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Shivkumar
White शाम होते होते ही मुझे इस पूरे दिन से नफ़रत सी होने लगती है मैं बुहार कर फेंक देना चाहता हूँ ये दिन को इससे पहले कि रात हो और वो और ज़्यादा बोझिल हो , अवसाद से भरी होती जाए जैसे कोई चादर सा झटकता हो उसी तरह ये दिन को भी झटक कर वो नयी सुबह को ले आना चाहता हूँ डूबते सूरज के साथ साथ ही मैं भी न जाने क्यू डूबने लगता हूँ ©Shivkumar #SunSet #सूर्यास्त #sunsetnature #nojotohindi #Nojoto #शाम होते होते ही मुझे इस पूरे दिन से #नफ़रत सी होने लगती है मैं बुहार कर फे
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम, आराधना, चिंतन-ध्यान, आदि का पालन होता रहता है, वही धर्म है, वो ही पुण्य आत्मा है। भगवान श्री कृष्ण।। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्यायवाची नाम है।। ©N S Yadav GoldMine #SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार । सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।। प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीवन फलता । लेकिन पग-पग आज , हमारा जीवन जलता ।। त्याग छोड़ व्यहवार , समय कहता है लाला । बुजदिल समझें लोग , देखकर मुँह पर ताला ।। १२/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार । सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।। प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीव
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान श्री कृष्ण जी को, चित्र में नही, चिंतन में लाना चाहिए, हमें अपनी वाणी, अपना चरित्र, अपना यह अनमोल उपहार, जो भगवान की कृपा से मिला यह जीवन, संसार में रहते हुए, भगवान का किसी भी छन्न, विस्मरण न हो, हमारा जीवन मंगलमय ही है, तथा अन्य और कुछ भी करने के लिए शेष नही रहता।। जय श्री राधे कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #lakeview {Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान श्री कृष्ण जी को, चित्र में नही, चिंतन में लाना चाहिए, हमें अपनी वाणी, अपना चरित्र, अपना यह अनम
Devesh Dixit
हँसी (दोहे) हँसी खिले मुख पर तभी, जीवन हो आसान कहते हैं सज्जन सभी, बात यही तू मान।। आनंदित माहौल हो, मिलती खुशी अपार। ईश्वर ने हमको दिया, ये अद्भुत उपहार।। चिंता हो मन में अगर, हँसी न आती मान। मुख पर संकट है दिखे, बेचैनी भी जान।। दुविधा चिंतन की मिटे, जीवन तब साकार। हँसी पुनः फिर आ सके, हो तब बेड़ापार।। हँसी हँसी में कह रहे, अपने मन की बात। फूलों की बरसात या, विष रूपी आघात।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #हँसी #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi हँसी (दोहे) हँसी खिले मुख पर तभी, जीवन हो आसान कहते हैं सज्जन सभी, बात यही तू मान।। आनंदित म
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो , सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान या भक्त को नही गाना चाहिए, बल्कि इनसे ऊपर इनका चरित्र है, चरित्र का चिंतन मनन करके देखो, आपकी प्रीति इनकी और अधिक बढ़ जाएगी।। जय श्री कृष्ण।। ©N S Yadav GoldMine #mountainsnearme {Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान या भक्त को नही गाना चाहिए, बल्कि इनसे ऊपर इनका चरित्र है, चरित्र का चिंतन मनन करके द
Shankar Kamble
मीच माझ्या वांझ मनाशी एक करार केला आहे श्वासापुरते जगणे केवळ लयास माणूस गेला आहे... नकोच उसन्या सुखदुःखाची रंगीत झालर चमचमणारी श्रावण सरता वैशाखाची दाह,होरपळ धूसमुसणारी... रोज पाहतो त्याच राऊळी तीच प्रभावळ तो वनमाळी लोभ, वासना दंभपणाची भणंग घेऊन फिरतो झोळी... कांगोऱ्यांनी सजले –नटले खुले अंगण निळ्या नभाचे बिंब उमटता रक्त वर्णी ते कोश लोपले गर्द ढगाचे... उगाच वाटे डोळ्यामधला पाझर आता आटून गेला किती पेरले कोंब तरीही तळ मनाचा सुकून गेला... एकच जीवन एकच जगणे एक धून पण कैक तराने रंगमंच हा युगा युगांचा पडदा पडता येणे– जाणे... ©Shankar Kamble #माणूस #माणूसम्हणूनजगताना #जीवन #लढा #जगणं #अस्तित्व #प्रेम #चिंतन
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चित्र चिंतन :- कुण्डलिया तेरा मेरा ये मिलन, है अब एक विवाद । क्या समझेगा जग हमें , रही न मीरा याद ।। रही न मीरा याद , भजे सब राधे-राधे । यही प्रेम है पूर्ण , सुना जो भी है आधे ।। थाम प्रखर अब हाथ , करें सरयू का फेरा । क्या जाने फिर बाद , शुरू हो चर्चा तेरा ।। ०९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र चिंतन :- कुण्डलिया तेरा मेरा ये मिलन, है अब एक विवाद । क्या समझेगा जग हमें , रही न मीरा याद ।। रही न मीरा याद , भज