Find the Best स्मरण Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about स्मरण में प्रत्यय क्या है, स्मरण में प्रत्यय है, स्मरण से मन लाइए, स्मरण में प्रत्यय, स्मरण के गाना,
Krishnpal Singh
माता पिता से से ज्यादा कोई साथ देने वाला नहीं है इस दुनिया में। #स्मरण रखना # ©Krishnpal Singh #intezaar aaj ka suvcar
गुस्ताख़शब्द
दवात पड़ी सिरहाने, कागज़ दिखे है कोरा। कलम है दहलीज़ पे, लफ्ज़ों ने रिश्ता छोड़ा।। पंक्ति की संवेदना, मर्म लेती है मोरा। उकेर भी दूं पन्नों पर, स्मरण आए गर थोड़ा।। ©गुस्ताख़शब्द लेखन की बयार में, सोच ही आधार हैं। #Likho #मर्म #Lafz #गुस्ताख़शब्द #korakaghaz #लेखन #कलम #स्मरण #Good
Amit Singhal "Aseemit"
सदैव स्मरण रहे, बहुत ही आवश्यक यह सीख, ज्ञान व शिक्षा का दान, जग में है अमूल्य भीख। ना तो कभी इनको लेते हुए तुम होना लज्जित, ना ही कभी इनको देते हुए तुम होना गर्वित। ©Amit Singhal "Aseemit" #सदैव #स्मरण #रहे
Mou$humi mukherjee
मैंने तो पूरा 🍂सावन आंखों के जल से 🌺महादेव🍃 को स्मरण🙏 किया क्या मेरी भी सुनेंगे महादेव 🍁 ©शब्द मेरे #महादेव #स्मरण #महादेव #शरण #Hill
Jay Patel
https://youtube.com/channel/UCUu4i1yz7kQA9rNFmLIop2A Like And subscribe my chenal please #जो इन्सान #खुद के लिए #जीता है...🙆 #उसका एक दिन " #मरण" होता है..........😖 #परन्तु....🥀🥰 #जो इन्सान #दूसरों के लिए #जीता है..........🥀👌 #उसका हमेशा " #स्मरण" होता है....🥀💞 ©Jay Patel Motivation #Books And storiys
Ravi kanojia
काश कि मुझे हो मेरी मृत्यु का #पूर्वाभास और मैं तुम्हारे #ह्रदय पर अपनी उंगलियों से उकेर दूं चंद रेखाएं जो #साक्ष्य होगी हम दोनों के #प्रेम की.. और हर #क्षण #स्मरण कराता रहेगा मेरा #स्पर्श तुम्हारे साथ होने का.. इस संसार मे अगर कुछ #सत्य है तो वो है मेरे हृदय में तुम्हारे लिए #असीम_अथाह_प्रेम...❤️❤️ ©Ravi kanojia #DearKanha
शिव झा
8 अगस्त/राज्याभिषेक-दिवस *प्रतापी राजा कृष्णदेव राय* एक के बाद एक लगातार हमले कर विदेशी मुस्लिमों ने भारत के उत्तर में अपनी जड़ंे जमा ली थीं। अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक काफूर को एक बड़ी सेना देकर दक्षिण भारत जीतने के लिए भेजा। 1306 से 1315 ई. तक इसने दक्षिण में भारी विनाश किया। ऐसी विकट परिस्थिति में हरिहर और बुक्का राय नामक दो वीर भाइयों ने 1336 में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की। इन दोनों को बलात् मुसलमान बना लिया गया था; पर माधवाचार्य ने इन्हें वापस हिन्दू धर्म में लाकर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना करायी। लगातार युद्धरत रहने के बाद भी यह राज्य विश्व के सर्वाधिक धनी और शक्तिशाली राज्यों में गिना जाता था। इस राज्य के सबसे प्रतापी राजा हुए कृष्णदेव राय। उनका राज्याभिषेक 8 अगस्त, 1509 को हुआ था। महाराजा कृष्णदेव राय हिन्दू परम्परा का पोषण करने वाले लोकप्रिय सम्राट थे। उन्होंने अपने राज्य में हिन्दू एकता को बढ़ावा दिया। वे स्वयं वैष्णव पन्थ को मानते थे; पर उनके राज्य में सब पन्थों के विद्वानों का आदर होता था। सबको अपने मत के अनुसार पूजा करने की छूट थी। उनके काल में भ्रमण करने आये विदेशी यात्रियों ने अपने वृत्तान्तों में विजयनगर साम्राज्य की भरपूर प्रशंसा की है। इनमें पुर्तगाली यात्री डोमिंगेज पेइज प्रमुख है। महाराजा कृष्णदेव राय ने अपने राज्य में आन्तरिक सुधारों को बढ़ावा दिया। शासन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाकर तथा राजस्व व्यवस्था में सुधार कर उन्होंने राज्य को आर्थिक दृष्टि से सबल और समर्थ बनाया। विदेशी और विधर्मी हमलावरों का संकट राज्य पर सदा बना रहता था, अतः उन्होंने एक विशाल और तीव्रगामी सेना का निर्माण किया। इसमें सात लाख पैदल, 22,000 घुड़सवार और 651 हाथी थे। महाराजा कृष्णदेव राय को अपने शासनकाल में सबसे पहले बहमनी सुल्तान महमूद शाह के आक्रमण का सामना करना पड़ा। महमूद शाह ने इस युद्ध को ‘जेहाद’ कह कर सैनिकों में मजहबी उन्माद भर दिया; पर कृष्णदेव राय ने ऐसा भीषण हमला किया कि महमूद शाह और उसकी सेना सिर पर पाँव रखकर भागी। इसके बाद उन्होंने कृष्णा और तुंगभद्रा नदी के मध्य भाग पर अधिकार कर लिया। महाराजा की एक विशेषता यह थी कि उन्होंने अपने जीवन में लड़े गये हर युद्ध में विजय प्राप्त की। महमूद शाह की ओर से निश्चिन्त होकर राजा कृष्णदेव राय ने उड़ीसा राज्य को अपने प्रभाव क्षेत्र में लिया और वहाँ के शासक को अपना मित्र बना लिया। 1520 में उन्होंने बीजापुर पर आक्रमण कर सुल्तान यूसुफ आदिलशाह को बुरी तरह पराजित किया। उन्होंने गुलबर्गा के मजबूत किले को भी ध्वस्त कर आदिलशाह की कमर तोड़ दी। इन विजयों से सम्पूर्ण दक्षिण भारत में कृष्णदेव राय और हिन्दू धर्म के शौर्य की धाक जम गयी। महाराजा के राज्य की सीमाएँ पूर्व में विशाखापट्टनम, पश्चिम में कोंकण और दक्षिण में भारतीय प्रायद्वीप के अन्तिम छोर तक पहुँच गयी थीं। हिन्द महासागर में स्थित कुछ द्वीप भी उनका आधिपत्य स्वीकार करते थे। राजा द्वारा लिखित ‘आमुक्त माल्यदा’ नामक तेलुगू ग्रन्थ प्रसिद्ध है। राज्य में सर्वत्र शान्ति एवं सुव्यवस्था के कारण व्यापार और कलाओं का वहाँ खूब विकास हुआ। उन्होंने विजयनगर में भव्य राम मन्दिर तथा हजार मन्दिर (हजार खम्भों वाले मन्दिर) का निर्माण कराया। ऐसे वीर एवं न्यायप्रिय शासक को हम प्रतिदिन एकात्मता स्तोत्र में श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं। #जीवनी #राजा #अभिषेक #राज्यभिषेक #इतिहास #साहित्य #भारत #जीवन #राज #स्मरण
Anil Siwach