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Vedantika
ज़िंदगी में सुख के साथ दुख होता ही हैं हँसने के बाद हर कोई एक बार रोता ही हैं मिलती नहीं क़भी जिन रास्तों पर मंज़िल पाकर हर ख़ुशी एक दिन कुछ खोता ही हैं जाने-अनजाने मिलते हैं सफ़र में सभी को कोई दोस्त है और कोई दुश्मन हैं तुम्हारा मिट जाती हैं दूरियाँ पास आते हुए फिर नदियों को जैसे मिल जाए एक किनारा रात के बाद जब आता हैं दिन जीवन मे तो आती हैं ख़ुशियाँ लेकर नया रूप बीता हुआ कल हो जाता हैं धुंधला आने वाले कल की एक नई उम्मीद में कुछ अधूरी कुछ पूरी सी ख्वाहिश कुछ जिद्दी सी हैं मेरी फरमाइश फिर भी ज़िंदगी चलती रहती हैं हर सुख दुख चुपचाप सहती हैं विलोम शब्द- रात-दिन सुख-दुख खोना-पाना बीता हुआ कल-आने वाला कल हँसना-रोना
Mayank Sharma
एक वॉल्वो बस की स्तिथि बाहर से जितनी सौंदर्य से परिपूर्ण लगती है अंदर से जरूरी नहीं हर बार वैसी ही हो। खास कर के जब आप गोड्डा के रहने वाले हो। क्यूँकि यहां के लोग और यहां की बसें कब पलट जाएँ कोई गैरंटी नहीं है भाई। (पूरा लेख अनुशीर्षक में) हालाँकि किसी महिला द्वारा पोस्ट नहीं किया गया है फिर भी उम्मीद करते हैं लोग पूरा पढ़ेंगे 🙏😁 वॉल्वो बस की यात्रा एक वॉल्वो बस की स्तिथि ब
AK__Alfaaz..
कल रात में, उससे पहले की अमावस को, दो रातों पहले, आये चंदा की चाँदनी में, और..हफ्ते भर पूर्व, आये रात के तीसरे पहर में, सपनों का अर्थ ढूँढ़ती वो, व..मस्तिष्क के प्रश्नपत्र में, हर बार आते, प्रश्न बनकर, उसके हृदय की उत्तर पुस्तिका मे, उत्तर ढूँढ़ती श्वांसें उसकी, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #दुर्गा_का_देश कल रात में, उससे पहले की अमावस को, दो रातों पहले, आये चंदा की चाँदनी में,
AK__Alfaaz..
सोलह सोमवार की, इक साँझ को, दिल की, दहलीज पर अपनी, बैठी वो, गिन रही थी, अँगुलियों के पोरों पर, अपने सत्रहवें सावन मे, बरसी बारिश की उन बूँदों को, जो मन के अहाते में, सोते समय, गिरी थीं, इच्छाओं की टूटी खपरैल से, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अपराजिता सोलह सोमवार की, इक साँझ को, दिल की, दहलीज पर अपनी,
AK__Alfaaz..
आग्रह की वाणी, अवसादित हो गयी, जब विखंडन रचित किया गया, उसके हृदय का, और..उसके जीवन के, प्रत्यय की आत्मियता, उपसर्ग की पगड़ियों मे लिपट, मर्यादा के बंधेज मे, बँधकर रह गयी, कि..जैसे, आँखों से बहता नमक, हृदय के घावों पर उसके, अपना वियोग मलता है,— % & #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अग्निशिखा आग्रह की वाणी, अवसादित हो गयी, जब विखंडन रचित किया गया, उसके हृदय का,
AK__Alfaaz..
नदी, जिसने बहना छोड़, रेगिस्तान होना स्वीकार किया, पीहर पर्वत की, गोद से बिछड़, सागर के बड़े घराने, ब्याही गयी वो, भाषाओं मे, बहने का अनुभव नही था, पास उसके, उसकी, भावनाओं के पर्यायवाची, विलोम हो गए, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #डेढ़_आखर_स्त्री नदी, जिसने बहना छोड़, रेगिस्तान होना स्वीकार किया, पीहर पर्वत की,
AB
" आध्या " : - निश्चित ही वह आधारबेला हो तुम जिसकी जड़े जितनी भीतर तक ज़मीन के हैं,. उतना ही फैलाव उनका ज़मीन पर है और उतना ही ज़्यादा उनका प्रबल शिखर है,. प्रिय आध्या रेणु, सुगंधित किसी पुष्प की बेल लिपटी हो जैसे किसी दरखत से,. मुआईना कर रही हों एक एक शाख से गुज़र कर पत्ते - पत्ते डाली - डाली क
Sunita D Prasad
मेरे जीवन में शब्द.. अनेक रूपों में मेरे समक्ष आए..। वे सहज से असहज भी हुए.. कोमल से कठोर भी । एकार्थ में अनेकार्थ लिए.... पर्यायवाची से विलोम हुए। पर उनकी सार्थकता तुम्हारे स्पर्श के उपरांत ही संभव हुई। वे सुबह से महकती रात के हुए.. और रात से खुले आकाश के पक्षी । आँसू से मुस्कान हुए.. और मुस्कान से नमी। तुमसे पहले.. मेरे शब्द, केवल शब्द हुआ करते थे.. और भाव केवल भाव। पर तुमसे जुड़ने के पश्चात ही.. मेरे शब्द हुए.. एक ..पूर्ण कविता .।। #स्पर्श- (कविता..) मेरे जीवन में शब्द.. अनेक रूपों में मेरे समक्ष आए..। वे सहज से असहज भी हुए..
Sunita D Prasad
जीवन का विलोम भी मृत्यु जीवन का साम्य भी मृत्यु जहाँ जीवन है अनिश्चितता का आह्वान वहीं मृत्यु हैअनिश्चितता का विसर्जन जहाँ जीवन है सुंदरता से परिपूर्ण वहीं मृत्यु है भयावहता का परिसूचक जहाँ जीवन है कोमल-कल्पनाओं का आकाश वहीं मृत्यु है कठोर सत्य का धरातल जहाँ जीवन है मन से मन का बंधन वहीं मृत्यु है हर बंधन से मुक्ति का पथ जहाँ जीवन है महत्वकांक्षाओं की उड़ान वहीं मृत्यु है उन्हीं महत्वकांक्षाओं का मृत्यु-कुंड जहाँ जीवन है शुभ का संकेत वहीं मृत्यु है अशुभ का परिचायक पर फिर भी देखो... दोनों ही हैं प्रकृति की अद्भुत देन दोनों ही हैं जीवन चक्र के दो पहिए दोनों ही हैं दुनिया में आने जाने के मार्ग दोनों ही है गतिशील-अविरल क्योंकि दोनों ही हैं विलोम एक दूजे के और दोनों ही हैं साम्य भी एक दूजे के..। -सुनीता डी प्रसाद 💐 #yqdidi #yqpowrim #yqpowrimo # जीवन-मृत्यु.... जीवन का विलोम भी मृत्यु जीवन का साम्य भी मृत्यु जहाँ जीवन है अनिश्चितता का आह्वान वहीं