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Rakesh frnds4ever
रात में सोने के समय ख्वाबों, यादों की तितलियां मेरे सिरहाने आ बैठती हैं पंख फड़फड़ाती हैं, उड़ना चाहती हैं गीली ,मुलायम और सुलगते हुए अहसास वाली ये तितलियां जाने क्यों आंखे गीली और मन को भिगो जाती हैं,,, कभी जो छूने की कोशिश करो , तो पंख फड़फड़ा, झटपटाती हुई उड़ जाती हैं, वक्त के मानिंद हाथ नहीं आने वाली ये तितलियां यादें पीछे छोड़ते हुए खुद याद बन जाती हैं,, हर रात नींद की आगोस में, जीवन के टूटते बिखरते सपनों, खब्बों, यादों में विचरने वाली इन मायूस तितलियों को अपने सिरहाने खोजता रहता हूं मैं,,,,.... ©Rakesh frnds4ever #Titliyaan रात में सोने के समय ख्वाबों, #यादों की #तितलियां मेरे सिरहाने आ बैठती हैं #पंख फड़फड़ाती हैं, उड़ना चाहती हैं गीली ,मुलायम और
Belagaam Sayar
याद है तुम्हे_ _ _ # eroticalovepoetry याद है तुम्हे एक रात_ न थे तुम होश में, न थे हम होश में एक दूसरे के सीने से सिमटकर, बाहो से लिपटकर सो गये थे हम रात क
Virendra Singh Diwakar
सोया नही हूं कई दिनों से सोना चाहता हूं सुला दे तू मुझे गहरी नीद में फिर आंखे खुले न इस जहां में इस कदर तेरा होना चाहता हूं इक छोटी सी कब्र में रहना चाहता हूं अब तेरे आगोस में सोना चाहता हूं टूट गया हूं खुद से अब मैं और नही टूटना चाहता हूं ये मौत अब सुला ले तेरा होना चाहता हूं VS.Diwakar ©Virendra Singh Diwakar #brockenheart सोया नही हूं कई दिनों से सोना चाहता हूं सुला दे तू मुझे गहरी नीद में फिर आंखे खुले न इस जहां में इस कदर तेरा होना चाहता हूं
Bambhu Kumar (बम्भू)
एक हक़ीक़त है तुम्हें बताऊँ तो, कभी भोज पर तुम्हें बुलाऊँ तो, क्यूँ संकोच किया करते हो, तेरे आगोस में आ जाऊँ तो... -बम्भू एक हक़ीक़त है तुम्हें बताऊँ तो, कभी भोज पर तुम्हें बुलाऊँ तो, क्यूँ संकोच किया करते हो, तेरे आगोस मे आ जाऊँ तो... -बम्भू #girl
Bambhu Kumar (बम्भू)
shaimee oza lafz
ए बाबु तुम आवो न मेरे करीब मुझे तुमे जी भरके देखना है..... बाबु तुम थोडा सा हँस भी दोना मुझे तुमारे साथ खेलना है मुझे तुम्हारे मैं मुझे छोडा बच्चा नजर आता है..... तुम बोलो ना मुझे सिर्फ तुमको सुनना है, तुम बोलते हो तो उसमे मुझे बच्चें जेसी मासुमियत दिखाई पडती है .... ए बाबु तुम बेठो न मेरे पास मुझे सौना है तुम्हारी गोदी मैं क्योकि मुझे तुम्हारे हाथ जब सहलता है तो निंद फटाक से आ जाती है...... मुझे प्यार का जाम पिलाओ ने तुम्हारे ए होठ तरस रहे है,हमारी प्यार की प्यास बुझा दो न मुझे प्यार या जाम पीना है...... हम आए है तुम्हारी शरण मैं हमको निराश न करो न एसा तो भगवान भी नहीं तरसाता तुम छोड दो न ए बच्चों जैसी जीद हम कब से तुम्हारे लिए तरस रहे है.... ... हम ने बाबु प्यार तो किया है, अभी तो ए पल जीले जरा बाद का हम दोने मिलकर निपटा लेगें बाबु हमको अपने जीवन का हिस्सा बनावो न ,हमको अपने पीछे तुम्हारा नाम लगा ने दोन हमारे संग प्यार की गठ मजबूत बंधो न कोई छोड न दे,हम कबसे तुमसे इश्क लडाने के लिए उतावले हो रहे है........ हमको अपनी आगोस मैं समाओ न कब से ए दिल तुम्हारे करीब आना चाहता है,होठ भी तरस रहे है तुम्हारे होठ को मिलने के लिए थोडा करीब आओ न बाबु तुमे जरा हम जी तो ले इस पल .......... शैमी ओझा..... #NojotoQuote rommentic sayari ए बाबु तुम आवो न मेरे करीब मुझे तुमे जी भरके देखना है..... बाबु तुम थोडा सा हँस भी दोना मुझे तुमारे साथ खेलना है मुझे तुम्
shaimee oza lafz
ना सवाल हो, न जवाब, न बात हो, न जसबात, न ईशारे, चुपी से ही न होश हो ना ख्याल तुमने तो सब बीना बोले सब कुछ कह दीया, मेरे बातो मैं तो आवो,मेरे आंखों मैं उतर जावो न , मेरे ख्यालो मैं आवो न , जिस्म को पाने के लिए पागल न हो जाओ, तुम ने तो सब बीना बोले सब कुछ कह दीया........ मेरी आंखो मैं तो एक रात तो गुजारो, फिर कभी एसा दिन आये न आये, मेरी रुह मे समा जाओ न, तुम ने तो बीना बोले सब कुछ कह दीया...... "प्यार के सफर"मैं मेरे साथ मुसाफ़िर बनके चलो न, मेरे "प्यार के सफर " को जरा खुशनुमा बनावो ना, तुम ने तो बीना बोले सब कुछ कह दीया....... मेरे इश्क की इन्तहा है, तुजमे गुजरे मेरे हर पल, तेरी याद बया कर रही है, तुम ने तो बीना बोले सब कुछ कह दीया..... वो "प्यार का सफर "ही क्या जो प्यार के रास्तें में तरारे नहो न सवाल हो न जवाब, वो बातें ही कयां जीसमे, तुमने तो बीना बोले सब कुछ कहा दिया हो..,..... होने दे बेपर्दा मोहब्बत, तेरे मेरे अलावा कोई न हो, सुहाना मौसम हो जीसमे मे और तुम एक दुसरे को आगोस मे लेके एक दुसरे की धड़कनो को सुनते रहै, खुशनुमा मौसम हो, हम दोनो की सांसे बोलती हो, तुमने बीना बोले सब कुछ कह दीया हो........ #NojotoQuote pyar bhari bate ना सवाल हो, न जवाब, न बात हो, न जसबात, न ईशारे, चुपी से ही न होश हो ना ख्याल तुमने तो सब बीना बोले सब कुछ कह दीया, मेर
✍ अमितेश निषाद
जिसे भर कर बांहों में हम लिपट जाया करते थे उसके हीं आगोस में हम सिमट जाया करते थे बड़ी मसरूफ रहती है आज कल अब गैर की बांहों में जिसे ता-उम्र रखना ख्वाइस था अपनी पनाहों में जिसे भर कर बांहों में हम लिपट जाया करते थे उसके हीं आगोस में हम सिमट जाया करते थे बड़ी मसरूफ रहती है आज कल अब गैर की बांहों में जिसे ता-उम्र