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Asif Hindustani Official
कुरान ए पाक का जो हुक्म है उस पर चलेंगे हम, नबी की सुन्नतो से यार नागुफ्ता नहीं होगा, भले कानून चाहे लाख हो तेरे मगर सुन ले, शरीअत के किसी मसले पर समझौता नहीं होगा ! ©Asif Hindustani भले कानून चाहे लाख हो तेरे मगर सुन ले शरीयत के किसी मसले पर समझौता नहीं होगा ! #DiyaSalaai #AsifHindustani #nabiﷺ #MithilaKaShayar #Nojoto
मुरली कुमार
लाय-मुढ़ी, तिल के लड्डू और धूप की हल्की हल्की गर्मी, सरसों औऱ लहसुन के तेल दादी की गोदी औऱ उसके हाथों की नरमी।। सर्दी को बस मौसम कहना अनुचित होगा। आज जब अपनी बचपन की सर्दी याद करता हूँ तो नाक लाल हो जाती है मेरी। मेरी माँ कहती थी जब में बच्चा था दादी अ
Murli Bhagat
लाय-मुढ़ी, तिल के लड्डू और धूप की हल्की हल्की गर्मी, सरसों औऱ लहसुन के तेल दादी की गोदी औऱ उसके हाथों की नरमी।। सर्दी को बस मौसम कहना अनुचित होगा। आज जब अपनी बचपन की सर्दी याद करता हूँ तो नाक लाल हो जाती है मेरी। मेरी माँ कहती थी जब में बच्चा था दादी अ
साहस
इस्लाम की आलोचना कैसे करे! 👶👤READ IN BELOW CAPTION👤👶 👇✍️ 🙏 👉 👇 👉 👇 👉 👇 👇 👇 👇 👇 👇 👇 👇👇👇👇 👇 👉 👉 👇 👇 👉 👉👇👉👇 #yourquotebaba#yourquotedidi#yourquotefamily#PC ◆ इस्लाम की आलोचना कैसे करें? --------------------------------------------- सौ साल पहले, 1
Sachin Ratnaparkhe
ग़ज़ल अगर यहीं के हो ,तो इतना "डर" कैसे, मगर चोरी से घुसे हो तो ये तुम्हारा "घर" कैसे?? अगर तुम "अमनपसंद" हो तो इतनी "गदर" कैसे? जिसे खुद "खाक" कर रहे हो,वो तुम्हारा "शहर" कैसे?? कल तक सिर्फ कोहरा था,मेरे शहर की फ़िज़ा में, आज़ नफरत का धुआं है तो सुहानी "सहर" कैसे? इज़हार ए नाराज़ी करो आईन(constitution)की ज़द में, मगर गली कूंचों में, इतनी "मज़हबी लहर" कैसे? सिर्फ लहज़ा सख्त होता, तो हम चुप भी रह लेते, मगर तुम्हारे लफ़्ज़ों और नारों में, "जिहादी ज़हर" कैसे? सियासत से ख़िलाफ़त करो, हमे कोई गिला नही है, रियासत (Nation)से दग़ा होगी, तो हम करें "सबर" कैसे? अगर यहीँ के हो तो इतना "डर" कैसे? मगर चोरी से घुसे हो, तो ये तुम्हारा "घर" कैसे?? 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 :- अज्ञात यह ग़ज़ल मेरे द्वारा नहीं रची गई है मगर जिसने भी रची है उसका साभार। यह ग़ज़ल किसी एक धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है बल्कि हर उस व्यक्ति पर कुठ
अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'
Sandeep Lucky Guru
उनसे मत डरिये जो बहस करते हैं बल्कि उनसे डरिये जो छल करते हैं। ©Sandeep L Guru #education #शरीयत #रहस्य
Naresh Chandra
जयहिंद दोस्तों अनुशीर्षक मे जरूर पढिये 🙏🏻धन्यवाद🙏🏻 ©Naresh Chandra *ठंडे दिमाग से पढ़ें और विषय की गंभीरता को समझें।* यदि कोई *मुस्लिम* व्यक्ति सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो जाता है और उसकी मृत्यु के बाद श
Farid Alam
Jaldheer Verma