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dev mishra
White जानेमन इश्क की उम्मीद ना रखो हमसे हम मौत से प्यार रखते हैं तुम कलयूगी परी हो अपना ख्याल रखा करो हम 💪हनुमान💪 जी के भक्त हैं दिल मे प्रभु श्री राम🚩 को रखते हैं ©dev mishra #Free जानेमन इश्क की उ abhi mishra Diwakar Mishra
Rameshkumar Mehra Mehra
जानेमन........... मुझे मत सिखओ ..... मोहब्बत की बाते....! जिस किताबो से.!! तुमने मोहब्बत.. सीखी है.. बो किताबे.. हमनें लिखी है.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # जानेमन...... मुझे मत सिखाओ, मोहब्बत की बाते, जिस किताबो से तुमने , मोहब्बत सीखी है, बो किताबे हमने लिखी है......
healthy tips
Rameshkumar Mehra Mehra
सुनो जान......... पता नही कयो इंतजार रहता है...! मुझे हर पल.....!! तुम्हारा.... शायद...... कुछ तो रिश्ता है....!!! मेरा और तुम्हारा.....💓 ©Rameshkumar Mehra Mehra # सुनो जानेमन..... पता नही क्यो इंतजार रहता है,मुझे हर पल,तुम्हारा,शायद,कुछ तो रिश्ता है,मेरा और तुम्हारा....💓
सुशांत राजभर
#बेवजह ही, तुम हमें #इल्जाम_क्या_दोगी? #जाम #पी_लिया हूँ , #तुम्हारी_आँखों से! तुम ही #बताओ #जानेमन, , उस #बेनाम से #जाम को भला तुम #नाम_क्या दोगी? ©सुशांत राजभर #बेवजह ही, तुम हमें #इल्जाम_क्या_दोगी? #जाम #पी_लिया हूँ , #तुम्हारी_आँखों से! तुम ही #बताओ #जानेमन, , उस #बेनाम से #जाम को भला तुम #नाम_
Rameshkumar Mehra Mehra
बफा के नाम से मेरी जानेमन अनबन थी... किसी की बेबफाई से शायद परेशान थी...! हमनें बफा देनी चाही, तो पता चला...!! हम भी खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # बफा के नाम से मेरी जानेमन थी, किसी की बेबफाई से शायद पेरशान थी, हमने जब बफा देनी चाही, तो पता चला, हम खुद बेबफा के नाम से बदनाम थे....
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- उस हँसी दिलरुबा से डरते हैं । खूबसूरत अदा से डरते हैं ।। प्यार आसान अब कहाँ करना । हुस्न की हर बला से डरते हैं ।। वो करेगा गुनाह फिर कैसे । जो अभी तक दफ़ा से डरते हैं ।। दिल की दुनिया हमें नहीं भाती । हर घड़ी अब सजा से डरते हैं ।। भूलकर भी ज़फ़ा नही करते । यार की बददुआ से डरते हैं । बन न जाऊँ गुलाम फिर उनका । आज अपनी वफ़ा से डरते हैं ।। मान लेते हैं बात सब उनकी । क्या करूँ बेलना से डरते हैं ।। आप तो फरिश्ते जमीं के थे । आप नाहक खुदा से डरते हैं ।। प्यार की तुम प्रखर कदर देखो । भूल में भी हुई खता से डरते हैं ।। २७/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- उस हँसी दिलरुबा से डरते हैं । खूबसूरत अदा से डरते हैं ।।
Irfan Saeed
अगर कहो तो मैं दुनियां बदल भी सकता हूं तेरे कहे हुए वादों पे चल भी सकता हूं तुम ही क्या मुझको दगा दोगी इश्कबाजी में हालाते मजनू से हटकर संभल भी सकता हू तुमने जाना ही नहीं अब भी मुझको जानेमन तुमने पत्थर समझा मैं पिघल भी सकता हू अना को गोद में रखकर मुझे दिखाते हो हकीर समझों नही मैं बदल भी सकता हू तेरे जालों के इन हालों से अजी बचना है कफस ए इश्क से वाहिद निकल भी सकता हूं ©Irfan Saeed अगर कहो तो मैं दुनियां बदल भी सकता हूं तेरे कहे हुए वादों पे चल भी सकता हूं तुम ही क्या मुझको दगा दोगी इश्कबाजी में हालाते मजनू से हटकर सं