा है.. तारीखों के जीने से फिर एक दिसम्बर गुजर रहा है. उम्र की डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है.... लो इक्कीसवीं सदी को इक्कीसवां साल लग रहा है.. Wish you and your family a very happy new year ©Ayush S. (MERA DARD) #meradard #Nojoto #lockdown #Love #2021 #2021welcome
Azim Noor
कविता नये साल में नया क्या होगा| ©Azim Noor नये साल में नया क्या होगा| कल ये हर शख्स सोच रहा होगा| क्या ये ही ज़मी होगी ये ही आसमां होगा| गर सब ही पहले जैसा होगा तो नया साल में क्या नया होगा| अज़ी नया तो कुछ यूँ होता,कि सूखे पेड़ पर हरे पत्ते नज़र आते,
Disha Upreti
वैसे तो आज तक बहुत से साल आये और गए पर साल 2020 कुछ ज्यादा ही यादगार रहेगा। इस साल किसी के अपने दूर गये तो किसी के सपने चूर हो गए।। कोई 2 वक़्त का निवाला ना खा सका तो कोई गरीबों को लूटकर मालामाल हो गया। किसी ने भूख से दम तोड़ दिया तो किसी ने अपनों का दामन छोड़ दिया। कोई डर की वजह से घर से नही निकला तो कोई घर जाने के लिए हजारों किलोमीटर पैदल चला। दुख था तो बस इस बात का कि मानवता कल भी नही थी मानवता आज भी नही है। इंसान ने इंसान को ही मार डाला ऊपर वाले ने भी गजब का कहर ढाया।। दुआ करूंगी उस खुदा से कि 2021 में कोई कपड़ा, रोटी और मकान को ना तरसे सब पर खुदा की रहमत बरसे। ©Disha Upreti #2021welcome